सैनिटाइजर जीरो, ऑक्सीमीटर आउट ,मास्क थोड़ा-थोड़ा… इकाइयों में तालाबंदी का खतरा

मुंगेली। पूरे एक बरस तक पहले नंबर की जगह पर काबिज सैनिटाइजर और ऑक्सीमीटर को अपने लिए ऐसे स्थान की खोज करनी पड़ रही है, जिससे उसकी मौजूदगी जानी जा सके। तेजी से पीछे होते दोनों का उत्पादन पूरी तरह जमीन पर आ चुका हैं। इनकी खरीदी करने वालों ने भी अब इससे मुंह मोड़ लिया है।

कोरोना। मास्क, सैनिटाइजर, ऑक्सीमीटर, नेबुलाइजर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और ऐसे कई उपकरण, जिन्होंने खरीदी और बिक्री का कीर्तिमान बनाया, अब नहीं खरीदे जा रहे हैं। फलतः कीमतों में रोज गिरावट आ रही है। जैसी दुर्गति सैनिटाइजर की हो रही है, उसने दवा दुकानों को हैरत में डाल दिया है, तो इकाइयां, उत्पादन से हाथ खींचने की तैयारी में लगी हुई दिखाई देतीं हैं।

यह खत्म

कोरोना के पहले दौर में बेतहाशा मांग के बाद 2200 रुपए में भी मुश्किल से उपलब्ध होने वाला सैनिटाइजर का 5 लीटर का पैक, आज 350 रुपए पर आ गया है। इसके बावजूद बिक्री शून्य है। इसलिए इसे पीछे की जगह पर भी रखने से हिचक रहीं हैं दवा दुकानें। इधर मांग खत्म होता देख उत्पादन करने वाली ईकाइयां इस काम को बहुत जल्द बंद करने की तैयारी में हैं।

ऑर्डर बंद

ऑक्सीमीटर और नेबुलाइजर के अलावा भाप लेने वाली मशीनों के लिए आर्डर दिए जाने पर पूरी तरह रोक लगाई जा चुकी है। बता दें कि 600 रुपए वाले ऑक्सीमीटर की खरीदी उपभोक्ताओं ने उन्नीस सौ से 2000 रुपए तक में की थी। यही हाल नेबुलाइजर और भाप मशीन का भी है। जिसकी मांग पूरी तरह शून्य पर आ चुकी है। हाल ऐसा है कि संस्थानें, कंपनियों को वापसी की तैयारी में हैं।

यह भी आउट

ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और वेंटीलेटर बेड बनाने वाली इकाइयों में उत्पादन तेजी से कम किए जाने की खबर आ रही है क्योंकि केस कम होने के बाद डिमांड, अस्पतालों और सामाजिक संस्थाओं से ज्यादा नहीं निकल रही है। इनकी कीमत पूर्ववत स्तर पर आ चुकी है। इन दोनों के विक्रेताओं ने आर्डर पर ताला लगा दिया है।

“मास्क की बिक्री बनी हुई है लेकिन संक्रमण से बचाव के सभी उपकरण की मांग तेजी से गिर रही है। सैनिटाइजर पूरी तरह शून्य पर आ चुका है”।

  • अशोक सचदेव, अशोक मेडिकल स्टोर, मुंगेली

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