जहां अनलोडिंग, अब उसी के किनारे ऑक्शन,शेड के नीचे जिंस शिफ्टिंग की समस्या से बचने नई व्यवस्था

भाटापारा। शेड के नीचे अनलोड होने वाली कृषि उपज, बाजू में ही चिन्हांकित जगह पर नीलाम होगी। खुले प्रांगण के हर क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत चालू। शाश्वत समस्या बन रही नालियां, परेशान और नुकसान की वजह नहीं बनेंगी क्योंकि इसके लिए अलग से कार्य योजना बनाई जा रही है।

यह सब कवायद उस कृषि उपज मंडी में की जा रही है, जिसे प्रदेश की बड़ी कृषि उपज मंडियों में गिना जाता है। रबी फसल के दिनों में बंपर आवक से जगह की कमी और बारिश में पानी से, कृषि उपज को बचाने की चिंता हमेशा से इस मंडी में देखी जाती रही है। नालियों का बहाव भी समस्या बनता रहा है। क्षतिग्रस्त प्रांगण, किसानों के साथ मिलर्स को भी नुकसान पहुंचाता है। अब यह सभी परेशानियां दूर होने जा रहीं हैं क्योंकि इन्हें प्राथमिकता के आधार पर हल किए जाने के लिए कदम उठाए जा चुके हैं

पहली प्राथमिकता इसे

शेड के नीचे अनलोड होने वाली कृषि उपज, बाजू में ही चिन्हांकित जगह पर नीलाम होगी। इससे श्रमिकों को खाली जगह की तलाश नहीं करनी होगी और श्रम की बर्बादी पर रोक लगेगी। किसानों को लाभ यह होगा कि शिफ्टिंग पर लगने वाली रकम उन्हें देनी नहीं पड़ेगी। प्रबंधन की इस नई पहल को सराहनीय माना जा रहा है।

खुला प्रांगण भी नजर में

आवक का दबाव सहने वाले प्रांगण के हर हिस्से की मार्किंग की जा चुकी है। हर उस क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत चालू हो चुकी है, जो नुकसान की वजह बनती रही है। मरम्मत में इस बात का ध्यान, विशेष तौर पर रखा जा रहा है कि कृषि उपज को किसी भी तरह का नुकसान ना पहुंचे। बता दें कि खुले प्रांगण के क्षतिग्रस्त होने की वजह से उपज की अच्छी-खासी मात्रा, सफाई के बाद भी बच जाती है।

नालियों के लिए यह योजना

मंडी प्रबंधन ने अपनी जांच में पाया है कि मंडी क्षेत्र की नालियों की संरचना बदलने के लायक है। प्रवेश और निकास के लिए बाधा रहित ऐसी नालियां बनानी होंगी, जिससे कृषि उपज सुरक्षित रखी जा सके। पूरी योजना तैयार करके इसे मंजूरी के लिए मुख्यालय भेजे जाने की तैयारी है। लेकिन फौरी तौर पर इस बारिश में पुरानी संरचना को व्यवस्थित किया जा रहा है ताकि कृषि उपज को सुरक्षित रखने में मदद मिल सके।

सब समय पर

पटरी से उतर चुकी व्यवस्था अब फिर से वापस पटरी पर लौटने लगी है। समय पर अधिकारी व कर्मचारियों की उपस्थिति और समस्या पर शीघ्रता से विचार व फैसले से नाराजगी काफी हद तक दूर होती जा रही है। प्रबंधन का प्रयास इस व्यवस्था को और दुरुस्त करने का है।

“सभी समस्याएं प्राथमिकता के आधार पर हल होंगी। नालियों की संरचना बदले जाने की योजना लगभग अंतिम चरण में है”।

एस के चौरे,सचिव, कृषि उपज मंडी, भाटापारा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *