महिला एवं बाल विकास विभाग में मजाक बन कर रह गया ट्रांसफर, पैसों के लेनदेन से किया जा रहा मनमाफिक स्थानांतरण

• स्थानांतरण की आड़ में किया जा रहा करोड़ो का वारा न्यारा

• ऑडियो क्लिप व दलालो के नामजद शिकायत से मामले को किया जाएगा उजागर

• महिला मंत्री की आड़ में पूरा ट्रांसफर उद्योग बिलासपुर के एक व्यक्ति के इशारे पर।
• पैसों के सहारे अपात्र लोगो को दी गई सहूलियत की जगह।

रायपुर। सेटिंग-गेटिंग के फार्मूले से पूरे साल स्थानांतरण का खेल खेल रहे हैं। जिस तरह से नियम विरुद्ध स्थानांतरण के मामले सामने आ रहे हैं उससे लग रहा है कि विभागों में स्थानांतरण एक्ट अपात्र को पात्र बनाने का यंत्र बन गया है। बताया जा रहा है कि इस यंत्र की आड़ लेकर बड़े पैमाने पर लेन-देन का व्यापार चल रहा है और सब कुछ मालूम होने के बाद भी सरकार व स्वयं विभाग आंखों में पट्टी बांधकर धृतराष्ट्र की भूमिका उदा कर रही है। जिससे पात्र कार्मिकों को इसका तनिक भी लाभ नहीं मिल रहा है।

एक ही जिले में दो-दो अधिकारी स्थानांतरित

विभाग में स्थानांतरण में कितनी पारदर्शिता है। इसका उदाहरण इस बात से लगाया जा सकता है कि बिलासपुर में पदस्थ लंबे समय से एक विवादित अधिकारी का आखिरकार अनेकों अनियमितताओ,भ्रष्टाचार की जांच बाद सुकमा स्थानन्तरित किया गया मगर उक्त अधिकारी के थोड़े समय अवकाश में रहने के बाद मुंगेली तैनाती के आदेश कर दिए जबकि मुंगेली में पहले से ही उस पद में एक महिला अधिकारी पदस्थ रही। यह मामला भी विभाग में खूब चर्चा का विषय बना रहा बाद में ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया। ऐसे में सवाल यह है कि एक पद पर दो अधिकारियों की तैनाती कहां तक सही है। यह विभागीय त्रुटि है या फिर मामला कुछ और ही है।

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