अंग्रेजी में कहते हैं वुड एप्पल,खत्म होने की स्थिति में है फल की एक प्रजाति..

बिलासपुर। प्रकृति का वरदान है कैथा। वरदान इसलिए क्योंकि फलदार वृक्षों की प्रजातियों में यह इकलौता ऐसा वृक्ष है, जो शुष्क जमीन पर अच्छी ग्रोथ लेता है। दिलचस्प यह कि इसकी पत्तियां. तना और जड़ भी बेहद काम की हैं। दुख की बात यह है कि महत्वपूर्ण औषधिय गुणों वाला यह वृक्ष, अब विलुप्ती की ओर कदम बढ़ा चुका है।

कोरोना काल में गिलोय की पूछ- परख इतनी बढ़ी कि आपूर्ति में पसीने छूट गए लेकिन उस कैथा को पूछा तक नहीं गया जिसकी पत्तियों और जड़ से भी काढ़ा बनता है। गिलोय से कहीं ज्यादा गुणों की खान माना जा चुका कैथा भरपूर उपेक्षा से दो-चार हो रहा है। यह उपेक्षा इतनी ज्यादा है कि पौध रोपण में इसका नाम तक नहीं है। ऐसे में इसकी पूरी प्रजाति खत्म होने की स्थिति में आ चुकी है।

जानिए कैथा को

फलदार वृक्षों की मौजूद प्रजातियों में कैथा ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है, जिसे सीमित मात्रा में पानी की जरूरत होती है । शुष्क जमीन पर यह अच्छी ग्रोथ लेता है। फल तो है ही भरपूर गुणों वाला, साथ में इसकी पत्तियां, टहनियां, तना और जड़ भी बेहद काम की होतीं हैं। परिपक्व होने के बाद इसमें लगने वाले फल 10 से 12 महीने बाद सेवन के योग्य हो जाते हैं।

फल में यह औषधिय तत्व

कैथा के फल में आयरन, जिंक, कैल्शियम , फास्फोरस, विटामिन B-1, विटामिन B-2 और कार्बोहाइड्रेट की भरपूर मात्रा के होने की जानकारी मिली है। पोषक तत्वों की मात्रा भरपूर होने की वजह से इसका सेवन, खून में वृद्धि, ऊर्जा, स्वस्थ शरीर के लिए पूरी मदद करता है। कच्चा और पका हुआ कैथा सेवन किया जा सकता है क्योंकि दोनों ही स्थितियों में पौष्टिकता और औषधिय गुण बने रहते हैं।

कब्ज दूर करती हैं पत्तियां

टैनिन नामक यौगिक तत्व होने की वजह से पत्तियां विशेष गुणकारी हैं। अल्सर और पाइल्स जैसी परेशान करने वाली बीमारी के अलावा कब्ज की शिकायत दूर की जा सकती है।टैनिन की मानक मात्रा सूजन को भी कम करती है।

तना और जड़ों में यह गुण

कैथा की टहनियों और तने से फेरोनिया नाम का गम निकलता है। यह मधुमेह को कम करने में मदद करता है। नियमित सेवन से शर्करा प्रवाह और स्त्राव तथा संतुलन प्रबंधन में सहायक माना गया है। फेरोनिया गम ग्लूकोज के स्तर को कम करने में भी पूरी तरह सक्षम हैं।

हैं कई नाम

कैथा का वैज्ञानिक नाम लिमोनिया एसीडिसिया है। अंग्रेजी में इसे वुड एप्पल और मंकी फ्रूट के नाम से जाना जाता है। जबकि बंगाल में कठबेल, गुजरात में कोथू, कन्नड़ में बेले, मलयालम और तमिल में विलम पजम, मराठी में कवथ, उड़िया में कैथा, तेलुगु में वेलेगा पंडू, हिंदी में बिली या कटबेल, संस्कृत में कपित्थ, गंधफल या दधिफल के नाम से जाना जाता है।

  • विटामिन सी भरपूर

कैथा का कच्चा फल विटामिन सी का अच्छा स्रोत है। इसमें आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, और जिंक भी हैं। विटामिन B-1 और B-2 भी हैं। कैथा के सूखे बीज युक्त गूदे में लवण और विटामिन की भी मात्रा होती है। पोषक तत्वों के मुख्य कार्य के आधार पर कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा प्रदान करता है।

  • डॉ अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट फॉरेस्ट्री, टी सी बी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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