• हक मांगना बगावत है तो हम है बागी जैसा माहौल देखा जा रहा कांग्रेस में
• आगामी 2023 के राजनैतिक संभावनाओं के चलते भी बन रही हो ऐसी परिणीति
मुंगेली। लंबे समय से सत्तासीन दल कांग्रेस में आपसी खींचतान, अंतर्कलह, इस्तीफे के दौर के बाद खुलकर बगावती तेवर सामने दिख रहे है। जिसका मुख्य कारण संगठन में पदाधिकारियों को योग्यता अनुसार स्थान न मिलने पार्टी के भीतर भयंकर वसुलीबाजी, मीडिया के लोगो के बकाया राशि न देने के बाद घमासान मचा हुआ है। ऐसे में अब कद्दावर कांग्रेस के साथ लंबे समय साथ रहने वाले नेताओं में भी भयंकर आक्रोश देखा जा रहा है।लगातार प्रदेश नेतृत्व को शिकायतें होने के बावजूद संगठन में जो स्थिति बन रही है जिसके बाद अनेको लोग विरोधी तेवर में है।
सूत्र बता रहे है आगामी संभावित16 जुलाई को प्रदेश के प्रभारी राष्ट्रीय सचिव के मुंगेली आगमन पर दो पार्षदों, कुछ शहर कांग्रेस के असंतुष्ट पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं द्वारा सामुहिक त्यागपत्र दे भाजपा में प्रदेश के किसी बड़े नेता के समक्ष शामिल होने की संभावना दिख रही है। बहरहाल अभी असंतुष्ट लोगो का भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारियों, भाजपा नेताओं सहित प्रदेश नेतृत्व के नेताओ से सतत संपर्क में है। कभी भी मुंगेली कांग्रेस में विरोध स्वरूप भाजपा में शामिल होने का खेला हो सकता है।हालांकि असंतुष्ट पार्षद व पदाधिकारी से पूछे जाने पर कुछ प्रत्यक्ष तौर से कहने से बच रहे है मगर उनका स्पष्ट कहना है कि जिले में नेता अथवा नेतृत्व क्षमता के अभाव में हम जो करेंगे सीधे प्रदेश अथवा राष्ट्रीय नेता के समक्ष करेंगे।बहरहाल पार्टी में बगावती तेवर के बावजूद किसी प्रकार के मान मनौव्वल का प्रयास नही देखा जा रहा है जिसके बाद कुछ पार्षद व असंतुष्ट पदाधिकारी के भाजपा में अपने समर्थकों सहित शामिल होने की संभावना को बल मिल रहा है।
ऐसी चर्चा है कि दो पार्षदों व शहर कांग्रेस के कुछ पदाधिकारी ने सीधे स्थानीय नेतृत्व पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ने के कयास लगाये जा रहे हैं। मुंगेली में कांग्रेस के संभावित दो पार्षद व असंतुष्ट पदाधिकारी युवा मोर्चा के एक स्थानीय पदाधिकारी के माध्यम से भाजपा के एक पूर्व मंत्री के संपर्क में है।
बकायदा कांग्रेस के पदाधिकारी युवा मोर्चा के साथ अपनी सोशल मीडिया में भी फ़ोटो वायरल कर रहे हैं। इससे ये माना जा रहा है कि पार्टी के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता ही बड़े नेताओं की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
संभावित रूप से कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले पार्षद व असंतुष्ट पदाधिकारियों का आरोप है कि पार्टी में उन्हें किसी भी कार्यक्रम की जानकारी नहीं दी जाती थी। लगातार उपेक्षा की जाती रही थी।