युवा महोत्सव से मिल रहा युवाओं को अभिव्यक्ति का अवसर : डॉ.टेकाम

राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति एवं परम्पराओं का संगम है युवा उत्सव – खेल मंत्री श्री पटेल

रायपुर(मनीष शर्मा)। राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में राज्य स्तरीय युवा महोत्सव का शुभारंभ करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस महोत्सव से युवाओं को अपनी प्रतिभा को अभिव्यक्त करने के लिए बेहतर मंच मिल रहा हैं। वहीं राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक, लोक खेल, परम्पराओं आदि को जानने और समझने का मौका मिलेगा। गौरतलब है कि इस आयोजन में संस्कृति विभाग द्वारा लोक साहित्य सम्मेलन का भी आयोजन किया जा रहा है।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ युवाओं का प्रदेश है, यहां की युवाओं में अद्भूत प्रतिभा है। ऐसे आयोजनों से युवाओं की छिपी हुई प्रतिभा सामने आती है। उन्हें प्रोत्साहन मिलता है। ऐसे आयोजनों से सामाजिक सदभाव का वातावरण का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि गत चार वर्षो में राज्य की युवा प्रतिभाओं को तरासने के लिए अनेक प्रकार का आयोजन जैसे छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक, राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का कराए गए हैं। हमारा यह प्रयास रहा है कि युवाओं की ऊर्जा और उत्साह केवल आयोजनों तक सीमित न रहे, बल्कि उनका रचनात्मक कार्यो में भी इस्तेमाल होता रहे। युवाओं में नेतृत्व क्षमता के विकास के लिए राजीव एवं युवा मितान क्लब का गठन किया गया है। डॉ.टेकाम ने युवा उत्सव में भाग लेने वाले सभी युवाओं और इसके आयोजन से जुड़े खेल एवं युवा कल्याण विभाग बधाई और शुभकामनाएं दी।
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में युवा महोत्सव में कुल 38 विभिन्न विधाएं आयोजित की जा रही हैं, जिसमें 24 सांस्कृतिक विधाएं 6 खेल विधाएं तथा 7 अन्य विधाएं का आयोजन किया जा रहा है। इसके साथ ही साथ छत्तीसगढ़ लोक साहित्य सम्मेलन के अंतर्गत छत्तीसगढ़ी, हल्बी, गोंडी, कुड़ूख, सरगुजिहा इत्यादि बोलियों में साहित्य सृजन का आयोजन किया जा रहा है। इससे हमारे प्रदेश के साहित्यिक विधा संरक्षित होगी और उनका संवर्धन भी होगा। राज्य स्तरीय युवा महोत्सव छत्तीसगढ़ की विविध संस्कृति एवं परम्पराओं का संगम है। शुभारंभ समारोह को संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, धरसींवा विधायक श्रीमती अनिता योगेन्द्र शर्मा, युवा आयोग के अध्यक्ष जितेन्द्र मुदलियार, योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा, खेल एवं युवा विभाग के सचिव नीलम नामदेव एक्का एवं संचालक, खेल एवं युवा कल्याण विभाग श्रीमती श्वेता सिन्हा उपस्थित थीं।

मार्च पास्ट में दिखी छत्तीसगढ़ी संस्कृति

युवा महोत्सव में प्रदेश के विभिन्न संभागों के युवाओं के दल ने अपनी परम्परागत लोक नृत्य को प्रदर्शित करते हुए मार्च पास्ट किया। आकर्षक वेशभूषा में सजे-धजे युवाओं के नृतक दल ने विभिन्न मुद्राओं के माध्यम से दर्शकों का मन मोह लिया। दुर्ग संभाग के पंथी और डंडा नृत्य, बस्तर संभाग के ककसार, बिलासपुर संभाग के राउत नाचा एवं डंडा नाच, सरगुजा संभाग के करमा एवं सरहुल, रायपुर संभाग के करमा और पंथी नृतक दलों ने अपनी प्रस्तुति के जरिए लोगों को मंत्रमुग्ध किया।

विजेता प्रतिभागियों को मिलेगा पुरस्कार

राज्य स्तरीय युवा महोत्सव में तीन हजार से अधिक प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं, जिसमें प्रत्येक आयु वर्ग में महिला एवं पुरूष प्रतिभागियों को दलीय खेलों में प्रथम स्थान के लिए 10 हजार, द्वितीय स्थान के लिए साढ़े सात हजार, तृतीय स्थान के लिए 5 हजार के पुरस्कार दिए जाएंगे। एकल विधाओं में प्रथम स्थान के लिए एक हजार, द्वितीय स्थान के लिए 750 एवं तृतीय स्थान के लिए 500 रूपए का पुरस्कार दिया जाएगा।

राज्य स्तरीय युवा महोत्सव:युवाओं ने दी करमा नृत्य की शानदार प्रस्तुति

प्रतियोगिता मेंं पहले स्थान पर रायगढ़, दूसरे स्थान पर कांकेर, तीसरे स्थान पर सूरजपुर

रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान में आयोजित राज्य युवा महोत्सव के पहले दिन मुख्य मंच मांदर की थाप पर थिरकते कलाकारों के नाम रहा। युवा कलाकारों ने अपने लय और ताल से समा बांध दिया। दर्शकों ने भी कलाकारों की शानदार प्रस्तुति पर खुशियां जाहिर की। करमा नृत्य की 15 से 40 आयु वर्ग की प्रतियोगिता मेंं पहले स्थान पर रायगढ़, दूसरे स्थान पर कांकेर, तीसरे स्थान पर सूरजपुर रहा।
साइंस कॉलेज मैदान में दुर्ग, रायगढ़, सूरजपुर, कांकेर और बालोद जिले के कलाकारों ने पारम्परिक परिधानों से सज-धज कर मुख्य मंच पर अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी। करमा नृत्य दर्शकों को खूब भाया। छत्तीसगढ़ की संस्कृति में प्रचलित अनेक लोक नृत्यों में से करमा नृत्य एक है। करमा नृत्य राज्य में निवास करने वाली जनजातियों द्वारा किया जाता है। ये जनजातियां सरई एवं करम वृक्ष के नीचे इकठ्ठा होकर करमा गीत गाकर नृत्य करते हैं। जनजाति समूह वर्ष में एक बार इकठ्ठा होकर देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करके उत्सव मनाते हैं और करम वृक्ष की टहनी को जमीन में गड़ाकर चारों और घूम-घूमकर आनंदपूर्वक करमा नृत्य करते हैं। करमा नृत्य हमें कर्म का संदेश देता है।
मुख्य मंच पर सरगुजा संभाग से सूरजपुर जिला, बिलासपुर संभाग से रायगढ़ जिला, दुर्ग संभाग से बालोद जिला, बस्तर संभाग से कांकेर जिला और रायपुर संभाग से महासमुंद जिले के 15 से 40 आयु वर्ग के कलाकारों ने पारंपरिक गीतों एवं धुन पर समूह में नृत्य करके युवक-युवतियों ने सबका मन मोह लिया। सूरजपुर जिले के युवाओं ने स्थानीय लोकगीत के साथ रायगढ़ जिला के लोक कलाकारों ने सफेद वेशभूषा में मधुर संगीत की धुन पर और बालोद जिले के युवाओं ने छत्तीसगढ़ महतारी और भारत माता की जयकारे के साथ करमा नृत्य की प्रस्तुति दी।

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