तालाब में व्यवसायिक काम्प्लेक्स निर्माण: अचानक हुई हलचल कार्यवाही के बाद जड़ दिया गया विरोधियों के मुंह मे ताले,अब तेजी से निर्माण कार्य अंतिम स्टेज पर

तालाब में बन रहे अवैध काम्प्लेक्स में नगर पालिका अधिकारियों की मौन सहमति तो नही ?

मुंगेली। शहर के भीतर तालाब को नेस्तनाबूद कर व्यवसायिक काम्प्लेक्स निर्माण की शिकायत और विरोध के लिए एक मीडिया समूह ने लंबे से मोर्चा खोल खबरें लगाई विरोध किया मगर एकाएक तालाब की जगह में हो रहे निर्माण में संबंधित मीडिया समूह के विरोध के स्वर पर विराम लगने से शाम,दाम,अर्थ,दण्ड, भेद के चलते रुक जाने की चर्चा जोरों से है।

बता दे इस ज्वलंत मुद्दे पर उठी आवाज के बाद तहसील स्तर से लेकर स्वयं नगर पालिका और कलेक्टर का भी दखल हुआ संम्बन्धित निर्माणाधीन काम्प्लेक्स के लिए नोटिस जारी हुई। बात बहुत ऊपर यानी राजधानी रायपुर तक हलचल मचा देने वाली रही।मगर एकाएक मीडिया समूह के विरोध के स्वर पर ताला लगा दिए जाने की चर्चाएं मुंगेली की गली गली चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ लोगो का कहना है कि मार के डर से भूत भाग जाते है तब फिर यह तो तालाब की जगह में व्यवसायिक काम्प्लेक्स निर्माण हो रहा है, और शायद कुछ ऐसा ही हुआ हो या फिर विरोध के स्वर दबाने गांधी जी की प्रथा,परंपरा से कलम ढ़ीली पड़ गई हो। बहरहाल विरोध के बावजूद शहर भीतर तालाब की जगह पर व्यावसायिक काम्प्लेक्स का निर्माण व चर्चा जोरों पर है। मगर दो पक्षो के अलावा अहम और जिम्मेदार पक्ष जिला प्रशासन है जिसकी भी चुप्पी समझ से परे नजर आ रही है।

नियम विरुद्ध जिस तालाब में बन रहे अवैध काम्प्लेक्स निर्माण में प्रतिबंध के बावजूद तेज गति से कार्य प्रारंभ हो गया

मालूम हो वजीवनदायिनी वर्षो पुराने शहर के बीच मे स्थित लगभग 2 एकड़ भूमि को तालाब बनाकर साव परिवार के पूर्वजो ने शहर के लोगो के लिए आम निस्तारी को ध्यान में रखकर तालाब का निर्माण कराया था परंतु इस तालाब को पाट-पाट कर मोटी रकम कमाने के उदेश्य से तालाब के किनारे-किनारे जमीन को टुकड़ो में कर बेच दिया गया जहाँ तालाब के चारो ओर दुकान व मकान का निर्माण जारी है जो किसी से छुपी नही है। वही विगत 1 वर्ष से श्रीमती सरोजनी केशरवानी पति स्व,निरंजन प्रसाद केशरवानी के नाम से बन रहे व्यवसायीक काम्प्लेक्स की भवन अनुज्ञा नही ली गई थी। और निर्माण आधा हो चुका था।जब स्थानीय लोगो सहित प्रमुख समाचार पत्रो में प्रकाशित हुआ कि उक्त कॉम्प्लेक्स का निर्माण अवैध है तो आनन फानन में नगरपालिका से अपने नाम से NOC भी जारी करवा लिया गया जिसका फाइल ही गायब है जब फाइल गायब है तो निश्चित तौर पर NOC भी फर्जी हो सकता है।जिस पर कई बार नगरपालिका के अधिकारी सहित कलेक्टर से इस मामले को लेकर शिकायत हो चुकी है।परंतु कार्यवाही अभी तक नही हुईं। व्यवसायिक काम्प्लेक्स में भवन अनुज्ञा आदेश देने के बाद मामले की खुलासा होने के बाद उस फाइल को ही इनके द्वारा गायब कर दिया गया है ।जब फाइल नगरपालिका से गायब है तो सवाल पैदा होना लाजमी है। 4 माह से बंद पड़े अवैध कॉम्लेक्स का निर्माण बहुत ही तेज गति से चालू किया गया है आखिर इसके पीछे शासन प्रशासन द्वारा हस्तक्षेप अब क्यो नही किया जा रहा।जब किसी अन्य गरीब के द्वारा पाई पाई जोड़कर रखे पैसे से अपना दुकान या मकान निर्माण करते है।तो नगरपालिका तत्काल नोटिस जारी कर निर्माण बंद करा दिया जाता है परंतु इस अवैध कॉम्प्लेक्स निर्माण को लेकर जिला प्रशासन सहित नगरपालिका के अधिकारी मौन बैठे है।जबकि छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम 1984 के नियम 50(ख) में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि स्थल उच्चतम जल चिन्हों से 9 मीटर की दूरी के भीतर हो और यदि आसपास में कोई बड़ा जल प्रवाह हो तो उससे भूखंड की दूरी औसत उच्च बाढ़ चिन्ह से 9 मीटर या जल प्रवाह की निश्चित सीमा से 15 मीटर होगी ऐसे में भूमि के किसी हिस्से का उपयोग भवन निर्माण के लिये स्थल के रूप में नही किया जायेगा। माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी सन् 2001 को पारित ओदश में कहा था कि जंगल, तालाब, पोखर पठार तथा पहाड़ आदि को समाज के लिये बहुमूल्य मानते हुये इनके अनुरक्षण को पर्यावरणीय संतुलन हेतु जरूरी बताया है और निर्देश है कि तालाबों को ध्यान देकर तालाब के रूप में ही बनाये रखना चाहिये उनका विकास एवं सौन्दयीकरण किया जाना चाहिये जिससे जनता उसका उपयोग कर सके।इस नियम तहत वर्तमान में नगर पालिका के द्वारा इस निर्माणाधीन काम्पलेक्स को निर्माण हेतु अनुमति नही दी जा सकती, और जानकारी मिल रही है कि नगर पालिका द्वारा इस काम्पलेक्स निर्माण पर पेनाल्टी लगा नगर पालिका अधिनियम के तहत अनुमति भी दी जा रही है जो कि छग भूमि विकास नियम 1984 का उल्लंघन है जिसके चलते यदि कभी भी नगर पालिका द्वारा इस काम्पलेक्स को निर्माण की अनुमति दी जाती है तो उसे तुरंत ही निरस्त करें एवं छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम के नियम 50 (ख) के तहत इस काम्पलेक्स को अवैध मानते हुये तत्काल तोड़ने की कार्यवाही किया जावे।
छग शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्रालय के निर्देशानुसार इस काम्प्लेक्स को नही दी जा सकती अनुमति/NOC छग शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय महानदी भवन, नवा रायपुर अटल नगर के पत्र क्रमांक 11930/9015/2019/18 दिनांक 27/12/2019 जारी कर प्रदेश के समस्त आयुक्त नगर पालिक निगम छग एवं समस्त मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत छग को निर्देश देते हुये स्पष्ट कहा कि माननीय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली के आदेश दिनांक 10.05.2019 के परिपालन में राज्य के सभी तालाब/जल स्त्रोंतो का पुनर्नरूद्धार किया जाना है अतः निकाय क्षेत्रांतर्गत स्थित किसी भी तालाब या जल स्त्रोत पर व्यवसायिक या अन्य किसी प्रयोजन हेतु अनापत्ति/अनुमति किसी भी परिस्थिति में प्रदान नही किया जावे। उक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने कहा गया, साथ ही समस्त कलेक्टर छत्तीसगढ़ की ओर माननीय NGT के आदेश के संदर्भ में पालनार्थ हेतु उन्हें प्रतिलिपि प्रेषित किया गया। नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्रालय द्वारा जारी इस निर्देश के अनुसार तालाब पर किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति या अनापत्ति नहीं दी जा सकती, अगर उसके बाद भी नगर पालिका द्वारा तालाब पर काम्प्लेक्स निर्माण की अनापत्ति या अनुमति दी गई हैं तो उसे तत्काल निरस्त करते हुए सम्बन्धित अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।
आपको बता दे कि गूगल अर्थ में शंकर मंदिर तालाब को पाटने, तालाब पर अतिक्रमण कर किये जा रहे अवैध काम्प्लेक्स निर्माण की फ़ोटो स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं,अब देखना हैं कि जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा इस मामले में क्या कार्यवाही की जाती हैं।

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