धमतरी : अमृत सरोवर से ग्रामीण हो रहे लाभान्वित : महिलाओं की आर्थिक स्थिति हो रही सुदृढ़
धमतरी : बुजुर्गों का कहना है कि ’’घुरवा के दिन बहुरथे’’। ये बात आज सार्थक होती नजर आ रही है। जीवन में अच्छे दिन आने से सफलता की सीढ़ी आसानी से प्राप्त हो रही है।
गांव में इसी तरह तालाबों का कायाकल्प होने से उनकी महत्ता बढ़ जाती है। ऐसी ही एक जीती जागती कहानी है जिले के नगरी विकासखंड के ग्राम पंचायत उमरगांव की जो जंगल सत्याग्रह और झण्डा सत्याग्रह के स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों की मातृभूमि है। इतिहास के कालखंड में उमरगांव का नाम अंकित है। आदिवासी बाहुल्य गांव उमरगांव के रहवासियों ने लगभग बारह वर्ष पूर्व आदिदेव बूढ़ादेव के नाम से तालाब निर्माण कराया।
जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकरी श्रीमति रोक्तिमा यादव ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार गांव में अमृत सरोवर का निर्माण गर्मी के दिनों में पेयजल संकट, सिंचाई संबंधित जल व्यवस्था और भूमिगत जलस्तर को बनाये रखने के लिए किया जा रहा है। इस योजना से सरोवर में पानी संग्रहण हेतु कारगर सिद्ध हो रहे हैं।
निर्माण कार्य में ग्रामीणों विशेषकर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी रही है। महिलाओं को व्यवसाय के प्रति स्वावलंबी बनाने के लिए निर्मित अमृत सरोवर में मछली पालन की ओर उन्मुख किया जा रहा है। महिलाओं में भी व्यवसाय के प्रति आत्मविश्वास बढ़ा है। आज महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही है। विश्वास और आत्मनिर्भरता की कहानी खुदबखुद गढ़ रही हैै।
वहीं अमृत सरोवर में सिंचाई, मछली पालन, बतख पालन, सिंघाड़े की खेती, जल पर्यटन और अन्य गतिविधियों जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए पानी का उपयोग करके आजीविका सृजन का स्त्रोत होगा। अमृत सरोवर निर्माण से उस ग्राम में एक सामाजिक मिलन स्थल के रूप में भी परिवर्तित हो रहा है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 में मनरेगा योजना के तहत कुल 1.40 एकड़ क्षेत्र के लिए 12.88 लाख रूपये की लागत से आदिदेव बूढ़ादेव को अमृत सरोवर के नाम से जीर्णाेद्धार किया गया। अमृत सरोवर का मतलब ही है सरोवर में लबालब पानी भरा रहे। योजना की माने तो 150 श्रमिकों ने उक्त निर्माण कार्य से 3165 मानव दिवस अर्जित किया गया। किये गये कार्य का मजदूरी भुगतान हुआ है
लेकिन ग्रामवासी अमृत सरोवर की चर्चा हमेशा करते रहते हैं जैसे उन्हें कोई उपलब्धि हासिल हुई हो। आज जल की महत्ता दिनोदिन बढ़ती जा रही है। जल है तो कल है।
जल है तो निस्तारी के अतिरिक्त आमदनी का जरिया बनाने का साधन है। ग्रामीण परिवेश में खासतौर पर ऐसे सरोवरों में मछली पालन व सिंघाड़ा का उत्पादन कर समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो हो रही है।
ग्राम पंचायत सरपंच सुरेश नेताम ने बताया कि बूढ़ादेव तालाब अमृत सरोवर निर्माण होने से जल संग्रहण की सुविधा में बढ़ोत्तरी हुई। सरोवर में इनलेट और आउटलेट निर्माण से कायाकल्प हुआ है।
तालाब के किनारे नीम, बरगद, पीपल एवं अन्य छायादार पौधों का रोपण होने से हर राहगीर को छाया मिलेगा। वर्षों का सपना अमृत सरोवर निर्माण से साकार हुआ। अब ग्रामीणों को निस्तारी सुविधा में कठिनाई नहीं होगी।