अपने गिरेबां में झांकने की बजाय मुझे जबरन फंसाने की रची गई साजिश- IPS जीबी सिंह

• जी पी सिंह का सरकार पर गंभीर आरोप मुझे नेताओं और सरकार में दखल रखने वाले अधिकारियों ने फंसाया

रायपुर/बिलासपुर। एंटी करप्शन ब्यूरो और छत्तीसगढ़ पुलिस के शिकंजे में फंसे एडीजी रैंक के सीनियर आईपीएस जीपी सिंह की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद भी कोई फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने भ्रष्टाचार और राजद्रोह दोनों मामलों की केस डायरी तलब करने के साथ ही सरकार से उसका भी पक्ष पूछा है। शासन से जवाब मिलने के बाद ही कोर्ट आगे सुनवाई करेगा। अगली सुनवाई मंगलवार को तय की गई है।

दरअसल, वरिष्ठ आईपीएस जीपी सिंह ने अधिवक्ता किशोर भादुड़ी के माध्यम से रिट पिटिशन दायर की है। पहली याचिका में उन्होंने ACB और रायपुर सिटी कोतवाली में उनके खिलाफ दर्ज मामलों की स्वतंत्र एजेंसी जैसे CBI से जांच कराने, अंतरिम राहत देने और उनके खिलाफ चल रही जांच पर रोक लगाने की भी मांग की है। वहीं उनके खिलाफ दायर राजद्रोह के केस को भी याचिका दायर कर चुनौती दी है। दोनों मामलों पर सुनवाई चल रही है।

सरकार में दखल रखने वाले नेताओं और अफसरों ने फंसाया

याचिका में जीपी सिंह की ओर से कहा गया है कि अवैध कामों के लिए मना करने पर सरकार में दखल रखने वाले कुछ नेताओं और अफसरों ने मिलकर उन्हें फंसाया है। अफसरों ने पहले उन्हें धमकी दी और बाद में आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाते हुए ACB का छापा डलवाया। उनके खिलाफ राजद्रोह का अपराध दर्ज कर दिया गया। कहा कि वह जांच में सहयोग करने को तैयार हैं, पर मामला CBI या किसी अन्य स्वतंत्र जांच एजेंसी को सौंपा जाए।

याचिका में कहा गया है कि जिस डायरी औरडायरी के भीगे पन्नों के अस्पष्ट शब्दों को सबूत बता रही ACB कागजों के आधार पर यह केस दर्ज किया गया है, वह सालों पुरानी है। कचरे, नाली में फेंकी हुई थी और उसे बंगले में छापा मारने वाले खुद ढूंढकर लाए थे। जब इन फटे-पुराने कागजों की जब्ती की जा रही थी, उस समय जीपी सिंह को नहीं बुलाया गया। जबकि वो बंगले में मौजूद थे। एक डायरी जिसे पुलिस सबूत बता रही है उसके पन्ने भीगे हुए थे। पुलिस ने उसे सुखाने के बाद अस्पष्ट शब्दों के आधार पर मामला दर्ज किया।

मुझे हमेशा से डायरी लिखने की आदत रही है

याचिका में जीपी सिंह की ओर से कहा गया है कि उन्हें डायरी लिखने की आदत रही है। याचिका में तर्क दिया गया है कि किसी व्यक्ति की डायरी लिखने की आदत हो और वह किसी मामले में कुछ लिखता है तो इसका मतलब यह तो नहीं हो जाता कि वह उसमें शामिल हो गया। वह तो अपनी मन की बातें लिखता है। फिर उसके लिखे शब्दों का पुलिस द्वेषवश कुछ और मतलब निकाल ले और अपराध दर्ज कर ले, ये न्यायोचित नहीं है। डायरी में लिखी बातों को पुलिस प्रमाणित भी नहीं कर सकती।

सरकार ने 9 जुलाई की शाम दायर किया था कैविएट

सीनियर IPS जीपी सिंह ने 9 जुलाई को हाईकोर्ट में याचिका दायर किया था। इसके बाद शाम तक राज्य सरकार ने भी हाईकोर्ट में कैविएट दायर कर दिया था। अपने आवेदन में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से कहा था की जी पी सिंह को कोई भी राहत देने से पहले सरकार का पक्ष भी सुना जाए। दूसरी ओर जीपी सिंह ने रायपुर की निचली अदालत में अपनी अग्रिम याचिका की अर्जी भी दायर की थी। सुनवाई के लिए न्यायालय ने पुलिस से केस डायरी की मांग की गई, लेकिन डायरी की पूर्णता नहीं होने की जानकारी पुलिस के द्वारा न्यायालय को दिये जाने पर जमानत याचिका वापस ले ली गई थी। इस मामले में सरकार के अलावा विपक्षी भाजपा की भी निगाह लगी हुई है।

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