छत्तीसगढ़ के जंगलों की प्राकृतिक शुद्धता की पूरे देश में बिखरेगी छटास्व-सहायता समूह की महिलाओं की समृद्धि के लिए तीन सरकारी संस्थाओं का एमओयू
इस एमओयू का सबसे बड़ा लाभ वनवासी महिलाओं को मिलेगा, जो हर दिन कड़ी मेहनत, लगन और विश्वास से छत्तीसगढ़ हर्बल्स के उत्पाद बना रही हैं। इनके बनाए उत्पादों को राष्ट्र व्यापी बाजार सुलभता से उपलब्ध होगा। छत्तीसगढ़ हर्बल्स भारत का पहला लघु वनोपज आधारित ब्रांड बनने की दिशा में तेजी से विकसित हो रहा है। प्रदेश के जंगलों की प्राकृतिक शुद्धता अब पूरे देश में पहुंचेगी और राज्य की इन वनवासी महिलाओं को अतिरिक्त आमदनी होगी। वे स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ेगी।
आदिवासी महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा बनाए गए छत्तीसगढ़ हर्बल्स के उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए आईआईएम रायपुर केंद्रीय भंडार के कर्मचारियों को रिटेल मैनेजमेंट का प्रशिक्षण प्रदान करेगा। केन्द्रीय भंडार को आईआईएम रायपुर की प्रशिक्षण विशेषज्ञता से लाभ होगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य में लघु वनोपजों के संग्रहण के साथ-साथ उनके प्रसंस्करण तथा विपणन आदि की सुगम व्यवस्था के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
एमओयू पर हस्ताक्षर के अवसर पर सीजीएमएफपी फेडरेशन के प्रबंध निदेशक श्री अनिल राय ने कहा कि ये छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है कि तीन बड़ी सरकारी संस्थाएं ग्रामीण महिलाओं के बनाए उत्पाद छत्तीसगढ़ हर्बल्स की बिक्री के लिए सहयोग करेंगे। जिससे स्व-सहायता समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होंगी।
आईआईएम रायपुर के निदेशक डॉ. राम कुमार काकानी ने कहा कि आईआईएम रायपुर पूर्ण रूप से छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की आजीविका की समृद्धि में सहयोग करेगा। हमारे विशेषज्ञों की टीम केंद्रीय भंडार के कर्मचारियों और राज्य लघु वनोपज संघ के साथ मिलकर निरंतर बेहतर काम करने के लिए संकल्पित है।
केंद्रीय भंडार के प्रबंध निदेशक डॉ. मुकेश कुमार ने वीडियो के माध्यम से शुभकामनाएं संदेश में कहा कि हमारे और पूरे देश के लिए यह स्वर्णिम अवसर है कि अब छत्तीसगढ़ आदिवासी भाई-बहनों के बनाएं प्रोडक्ट देशभर के केंद्रीय भंडार स्टोर्स पर उपलब्ध होंगे। आईआईएम रायपुर के विशेषज्ञ दिल्ली आकर केंद्रीय भंडार के कर्मचारियों को ट्रेनिंग देंगे। छत्तीसगढ़ हर्बल्स के उत्पाद के प्रमोशन और बिक्री से हम उन लाखों वनवासियों को आर्थिक सशक्त करने के लिए सहयोग करेंगे।