पद्मश्री सुरेन्द्र दुबे को ग्राफिक एरा काव्य गौरव सम्मान से नवाजा गया

कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

रायपुर/देहरादून। कवियों ने अपनी रचनाओं से रविवार शाम ग्राफिक एरा के 20वें कवि सम्मेलन में श्रोताओं को सुलगते सवालों और रोजमर्रा की भागदौड़ के बीच लोगों को हंसाने गुदगुदाने के साथ ही एक अलग सुकून का अहसास कराया।

इस मौके पर प्रख्यात कवि एवं पद्मश्री सुरेंद्र दुबे को डेढ़ लाख रुपये के साथ ग्राफिक एरा काव्य गौरव सम्मान दिया गया। मशहूर शायर प्रो. वसीम बरेलवी को एक लाख रुपये के साथ ग़ज़ल सम्राट के सम्मान से नवाजा गया।

हास्य कवि सरेन्द्र शर्मा ने कई कविताएं सुनाकर श्रोताओं को बार-बार तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। पति पत्नी की खुशी का राज अपने चुटीले अंदाज़ में बताकर उन्होंने लोगों को खूब हंसाया। उन्हीं के शब्दों में- “पति और पत्नी तभी खुश रह सकते हैं, जब पत्नी गूंगी हो और पति बहरा हो…”

पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा ने गंभीर मुद्दे भी अपने खास अंदाज में उठाये- “मंदिरों मस्जिद की या किसी इमारत की, माटी तो लगी भाई उसमें मेरे भारत की, बिखरे बिखरें हैं सभी आओ एक घर में रहें, क्या पता तुम न रहो, क्या पता हम न रहें….”

हास्य कवि पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे ने भी श्रोताओं से खूब ठहाके लगवाये । उन्होंने सामाजिक ताने बाने से लेकर सियासत तक पर शब्दों के तीर चलाये । उन्होंने सामाजिक मुद्दों को भी बहुत खूबसूरत अंदाज में छुआ “फली फूली टहनियां जड़ों से जुड़ी रहती हैं, बेटियां कहीं भी रहें मां बाप से जुड़ी रहती हैं…” प्रोफेसर वसीम बरेलवी की गजल और शेर लोगों को दिलो-दिमाग तक उतर गए।

वसीम बरेलवी ने “जहां रहेगा वहीं रोशनी लुटाएगा, किसी चिराग का अपना मकां नहीं होता…” “छोटी छोटी बाते करके बड़े कहां बन पाओगे, ..”, ” सरपरस्ती भी कही जाए, तो बस नाम की है, आसमां तेरी बलंदी मेरे किस काम की है…”

कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए हास्य व्यंग्य के प्रख्यात कवि डॉ प्रवीण शुक्ल ने आज के दौर की ओर इशारा करते हुए सुनाया “कैसे कह दूं कि थक गया हूं मैं जाने किस किस का हौसला हूं मैं, तू मेरी रूह में समाया है, सबसे कह दे तेरा पता हूं मैं..।”

हरियाणा से आये कवि अनिल अग्रवंशी ने अपनी रचना में- “इन्हें बेटा बना लो तो ये इतिहास लेंगी, करो विश्वास बेटी पर तो ये विश्वास छू लेंगी, कभी बेटी को जीवन में नजरअंदाज मत करना, जरा सा पंख खोलोगे तो ये आकाश छू लेंगी…।”

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