नारियल: एडवांस आर्डर पर लगा ब्रेक,धार्मिक आयोजनों पर बंदिश के बाद 70 फीसदी बाजार टूटा

मुंगेली- मंदिर-देवालयोंं में सीमित संख्या में प्रवेश ,दर्शन और पूजन की अनुमति। धार्मिक आयोजन पर बंंदिश। ये स्थितियां उन नारियल कारोबारियों को हताश कर रहीं हैं, जो सवा साल से अच्छे दिन की उम्मीद में हैं।कारोबार में 70 फीसदी की गिरावट के बाद, अब अच्छे दिन की संभावना नही के बराबर जान, उत्पादक क्षेत्रों को कम आर्डर का दिया जाना चालू हो चुका है।

कोरोना के कम होते मामले के बाद कारोबारी गतिविधियों को राहत देने का क्रमबद्ध सिलसिला विस्तार लेता जा रहा है लेकिन एक ऐसा भी कारोबार है, जिसे वैसी राहत नही मिल पाई है, जिसका इंतजार सवा साल से किया जा रहा है।यह क्षेत्र है नारियल का थोक और चिल्हर कारोबार, जहां ग्राहकी और मांग लगभग जमीन पर आ चुकी है। राहत या छूट की मांग पहले भी नही की थी, अब भी नही करेंगे क्योंकि जानते है कि जब तक मंदिर-देवालय के मुख्य द्वार नही खुलेंगे, तब तक रौनक नही लाई जा सकती।

टूटा 70 फीसदी बाजार

कोरोना और लॉकडाउन के बाद मंदिर ,देवालयों में प्रवेश,दर्शन और पूजन पर रोक अब भी जारी है। सीमित संख्या में अनुमति तो दी गई है लेकिन धार्मिक आयोजनों पर लगा ताला, अब भी नही खोला गया है। लिहाजा नारियल का लगभग 70 फीसदी बाजार टूट चुका है। शादियों की मांग तो है लेकिन बेहद सीमित। ऐसे में पहले से टूटा बाजार एक बार फिर से यह सीजन हाथ से गंवाता दिखाई दे रहा है।

नवरात्रि में भी नहीं

कोरोना संक्रमण के बाद चालू बरस की पहली नवरात्रि भी बंदिश की भेंट चढ़ चुकी है।इसके पहले, बीते बरस भी ऐसे दो पर्व पर भी नारियल बाजार खाली होता नजर आया। स्थितियां अब भी नाजुक बनी हुई हैं। इसलिए आगत नवरात्रि के लिए उत्पादक क्षेत्रों को आर्डर नहीं दिए गए हैं। जबकि अमूमन चालू माह में ही यह आर्डर दे दिए जाते थे।

दोनों एक समान

नारियल बाजार में यह शायद दूसरा साल होगा, जब सूखा और कच्चा नारियल की खुदरा कीमत एक समान है। यह 20 रुपए प्रति नग की कीमत में बेचे जा रहे हैं। यही हाल होलसेल काउंटरों का भी है, जहां उठाव नहीं के बराबर बताई जाती है। यह क्षेत्र नए आर्डर के लिए बेहद सावधानी के साथ कदम उठा रहा है।

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