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कलेक्टरी छोड़ राजनीति में आए पूर्व IAS ओपी चौधरी का BJP ने क्यों काटा टिकट…?

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“भाजपा के दूसरी सूची जारी होने पर भी किसी भी विधानसभा से ओपी चौधरी के नाम नही होने की दिख रही संभावना”

रायपुर/रायगढ़। भूपेश सरकार के खिलाफ तेवर दिखाने वाले पूर्व IAS ओपी चौधरी का BJP ने क्यों काटा टिकट? इतना ही नहीं बीजेपी के राष्ट्रीय और राज्य स्तर के आला नेताओं की गुड बुक में भी ओपी चौधरी का नाम शामिल है। इसका ही नतीजा है कि ओपी चौधरी को प्रदेश भाजपा संगठन में महामंत्री जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने साल 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ के जिन 21 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं, उनमें से एक हाई प्रोफाइल सीट खरसिया भी शामिल है। कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट मानी जाने वाली खरसिया से बीजेपी ने इस बार मनोज साहू को प्रत्याशी बनाया है। वहीं इस चर्चा यह भी है कि पूर्व आईएएस ओपी चौधरी रायगढ़ सीट पूरे दमखम से हर स्तर पर दावेदारी कर रहे हैं। ऐसा भी सुना जा रहा है कि 89 सीट संगठन व एक अपने लिए पसंदीदा सीट स्वयं घोषणा करने का दावा करने वाले पूर्व आईएस ओपी चौधरी के कारण 4 विधानसभा के शसक्त दावेदारी अब आक्रामक तेवर में आ रहे है कुलमिलाकर कलेक्टरी छोड़ राजनीति में आए ओपी चौधरी के ऐसे दावेदारी से भाजपा को कहीं नुकसानी ना झेलना पड़ जाए। स्वयं ओपी चौधरी के 4 विधानसभा से नाम की चर्चाओं से नेताओं में आक्रोश व्याप्त हो गया। बहरहाल रायगढ़ सीट से भाजपा के सुनील रामदास अग्रवाल सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।

बीजेपी द्वारा चुनाव के ऐलान से पहले ही प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होना चर्चा का विषय तो बना ही, लेकिन इसके साथ ही एक बड़ी चर्चा यह भी है कि आखिर खरसिया सीट से पूर्व आईएएस व मुखर युवा नेता ओम प्रकाश (ओपी) चौधरी का टिकट क्यों काटा गया। कहीं ऐसे भाजपा के निर्णय से उनका प्रभाव कम तो नही हो गया।

बीजेपी के राष्ट्रीय और राज्य स्तर के आला नेताओं की गुड बुक में भी ओपी चौधरी का नाम शामिल है। मगर एक विधानसभा से अपने को फोकस न करते हुए अनेक विधानसभा में सम्भावित उम्मीदवार होने की दावेदारी का कहीं बुरा असर उन विधानसभा में न देखने को मिल जाए। ओपी चौधरी को प्रदेश भाजपा संगठन में महामंत्री जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर ओपी चौधरी का टिकट क्यों काट दिया गया।

-उमेश पटेल से मिली थी हार

बता दें कि साल 2018 में विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले ही रायपुर कलेक्टर रहते हुए ही आईएएस से त्यागपत्र दिया और फिर बीजेपी में शामिल हो गए. पार्टी ने उन्हें उनके ही गांव वाले विधानसभा क्षेत्र खरसिया से प्रत्याशी बनाया. पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और खरसिया से लगातार 22 साल तक विधायक रहे स्वर्गीय नंद कुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल से ओपी चौधरी को हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में उमेश पटेल को 22 हजार 823 वोट मिले। जबकि ओपी चौधरी को 18 हजार 300 वोट।

अब 2023 चुनाव के लिए इस सीट से मनोज साहू को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है। चर्चा है कि खरसिया में इस बार भी कांग्रेस की स्थिति काफी मजबूत है। ऐसे में ओपी चौधरी फिर से बड़ा रिश्क नहीं लेना चाहते थे। बता दें कि पिछले करीब एक साल से राजनीतिक तौर पर ओपी चौधरी खरसिया से ज्यादा रायगढ़ जिले की ही एक अन्य सामान्य विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। मगर वहां के ताजा समीकरण में उनके लिए खरसिया के 2018 वाली स्थिति बनने की संभावना है। ऐसे में रायगढ़ सीट में ओपी चौधरी की दावेदारी से भाजपा को नुकसान होने की संभावना है। रायगढ़ विधानसभा से ओपी चौधरी को उम्मीदवार नही बनाया जाना चाहिए।

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