नूंह की साम्प्रदायिक हिंसा के बाद गुरुग्राम के तिघरा गांव में रविवार को हुई हिंदू समाज की महापंचायत में गुरुग्राम के हिंदू संगठनों ने एकसुर में मुसलमानों के आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार का आह्वान किया। जिले में लागू निषेधाज्ञा के बीच हुई महापंचायत में सभी निवासियों से मुसलमानों को किराए पर कमरा और नौकरी या रोजगार नहीं देने की अपील की गई। महापंचायत ने सेक्टर-57 में स्थित अंजुमन मस्जिद को हटाने की भी मांग की और कहा कि यह क्षेत्र हिंदू बहुल है। पंचायत ने मामले पर नजर रखने के लिए 101 लोगों की एक समिति बनाई। पंचायत ने कहा कि यदि युवकों को रिहा नहीं किया गया तो एक ‘बड़ा फैसला’ लिया जाएगा।
गुरुग्राम के सेक्टर-57 की अंजुमन मस्जिद में 31 जुलाई की रात हुई नायब इमाम की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार युवकों की रिहाई की मांग को लेकर रविवार को तिघरा गांव के बारात घर में हिंदू समाज की महापंचायत आयोजित की गई। महापंचायत में गुरुग्राम सहित अन्य जिलों के 200 गांवों के 700 से ज्यादा लोग शामिल हुए। इनमें विधायक, पार्षद, पूर्व पार्षद और सरपंच मौजूद रहे। इस दौरान सभी ग्रामीणों ने गिरफ्तार लोगों को एक सुर में रिहा करने की आवाज उठाते हुए पुलिस को सात दिन का अल्टीमेटम दिया।
मोहम्मदपुर गांव के सरपंच अत्तर सिंह की अध्यक्षता में हुई इस महापंचायत मेंनिर्वतमान पार्षद महेश दायमा ने बताया कि पंचायत में 101 लोगों की कमेटी बनाई गई। कमेटी सोमवार को जिला उपायुक्त को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप कर मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग करेगी। इसके अलावा गिरफ्तार लोगों को रिहा करने की भी मांग की जाएगी।
विधायकों और मंत्रियों को ज्ञापन सौंपेगे : कमेटी एक सप्ताह तक सभी विधायक और मंत्रियों को भी ज्ञापन देकर मांग रिहाई की मांग करेगी। पूर्व पार्षद सूबे सिंह वोहरा ने महापंचायत में कहा कि हमारे बच्चे अनाथ नहीं हैं, जो पुलिस बिना जांच के ही उन्हें उठा ले गई। उन्होंने कहा, “हमें उन लोगों के खिलाफ सबूत दिखाए जाएं, जिन्हें हिंसा के लिए गिरफ्तार किया गया है। मस्जिद के पास रहने वाले लोगों द्वारा परिवारों को परेशान किया जा रहा है और उन्हें निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन हम अब ऐसा नहीं होने देंगे।” उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए सभी बच्चे निर्दोष हैं। जल्द से जल्द उनकी रिहाई होनी चाहिए, वरना हम चक्का जाम कर देंगे और एक लाख लोग साथ में गिरफ्तारी देने के लिए तैयार हैं। पुलिस को गिरफ्तारी करने से पहले जांच करनी चाहिए थी। उसके बाद ही गिरफ्तार करना चाहिए था।
अपील किराए पर मकान न दें
इस महापंचायत के दौरान निर्वतमान पार्षद ब्रहम यादव ने कहा कि विशेष समुदाय के लोगों को किराए पर मकान नहीं दें। ये लोग इस शहर में आकर कमाते हैं और आश्रय देने वालों पर जानलेवा हमला करते हैं। इसलिए सभी एकजुट होकर इस पर अमल करें।
धार्मिक स्थल हटाने की मांग
महापंचायत में जिस धार्मिक स्थल को लेकर विवाद हुआ और उस मामले में गिरफ्तारी हुई, उसे लेकर भी चर्चा हुई। महापंचायत में धार्मिक स्थल को हटाने की भी मांग रखी गई। उसमें तर्क दिया गया कि धार्मिक स्थल के आसपास विशेष समुदाय के लोगों की आबादी नहीं है। इसको लेकर पहले भी विवाद हो चुका है।
‘मुख्यमंत्री इस्तीफा दें’
महापंचायत में बजरंग दल के सदस्य और पूर्व बार प्रधान कुलभूषण भारद्वाज ने आरोप लगाया कि नूंह हिंसा के संबंध में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन गुरुग्राम में संदिग्धों को नामजद किया गया है। उन्होंने दावा किया कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है वे भीड़ का हिस्सा नहीं थे। उन्होंने कहा कि नूंह हिंसा के घटना की जानकारी मुख्यमंत्री को शाम तक नहीं थी। मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हमें योगी आदित्य नाथ जैसा मुख्यमंत्री चाहिए। अगर यह संभव नहीं है तो नूंह को यूपी में शामिल कर देना चाहिए। इस तरह की हिंसक घटनाएं अब बर्दाश्त नहीं करेंगे।
इसके साथ ही भारद्वाज ने कहा, “गुरुग्राम में सैकड़ों मुस्लिम पुरुष बढ़ई, नाई, सब्जी विक्रेता, मैकेनिक और कैब ड्राइवर के रूप में काम कर रहे हैं और हमने हमेशा उनका समर्थन किया है, लेकिन अब हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें नौकरी न मिले।” कहीं से भी कोई समर्थन नहीं, क्योंकि वे शहर में शांति भंग करने के लिए जिम्मेदार हैं। मुसलमानों को शहर में प्रेम करने या काम करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। हम शहर के लोगों से अपील करते हैं कि वे उन्हें अपार्टमेंट या झुग्गियां किराए पर न दें।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए
बताया जा रहा है कि गुरुग्राम जिले में लागू निषेधाज्ञा के बीच जिला प्रशासन से इस महापंचायत के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी। इसके बावजूद सैकड़ों लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए। हालांकि, महापंचायत को लेकर जिला रविवार को गांव तिघरा और आसपास के इलाके में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। अर्धसैनिक बलों की कंपनियों को भी तैनात किया गया था। पुलिस और अर्धसैनिक बल यहां पर गश्त करते रहे।