9 को अपने अधिकारों के लिए मुखर हो – विकास मरकाम


नगरी। 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाएगा। समस्त प्रदेश एवं सिहावा विधानसभा क्षेत्रवासियों को विश्व आदिवासी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। विश्व भर के मूल निवासियों को समर्पित यह दिवस अपने संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूकता और उसके पालन को सुनिश्चित करने का दिवस है परंतु छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बहुल प्रदेश में आदिवासी समाज पर लगातार हो रहे अत्याचार, भेदभाव, छात्रावास आश्रम की बालिकाओं का शोषण और दुराचार जैसी घटनाओं पर अपनी कान मूंदकर बैठी भूपेश बघेल की सरकार से निम्न महत्वपूर्ण विषयों पर त्वरित कार्यवाही हेतु मांग पत्र लिखकर भाजपा अजजा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष विकास मरकाम ने आवाज बुलंद करते हुए कहा कि

  1. सुकमा के छात्रावास में 6 साल की आदिवासी बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले ने पूरे छत्तीसगढ़ को शर्मसार कर दिया है। इसपर कड़ी कार्रवाई की मांग करें साथ ही विगत वर्षों में आदिवासी छात्रावासों और कन्या आश्रमों में बालिकाओं के साथ यौन अपराध बढ़ गए हैं वे असुरक्षित हो गई है। पिछले वर्ष नारायणपुर के ओरछा से 4 बच्चियां लापता हो गई जिन्हे तमिलनाडु से बरामद किया गया। बीजापुर हॉस्टल में आदिवासी छात्रा से मारपीट जैसी कई खबरे मन को व्यथित कर देती है। यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही तो कोई भी माता पिता अपनी बेटी को छात्रावास – आश्रम में रखकर पढ़ाने की सोचना बंद कर देंगे।
  2. छत्तीसगढ़ सरकार ने 2022 से बस्तर सरगुजा एवं बिलासपुर संभाग के पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के स्थानीय भर्ती प्रावधान को समाप्त कर दिया है जिसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। यदि यह बहाल नहीं किया जाता तो स्थानीय आदिवासी बच्चे रोजगार से वंचित हो जायेंगे और वन की ओर विमुख हो जायेंगे।
  3. प्रदेश में जनजाति समाज के जनसंख्या के अनुपात में 32त्न आरक्षण प्रदान किया जाए विदित हो कि छत्तीसगढ़ सरकार ने मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में 20त्न आदिवासी आरक्षण रोस्टर के साथ भर्तियां कर रही है। इससे जनजातीय समाज के बेटे बेटियों को शिक्षा सत्र 2022 में 110 सीटों का नुकसान हुआ और 2023 में 160 सीटों का नुकसान होने की संभावना है। अर्थात इतने आदिवासी बच्चे चिकित्सक बनने से वंचित हो जायेंगे।
  4. जल, जंगल और जमीन पर आदिवासी समाज को निर्णायक अधिकार देने के लिए पेसा कानून लाया गया था लेकिन भूपेश सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में बेहद ही कमजोर पेसा कानून का अनुपालन किया जा रहा है। ग्राम सभा की स्वीकृति किसी भी योजना, परियोजना या कार्य के लिए ग्राम सभा की सहमति की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। हसदेव अरण्य में हजारों पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग ने इसी कमजोर प्रावधान का सहारा लिया।
  5. फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे शासकीय नौकरी करने वालों पर अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। अजा/अजजा के छात्र इस मुद्दे पर राजधानी में नग्न प्रदर्शन भी कर चुके हैं। प्रदर्शन करने वाले तो जेल की सलाखों में बंद है परंतु फर्जी जाति प्रमाण पत्र वाले ऐशो आराम की जिंदगी जी रहे हैं।
  6. तेंदूपत्ता संग्राहक भाई बहनों का बोनस सहित कई सुविधाएं समाप्त कर दी गई है। लघुवनोपज की खरीदी के लिए कोचियों को खुली छूट दे दी गई है। धर्मांतरण के बढ़ते मामले, मूल आदिवासियों और धर्मांतरित आदिवासियों में बढ़ता संघर्ष आदि विषयों पर सरकार का ध्यानाकर्षण करवाया।

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