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रतनपुर में दुष्कर्म पीड़िता की मां को पॉक्सो के मामले में मिली जमानत

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बिलासपुर। बिलासपुर जिले के रतनपुर में दुष्कर्म पीड़िता की मां को पॉक्सो के मामले में जमानत मिल गई। थोड़ी देर पहले विशेष न्यायधीश पॉक्सो की अदालत ने जमानत स्वीकार करते हुए 15 हजार रुपये के बांड पर जमानत मंजूर किया है। अदालत का आदेश आते ही कोर्ट परिसर में मौजूद पीड़िता के परिजनों व हिंदूवादी संगठनों में खुशी की लहर फैल गई।

रतनपुर निवासी युवती ने आफताब मोहम्मद के ऊपर 5 मार्च को रतनपुर थाना में दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज करवाई थी एफआईआर के अनुसार पीड़िता के नाबालिक रहने के दौरान ही आरोपी उससे दुष्कर्म करता था। 4 मार्च की रात्रि को उसको खूंटाघाट ले जाकर मारपीट कर रेप कर छोड़ दिया था। मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी आफताब को जेल भेजा गया।

पीड़िता ने आरोप लगाया कि आरोपी पक्ष ने उस पर दबाव बनाकर समझौता करवाने की कोशिश की और 20 लाख का लालच भी दिया था। मना करने पर उसकी मां को झूठे मामले में फंसाकर जेल भेज दिया गया था। पीड़ित की मां के ऊपर 19 मई को आरोपी आफताब मोहम्मद के मौसी के 10 वर्षीय बेटे का यौन शोषण करने का केस दर्ज किया गया था। मामले में पुलिस महिला के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करते हुए उसे जेल भेज दिया था।

महिला के जेल जाने के बाद जिले में जमकर बवाल हुआ था। रतनपुर बंद करवाने के साथ ही धरना प्रदर्शन होने पर एसपी ने टीआई को लाइन अटैच कर दिया और तीन सदस्यीय जांच कमेटी बना कर मामले की जांच के आदेश दिए गए थे। आज मामले में जमानत के लिए सुनवाई पॉक्सो मामलों की विशेष न्यायाधीश स्मिता रत्नावत की अदालत में हुई।

पीड़िता की मां की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि जमानत के लिए जिस आरोपिया / प्रार्थियां की जमानत लगाई गई है वो 20 वर्षो से आंगनबाड़ी में कार्यरत हैं, बावजूद इसके इस तरफ बच्चो के शोषण की कोई शिकायत आज तक नहीं आई। साथ ही यह महिला की बेटी की एफआईआर के चलते दबाव बना समझौते के लिए काउंटर एफआईआर की गई। पीड़ित बालक के मौसी के लड़के के ऊपर ही महिला की बेटी ने एफआईआर दर्ज करवाई थी, इसलिए बदले की भावना से दस वर्षीय बालक को आगे रख एफआईआर कर ली गई। साथ ही एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही आफताब मोहम्मद के घर वाले समझौते के लिए महिला व उसके परिवार पर दबाव बना रहे थे, जिसकी भी शिकायत थाने में की गई थी। पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज नहीं किया। साथ ही शिकायत की कॉपी लगाई गई। बच्चे की सीडब्ल्यूसी से काउंसलिंग करवाये बिना एफआईआर दर्ज की गई है। सारे तर्कों को सुनने के पश्चात विशेष न्यायाधीश ने 15 हजार के बॉन्ड पर जमानत मंजूर कर ली।


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