● छत्तीसगढ़/अमृत टाइम्स डेस्क
न्यायधानी बिलासपुर में बीते सप्ताह सियासी हलचल तेज रही। एक तरफ एक दिन पहले भाजपा की सभा मे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनावी शंखनाद किया तो दूसरी तरफ कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस ने भी संगठनात्मक बूथ चलो अभियान सहित जगह जगह कार्यक्रम किए जिसमे संगठन प्रमुख, छत्तीसगढ़ प्रभारी सहित सूबे के मुखिया भूपेश बघेल शामिल हुए। इसके ठीक दूसरे दिन आम आदमी पार्टी ने भी सुप्रीमो व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी बड़ी सभा का आयोजन किया मगर आम आदमी पार्टी द्वारा कुछ पैराशूट ब्राण्ड नेताओ की सक्रियता,लंबी प्रेस कांफ्रेंस और प्रचार प्रसार के अलग अलग तरीको से भीड़ जुटा सभा को सफल करना उतना सार्थक नजर नही आया। राजनैतिक जानकारों का मानना है कि राष्ट्रीय पार्टी बन जाने के बाद भी आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ राज्य में कोई सक्रियता या संगठनात्मक पैठ बना ली हो यह कही से नजर नही आ रहा है। दो प्रमुख चेहरों, अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने थोड़ी जल्दी में सभा कर वापस जाने का फैसला किया। अब देखना यह भी होगा कि आगे आने वाले समय में बिलासपुर हो या राज्य के अन्य जिलों में,आप अपनी इन चंद टिकट प्रेमियों के बनिस्बत कोई छवि बना पाती भी है या नहीं।
बिलासपुर में आप पार्टी द्वारा आयोजित जनसभा साइंस कॉलेज मैदान मे की गई। अरविंद केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान छत्तीसगढ़ के आगामी चुनाव को देखते हुए अपने आगामी रणनीति या योजना के तहत लोगों के बीच में अपनी बात रखना चाहे मगर यहां की भीड़ मानो किराए की भीड़ जैसी दिखी जो दो बड़े नेताओं के राजनैतिक भाषण सुन मानो अनसुना कर रहे हो। दिल्ली और पंजाब के मॉडल पर चुनाव लड़ने की तैयारी का सपना संजो रही छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन उतना कारगर दिखता नजर नही आ रहा है। दिल्ली में बैठी आप की सरकार पंजाब में शानदार जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी की नजर अब छत्तीसगढ़ पर है। 2018 विधानसभा चुनाव में आप ने छत्तीसगढ़ में हाथ आजमाया था लेकिन कुछ खास नहीं कर पाई छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवत मान सिंह छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा की चुनाव को लेकर बिलासपुर में जनसभा को संबोधित किया मगर आम आदमी का प्रदर्शन लोगो की समझ से बाहर नजर आ रहा है। छत्तीसगढ़ के परिपेक्ष में जिन मुद्दों को लेकर के आप पार्टी प्रखरता के साथ आम आदमी के आवश्यक मुद्दों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर जनता के बीच में अपनी जगह बना पाने में सक्षम रूप से सफल नहीं हो पाई है। विगत कुछ दिनो पहले आप पार्टी ने लगभग 900 पदाधिकारियों को पद देकर जिम्मेदारी सौंपा गया था लेकिन पदाधिकारी बनने के बाद जिस तरह से प्रदेश में व्यापक रूप से कार्य में तेजी और मुद्दों को लेकर प्रबलता लानी चाहिए थी वो दिखाई नहीं दिया।पार्टी विस्तार संख्यात्मक रूप से अधिक पदाधिकारियों की संख्या देखने को मिला परंतु कार्यकर्ताओं एवं आमजनमानस की सक्रियता और जनहित मुद्दों को लेकर संघर्षरत होना उतना प्रबल रूप से नहीं दिखाई दिया। जिसकी वजह से अभी तक जनता के बीच में जगह बना पाने का सफर आसान नहीं दिख रहा है। बदलबो छत्तीसगढ़ अभियान और छत्तीसगढ़ के विकास, जनता के आवश्यक मुद्दों को लेकर वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा किसी भी तरह की पहल जमीनी रूप से इन विषयों को लेकर जिस स्तर पर की जानी चाहिए थी वह हो नहीं पाया । केवल कांग्रेस और भाजपा की आलोचना करने के बजाए धरातल मुद्दों के साथ जनहित से संबंधित मुद्दों को उठाकर पहल करने से सशक्त भूमिका का निर्माण हो सकता है।
आप पार्टी द्वारा छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा में बिजली, पानी ,शिक्षा,स्वास्थ्य ,सड़क ,रोजगार ,महंगाई आदि मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाकर कुछ खास विरोधाभास माहौल बना कुछ हासिल नही कर पाने वाली स्थिति दिख रही है। दिल्ली व पंजाब मॉडल को छत्तीसगढ़ से जोड़कर आम आदमी पार्टी द्वारा चुनावी राजनैतिक लाभ हासिल कर पाना सम्भव भी नही नजर आ रहा है। बहरहाल दो मुख्यमंत्री की संयुक्त सभा मे कोई विशेष सफलता हासिल न होने के बाद अब यह कहना मुश्किल भी है कि छत्तीसगढ़ की जनता आप पार्टी के विचारों से कितनी सहमत होती है इस बात का निर्णय छत्तीसगढ़ की जनता ही करेगी।