दंतेवाड़ा. छत्तीसगढ़ में प्रथम चरण का मतदान खत्म हो चुका है. पिछले 2018 विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार 2 फीसदी ज्यादा मतदान हुआ है. चुनाव आयोग के मुताबिक, शाम 5 बजे तक दंतेवाड़ा विधानसभा में 62.55 प्रतिशत मतदान हुआ है. कई बूथों में नक्सली फरमान के बाद भी ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर मतदान किया. वहीं समय खत्म होने पर कई मतदाता मतदान नहीं कर पाए.
दंतेवाड़ा विधानसभा के अंदरूनी क्षेत्र की पोलिंग बूथ पर दोपहर तक सन्नाटा पसरा रहा. दंतेवाड़ा जिले के कोआकोंडा ब्लॉक के नक्सल प्रभावित नीलावाया के ग्रामीणों को अरबे मतदान केंद्र में मतदान करने जाना था. नीलावाया से अरबे की दूरी तकरीबन 8 से 10 किलोमीटर है. यहां मतदान दल वोटरों का इंतजार करते नजर आए. दोपहर 01 बजे तक यहां एक भी वोट नहीं पड़ा. इसके पीछे मुख्य वजह नक्सल खौफ को माना जा रहा है. साथ ही मतदान केंद्रों की दूरी भी बड़ी वजह है.वहीं दूसरी ओर गीदम , बारसूर ब्लॉक के इंद्रावती नदी के उस पार छिन्दनार घाट में पुल बनने के ढाई दशक के बाद चेरपाल में ग्रामीणों ने मतदान किया. नारायणपुर राजस्व के हांडावाड़ा , हितावाड़ा , ठहकावाड़ा , परलनार , कौरगांव जैसे आधा दर्जन गांवों को पाहुरनार, चेरपाल जैसे गांव के मतदान केंद्रों में शिफ्ट किया गया था. नक्सल फरमान और नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के बावजूद भी बड़ी संख्या में ग्रामीण मतदान करने पहुंचे थे. मतदान को लेकर इंद्रावती नदी पार के ग्रामीणों में काफी उत्साह देखने को मिला.
ग्रामीणों का आरोप – 3 बजे से पहले मतदान केंद्र को किया बंद
चेरपाल में ग्रामीणों को निराशा का सामना भी करना पड़ा. यहां नक्सलियों द्वारा मत पेटी लूटने के बाद ढेड़ दशक के बाद मतदान होने जा रहा था. मतदान का समय खत्म होने के कारण 100 से 150 मतदाता मतदान नहीं कर सके, जिसका ग्रामीणों ने वीडियो बनाकर विरोध किया है. ग्रामीणों ने वीडियो बनाकर कहा है कि दोपहर 03 बजे के पहले ही मतदान केंद्र को बंद कर दिया और अंदर घुसने नहीं दिया गया, इस कारण ग्रामीण मतदाता नाराज होकर वापस लौटे गए.