वैसे तो पुलिस विभाग के आला अधिकारी को यह कहते सुना देखा जाता है कि “पुलिस और पब्लिक के बीच की कड़ी है मीडिया”। मगर जब पुलिस स्वयं अपराधों के लिए त्वरित खबरों के स्रोत के लिए बनाए अपने सोशल मीडिया ग्रुप से जिम्मेदार कुछ मीडिया के लोगों को दूर रखें तो पुलिस की कार्यवाहियों पर भरोसा करना व घटनाओं की ताजा जानकारी मिलना मुमकिन नहीं हो पाता है।
हाल में बिलासपुर पुलिस के व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से मीडिया के लोगो को एड कर खबरे दी जाती है मगर अभी भी कुछ जिम्मेदार लोगों को इस ग्रुप से बाहर रखा गया है हालांकि मीडिया के लोगो को बाहर रखने के पीछे पुलिस की कोई खास वजह हो सकती है मगर ऐसा करने से पुलिस की कार्यवाहियों की पारदर्शिता पर भी सवाल उठ सकता है।
बिलासपुर पुलिस ग्रुप से बाहर मीडिया के कुछ जिम्मेदार लोगों ने त्वरित व पारदर्शी कार्यवाहियों की जानकारी के लिए एक निरीक्षक लेबल से लेकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी जानकारी दी गई मगर अभी तक उन्हें खबरों के लिए एड करना उचित नहीं समझा गया।