आज गायक-एक्टर किशोर कुमार की 95वीं बर्थ एनिवर्सरी है। वो जितने गजब के गायक थे, उतने ही अफलातून इंसान भी थे। फिल्मी दुनिया की वो इकलौती शख्सियत थे, जिनकी असल जिंदगी के किस्से भी उनकी फिल्मों जितने ही दिलचस्प और हंसाने वाले हैं। किशोर दा को गुजरे तीन दशक से ज्यादा हो गए, लेकिन उनके गाए गाने और अजीबोगरीब हरकतों के किस्से दोनों ही सदाबहार हैं।
आज किशोर दा के जन्मदिन के मौके पर पढ़िए उनकी जिंदगी के कुछ अनसुने किस्से…
चोट लगने पर चिल्ला-चिल्लाकर रोते थे, सुरीली हो गई आवाज
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त को खंडवा, मध्य प्रदेश में हुआ था, असली नाम था आभास कुमार गांगुली। उनके पिता कुंजालाल गांगुली वकील थे। वहीं नामी बंगाली परिवार से ताल्लुक रखने वालीं उनकी मां गौरी देवी हाउसवाइफ थीं। 4 भाई-बहन अशोक, सीता देवी, अनूप में किशोर कुमार सबसे छोटे थे। किशोर कुमार के बड़े भाई अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि किशोर दा बचपन से सुरीले नहीं थे। उनकी आवाज बैठी हुई थी। जब कभी गुनगुनाते थे तो बेसुरे सुनाई पड़ते थे।
एक दिन बचपन में मां किचन में सब्जियां काट रही थीं। नन्हे से किशोर दौड़ते हुए मां के पास जा ही रहे थे कि वहां रखा धारदार हंसिया उनके पैर में लग गया। पैर कट गया और तेजी से खून बहने लगा। कम उम्र के किशोर दर्द नहीं सह पाए और जोर-जोर से रोने लगे। ऐसे ही जब तक चोट में आराम नहीं मिला, तब तक किशोर दा रोज रोते रहे। घंटों रोने से उनके वोकल कॉर्ड्स पर इतना असर पड़ा कि वो सुरीले हो गए। किशोर दा भी उस हादसे को ही अपनी आवाज का श्रेय देते हैं।
1964 में फिल्म चारूलता का गाना रिकॉर्ड करते हुए किशोर दा।
क्लासरूम में टेबल पर तबला बजाया तो टीचर ने कहा- गाने-बजाने से कुछ नहीं होगा
किशोर दा को कभी भी पढ़ाई में ज्यादा रुचि नहीं थी। एक दिन वो क्लासरूम में बैठकर टेबल पर तबला बजा रहे थे। सिविक्स की क्लास थी। टीचर ने जैसे ही आवाज सुनी तो जोरदार फटकार लगा दी।
कहा- पढ़ाई-लिखाई में ध्यान दो, ये गाने-बजाने से कुछ नहीं होगा।
ये सुनकर किशोर कुमार ने जवाब दिया- देखना एक दिन इसी गाने-बजाने से मेरा नाम होगा। सालों बाद अपने हुनर से किशोर कुमार ने वो बात सच कर दिखाई।
बड़े भाई अशोक कुमार के गानों में कोरस सिंगर थे किशोर
किशोर कुमार के बड़े भाई अशोक कुमार 40 के दशक में हिंदी सिनेमा का बड़ा नाम बन चुके थे। अशोक मुंबई में रहते थे तो परिवार का आना-जाना भी मुंबई होने लगा। बड़े भाई की मदद से किशोर भी बॉम्बे टॉकीज में कोरस सिंगर बन गए। गाने गाते हुए उन्होंने अपना नाम आभास से किशोर कुमार कर लिया। एक दिन उनकी परफॉर्मेंस से खुश होकर डायरेक्टर खेमचंद प्रकाश ने उन्हें फिल्म जिद्दी (1948) के गाने मरने की दुआएं क्यों मांगू गाने का मौका दिया। गाना हिट हुआ और किशोर कुमार को लगातार हिंदी सिनेमा में गाने और अभिनय का मौका मिलने लगा। 1949 में वो भी बड़े भाई के साथ रहने मुंबई आ पहुंचे।
एस.डी. बर्मन ने पहचाना हुनर, तो नकल करना छोड़ बनाई पहचान
किशोर कुमार हमेशा से ही के.एल. सहगल, अमेरिकन सिंगर डैनी के और रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े प्रशंसक थे। अपनी दीवानगी जगजाहिर करने के लिए उन्होंने घर में तीनों की तस्वीरें टांग रखी थीं और रोज सुबह उनका नमन किया करते थे। जब रियाज की बारी आती तो के.एल. सहगल के गाने दोहराते रहते थे। एक दिन फिल्म मशाल (1950) के लिए एस.डी. बर्मन, अशोक कुमार से मिलने उनके घर पहुंचे। देखा तो उनके छोटे भाई किशोर दा बैठकर रियाज कर रहे थे।
एस.डी. बर्मन उनके पास गए और कहा अगर बड़ा सिंगर बनना है तो अपना स्टाइल ढूंढो, न कि किसी और की नकल करो। जब किशोर कुमार ने उन्हें योडलिंग सुनाई तो खुश होकर उन्होंने किशोर दा को देव आनंद की आवाज बना दिया। लगातार हिट देते हुए किशोर कुमार हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन सिंगर में गिने जाने लगे। उन्होंने अपने करियर में 1198 फिल्मों में 2678 गाने गाए।
किशोर दा अपनी फीस को लेकर काफी पाबंद थे। वो नो मनी, नो वर्क की पॉलिसी फॉलो करते थे। वो तब तक गाने की रिकॉर्डिंग शुरू नहीं करते थे जब तक उनका असिस्टेंट आकर ये न बता दे कि उनकी फीस पूरी मिल चुकी है। जब-जब उन्हें आधी-अधूरी फीस मिली, तब-तब उन्होंने अलग-अलग पैतरों से प्रोड्यूसर की नाक में दम किया।
पढ़िए उनके कारनामों के कुछ किस्से-
5 हजार रुपए कम मिले तो गुलाटी खाते हुए सेट से भागे
किशोर दा हमेशा से ही सिंगर बनना चाहते थे, लेकिन उन्हें अभिनय के भी कई ऑफर मिलते थे। जब भी कोई उनके पास फिल्म लेकर आता तो वो कोई-न-कोई बहाना करके उसे भगा देते थे।
1956 की बात है जब अशोक कुमार ने छोटे भाई को फिल्म भाई-भाई में काम दिलवा दिया। फिल्म के डायरेक्टर एम.वी.रमन ने उन्हें 5 हजार रुपए कम दिए थे। ऐसे में जब शूटिंग शुरू हुई और एक्शन कहा गया तो किशोर कुमार दो कदम चले, चिल्लाया 5 हजार रुपए और गुलाटी खाते हुए सेट से भाग गए। जब कुछ दिनों बाद किशोर दा को दोबारा सेट पर लाया गया तो वो कभी भागने की कोशिश करते, डायलॉग भूलने का बहाना बनाते, तो कभी बीमारी का, लेकिन बड़े भाई उनसे भी दो कदम आगे थे। जैसे ही सीन शूट होने लगा तो अशोक कुमार ने अपने दोनों पैर किशोर दा के पैरों पर रख लिए। भाई की सख्ती देखकर किशोर को शूटिंग करनी ही पड़ी।
फिल्म बंदी में बड़े भाई अशोक कुमार के साथ किशोर कुमार।
प्रोड्यूसर ने आधी फीस दी तो आधा सिर मुंडवाकर सेट पर पहुंचे
एक बार किशोर कुमार को एक फिल्म में कास्ट किया गया, लेकिन प्रोड्यूसर ने उन्हें ये कहते हुए आधी फीस दी कि आधी फीस फिल्म पूरी होने के बाद मिलेगी। किशोर दा ने उस वक्त तो कुछ नहीं कहा, लेकिन जैसे ही शूटिंग शुरू हुई तो वो आधा सिर और आधी मूंछे मुंडवाकर पहुंच गए। डायरेक्टर अपने हीरो की ऐसी बिगड़ी हालत देखकर डर गया। उन्होंने इस हालत का कारण पूछा, तो जवाब मिला- आधी फीस मिली है तो गेटअप भी आधा ही होगा, जब पूरे पैसे मिल जाएंगे, तो गेटअप पूरा हो जाएगा।
फीस रोकने वाले प्रोड्यूसर के घर के बाहर चिल्लाते रहे
किशोर कुमार ने जब प्रोड्यूसर आर.सी. तलवार के साथ काम किया तो उन्हें 8 हजार रुपए कम मिले थे। प्रोड्यूसर ने वादा किया था कि वो जल्द ही ये रकम चुका देंगे, लेकिन ऐसा करने में देर हो गई। ऐसे में किशोर दा रोज उनके घर के बाहर जाते और चिल्लाते- हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार। हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार।
किशोर दा रोज सुबह तब तक उनके घर के बाहर चिल्लाते रहे, जब तक उन्हें पैसे नहीं दिए गए।
किशोर दा भले ही अपनी फीस को लेकर पाबंद थे, हालांकि दरियादिली में उन्होंने कई बार मुफ्त में भी काम किया। राजेश खन्ना और डैनी डेन्जोंगपा के प्रोडक्शन में बनी फिल्मों के लिए उन्होंने मुफ्त में काम किया, जबकि उन्हें फीस दी जा रही थी। ऐसे ही कई जवानों के लिए और कैंसर हॉस्पिटल में फंड इकट्ठा करने के लिए उन्होंने कई बार मुफ्त में परफॉर्म किया था।
जबरदस्ती एक्टिंग करवाई तो देव आनंद को सेट पर गाली देकर भाग गए थे
एक फिल्म में अशोक कुमार, देव आनंद के साथ काम कर रहे थे। फिल्म के एक सीन के लिए देव आनंद के साथ एक लड़का चाहिए था तो पास खड़े अशोक कुमार ने कह दिया कि किशोर कुमार ये रोल कर लेंगे। लहरें रेट्रो के मुताबिक डायरेक्टर ने किशोर दा को समझाया कि जैसे ही देव आनंद साहब कमरे में दाखिल होते हैं वैसे ही तुम उन्हें खरी-खोटी सुनाते हो।
किशोर कुमार ने सिर हिलाकर इशारों में जवाब दिया कि वो समझ गए, लेकिन जैसे ही एक्शन की आवाज आई तो कुछ ऐसा हुआ, जिससे हर कोई दंग रह गया। देव आनंद के कमरे में आते ही किशोर कुमार ने उन्हें असल में गंदी-गंदी गालियां दीं और सेट से भाग गए। डायरेक्टर उन्हें पीछे से चिल्लाता रहा कि अभी सीन पूरा नहीं हुआ वापस आ जाओ, लेकिन वो नहीं लौटे।
फिल्म तमाशा में देव आनंद, मीना कुमारी और बिपिन गुप्ता के साथ किशोर दा।
कोर्ट से मांगी थी डायरेक्टर ने मदद
किशोर कुमार की इन्हीं शरारतों से डरकर एक डायरेक्टर ने कोर्ट से मदद मांगी। उन्होंने ऐसा एग्रीमेंट तैयार करवाया कि किशोर शूटिंग के दौरान उनकी हर बात मानें। कोर्ट के आदेश के बाद किशोर कुमार ने न चाहते हुए भी डायरेक्टर की हर बात मानी, लेकिन अलग अंदाज में।
किशोर कुमार का कार में एक सीन शूट होना था। शॉट पूरा हुआ, लेकिन किशोर कुमार गाड़ी से नहीं उतरे। कई घंटे बीते तो उनसे पूछा गया कि आप उतर क्यों नहीं रहे। इस पर किशोर दा ने कहा, क्योंकि डायरेक्टर ने मुझे उतरने को नहीं कहा।
शूटिंग करते हुए खंडाला निकल गए थे किशोर दा
एक फिल्म की शूटिंग के दौरान किशोर कुमार को कार में बैठकर कुछ मीटर का फासला पूरा करना था और उतरना था। जैसे ही एक्शन बोला गया तो किशोर कुमार ने कार चलानी शुरू की। डायरेक्टर ने कट नहीं बोला तो किशोर दा कार चलाते-चलाते खंडाला पहुंच गए।
बदला लेने के लिए फाइनेंसर को कर दिया था अलमारी में बंद
60 के दशक की बात है, फिल्म हाफ टिकट की शूटिंग के दौरान किशोर दा सबको अपनी जिद से तंग करते थे। इस बात से नाराज होकर फाइनेंसर कालिदास बटवाब्बल ने उनकी शिकायत इनकम टैक्स में कर दी। शिकायत पर किशोर दा के घर पर रेड पड़ी। कुछ समय बाद किशोर दा ने कालिदास को खाने पर अपने घर बुलाया।
कुछ समय बाद उसका भरोसा जीतने के बाद किशोर दा ने उनसे कहा कि वो कपड़ों की अलमारी में बैठकर कुछ जरूरी बात करेंगे। जैसे ही कालिदास अलमारी में बैठे तो उन्होंने बाहर से अलमारी बंद कर दी। उन्होंने 2 घंटों तक कालिदास को अलमारी में बंद रखा और फिर निकालकर घर से बाहर कर दिया। कहा कि आज के बाद मेरे घर में आने की हिम्मत मत करना।
किस्से किशोर कुमार की जिद के-
जब बी.आर. चोपड़ा से लिया बदला
बी.आर. चोपड़ा और अशोक कुमार अच्छे दोस्त थे। एक बार किशोर कुमार को काम की जरूरत पड़ी तो वो भाई की दोस्ती के चलते बी.आर. चोपड़ा के पास पहुंच गए। उस समय चोपड़ा ने किशोर दा के सामने कुछ शर्तें रख दीं। किशोर ने वो गाना ठुकरा दिया और कहा- आज मेरा वक्त बुरा है तो आप शर्त रख रहे हैं, देखना जब मेरा वक्त आएगा तो मैं भी शर्त रखूंगा।
समय बदला, लेकिन किशोर दा ये बात नहीं भूले। कुछ समय बाद बी.आर. चोपड़ा एक गाने का ऑफर लेकर किशोर दा के घर पहुंचे। ये उनके लिए बदले का समय था। उन्होंने कह दिया, मुझसे गाना गंवाना है तो जाइए पहले धोती, पैरों में जूते-मोजे पहनकर आइए। पान भी खाना। आपका मुंह लाल-लाल दिखना चाहिए और मुंह से लार टपक रही होनी चाहिए।
ये शर्त सुनकर बी.आर. चोपड़ा ने किशोर दा के भाई अशोक कुमार से कहा कि आप ही अपने भाई को समझाइए, लेकिन वो किशोर दा के मिजाज से वाकिफ थे। उन्होंने मामले में टांग नहीं अड़ाई। आखिरकार बी.आर.चोपड़ा को शर्त माननी ही पड़ी।
अमिताभ से गुस्सा होकर उनकी आवाज बनने से किया था इनकार
1981 में किशोर कुमार फिल्म ममता की छांव डायरेक्ट कर रहे थे। वो चाहते थे कि अमिताभ इस फिल्म में गेस्ट अपियरेंस में दिखें, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इस बात से किशोर दा इतना नाराज हुए कि उन्होंने अमिताभ पर फिल्माए गानों को आवाज देने से इनकार कर दिया। ठुकराई हुई फिल्मों में नसीब, कुली, मर्द, देश प्रेमी शामिल थीं। फिल्म ममता की छांव में रिलीज होने से पहले ही किशोर दा का 1987 में निधन हो गया। ऐसे में राजेश खन्ना ने उनके बेटे अमित की मदद कर 1989 में फिल्म रिलीज करवाई थी।
पत्नी ने तलाक लेकर मिथुन से शादी की तो उनके लिए गाना छोड़ा
किशोर ने पहली शादी रूमा गुहा ठाकुरता उर्फ रूमा घोष से 1951 में की, लेकिन ये शादी 1958 में टूट गई। बाद में उन्होंने दूसरी शादी एक्ट्रेस मधुबाला से 1960 में की। मधुबाला के दिल में छेद था, जिससे उनकी मौत हो गई। मधुबाला के बाद किशोर का दिल एक्ट्रेस योगिता बाली पर आ गया। दोनों ने 1976 में शादी कर ली, लेकिन दो साल बाद ये शादी टूट गई।
पहली पत्नी रूमा गुहा ठाकुरता के साथ किशोर दा।
योगिता बाली ने किशोर दा से तलाक लेने के बाद मिथुन से शादी कर ली। इस बात से परेशान होकर किशोर कुमार ने मिथुन के लिए गाना छोड़ दिया था। बता दें कि योगिता बाली के बाद 51 साल की उम्र में किशोर दा ने लीना चंदावरकर से चौथी शादी की थी। किशोर के दो बेटे सिंगर अमित कुमार (पहली पत्नी रूमा गुहा से) और सुमित कुमार (अंतिम पत्नी लीना चंदावरकर से) हैं।
घर के आंगन से निकले थे कंकाल
किशोर कुमार को एक्सपेरिमेंट का बेहद शौक था। एक बार वेनिस की नहरों से प्रेरित होकर किशोर दा ने ठान ली कि वो अपने वॉर्डन रोड, मुंबई स्थित घर के चारों ओर नहर बनवाएंगे। ये उनका सपना बन गया। फिर क्या था उन्होंने अपने सपने पर काम करना शुरू कर दिया। रोज म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का कर्मचारी उनके घर आकर बैठता और वो अपने मजदूरों से खुदाई करवाते।
एक दिन खुदाई करते हुए एक मजदूर को पहले हाथ की हड्डी मिली फिर कुछ दिनों में वहां कंकाल निकलने लगे। मजदूर डर गए और खुदाई रुक गई।
हर कोई समझ चुका था कि जिस जगह किशोर दा का घर है वो जगह पहले कभी कब्रिस्तान हुआ करती थी। उनके बड़े भाई अनूप वहां गंगाजल लेकर आए और पूरी जमीन का शुद्धिकरण करवाया गया। इसी के साथ किशोर दा का घर को वेनिस की तरह बनाने का सपना अधूरा रह गया।