पोराबाई मामले में आरोपी 12 साल बाद दोष मुक्त

रायपुर: मुन्नाभाई एमबीबीएस मूवी आने के बाद जैसे मुन्ना भाई शब्द काफी चर्चा में आया था, ठीक उसी तरह एक नाम छत्तीसगढ़ में काफी चर्चित हुआ। वह नाम था पोराबाई। साल था 2008। छत्तीसगढ़ बोर्ड ने बारहवीं कक्षा की परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया। इसमें टॉपर थी पोराबाई। पोराबाई के टॉपर बनने पर पहले खुशियां मनी, फिर इस पूरे मामले ने शिक्षा व्यवस्था पर ऐसा तमाचा जड़ा कि कई सालों तक जांजगीर-जिले के लिए यह किसी श्राप की तरह था। नकल से जुड़े मामले सामने आने पर छत्तीसगढ़ में पोराबाई कहा जाने लगा।

खैर, मामले में 2020 मेें फैसला आया और पोराबाई सहित 9 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि जिन आशंकाओं को लेकर मामले की शुरुआत हुई, उन आशंकाओं को सही साबित करने में अभियोजन असफल रहा। फिलहाल पोराबाई बलौदाबाजार जिले में शिक्षक है। आज पोराबाई की बात क्यों हो रही है? दरअसल, पोराबाई के मामले ने जांजगीर जिले में तब नकल माफिया का जो रैकेट चल रहा था, उसका खुलासा किया, वहीं अब भी यह पूरा मामला सिस्टम के लिए एक बड़ा तमाचा है।

जांजगीर जिले के जिस शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिर्रा की पोराबाई छात्रा थी, वहां एक कमरा पिछले करीब 15 साल से बंद था। उसी केस में जिसमें दिसंबर, 2020 में फैसला आ चुका है। सारे आरोपी बरी हो चुके हैं। बिर्रा का वह स्कूल अब नवीन महाविद्यालय भी है। वहां अलग-अलग पालियों में स्कूल और कॉलेज संचालित हो रहा है। पिछले दिनों एनएसएस के कार्यक्रम में प्रिंसिपल ने एसपी एसपी विजय अग्रवाल को कमरे की कमी के बारे में बताया। एसपी ने कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा से चर्चा की। आखिरकार प्रशासन के हस्तक्षेप से कमरा खोला गया। वहां टेबल कुर्सी और एक बॉक्स था, जिसमें कथित आंसरशीट रखा हुआ था।

यह था मामला

छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने मई 2008 में बारहवीं का रिजल्ट जारी किया। इसमें बिर्रा स्कूल की छात्रा पोराबाई ने टॉप किया था। पोराबाई मूलत: बलौदाबाजार जिले के सेमरा गांव की रहने वाली है। वह बिर्रा से परीक्षा में शामिल हुई। इन बातों से संदेह हुआ और माध्यमिक शिक्षा मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष बीकेएस रे में जांच कराई। जब आंसरशीट से पोराबाई के हैंडराइटिंग का मिलान किया गया तो मिलान नहीं हुआ। इसके बाद पुलिस में मामला गया। पुलिस ने पोराबाई के साथ-साथ प्राचार्य एसएल जाटव, केंद्राध्यक्ष फुलसाय, सहायक केंद्राध्यक्ष बालचंद भारती, व्याख्याता टीआर खूंटे, उच्च वर्ग शिक्षक एमएल साहू, शिक्षाकर्मी गुलाब सिंह बंजारे, दीपक सिंह जाटव, एसएल जावेर, केंद्राध्यक्ष शाउमा विद्यालय एसएल तिवारी के खिलाफ बम्हनीडीह थाने में केस दर्ज कराया था। इस मामले की सुनवाई प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट सुबोध मिश्रा की अदालत में हुई। अभियाेजन यह साबित करने में असफल रहा कि पोराबाई नकल कर टॉप आई थी और बाकी आरोपी इसमें शामिल थे।

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