दीक्षांत समारोह में शोभायात्रा के साथ राष्ट्रगान के पश्चात राष्ट्रपति सहित अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती, छत्तीसगढ़ महतारी और गुरु घासीदास के छायाचित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलित

कार्यक्रम स्थल पर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का हुआ भव्य स्वागत।
बिलासपुर. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर में आयोजित दीक्षांत समारोह में सत्र 2021-22 की विभिन्न परीक्षाओं स्नातक, स्नातकोत्तर, पत्रोपाधि आदि में उत्तीर्ण 2 हजार 9 सौ 46 छात्र-छात्राओं को उपाधि दी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विद्यार्थियों को अपना आर्शीवचन दिया। उन्होंने सभी प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर के दशम दीक्षांत समारोह में उन सभी प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को अपनी ओर से हार्दिक बधाई देता हूँ, जिन्होंने अपने कठोर परिश्रम मेधा और अनुशासन के बल पर स्वयं को उपाधियों एवं स्वर्ण पदकों हेतु योग्य सिद्ध किया है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय हमेशा ज्ञान का प्रकाश रहा है। हमारा प्रदेश हमेशा समृद्ध रहा है। यहां पुरखो के आशीर्वाद से उत्कृष्ट मानवीय मूल्यों पर हमारा प्रदेश आगे बढ़ रहा है। बघेल ने कहा कि हमारे यहां प्रचुर संसाधन हैं, समृद्ध जैव विविधता है, सघन वन हैं, सुंदर प्रकृति है, सुंदर जनजीवन है, उत्कृष्ट मानवीय मूल्य हैं। ये सब हमें हमारे पुरखों से आशीर्वाद के रूप में मिले हैं, अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए इन्हें सहेजे, संवारें, अपनी इस धरती को और समृद्ध बनाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम युवाओं को लगातार आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। हमने 42 हजार पदों पर भर्ती की। रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के जरिए रोजगार, स्व-रोजगार और उद्यम दिए हैं। हम बेरोजगारी भत्ता भी प्रदान कर रहे हैं, ताकि युवाओं को आर्थिक मजबूती मिल सके और वे अच्छे भविष्य की तैयारी कर सके। उन्होंने कहा कि गुरुघासीदास जी को नमन करता हूं, जिन्होंने मनखे-मनखे एक समान का संदेश देकर ज्ञान का विस्तार किया। राज्यपाल का उद्बोधन गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर के 10वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर मैं अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। आज इस अवसर पर मैं उन सभी विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं, जो विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी कर उपाधि एवं पदक प्राप्त कर रहे हैं। मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं। मुझे आशा है कि आप अपने जीवन में यह कड़ी मेहनत जारी रखेंगे और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ेंगे और अपने और अपने माता-पिता द्वारा देखे गए सपनों को पूरा करेंगे। हम कोविड-19 महामारी के गंभीर प्रभावों से उबर रहे हैं। हालांकि इस कठिन समय ने हमें प्रभावित किया, हमारा देश मजबूती से खड़ा रहा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में इस चुनौती का बखूबी सामना किया। इस दौरान हमारे शैक्षणिक संस्थान और शिक्षा प्रणाली नई आवश्यकताओं के अनुरूप ढल गए और हमने शिक्षा प्रदान करने के लिए वैकल्पिक तरीके विकसित किए हैं। मैं कहूंगा कि हमने चुनौती को इस तरह अवसर में बदल दिया है कि आज शिक्षा अधिक सुलभ हो गई है और इसके द्वारा लाए गए नए रास्ते और आयामों से हर कोई परिचित है। दीक्षांत समारोह एक गरिमामय समारोह है जो आपकी कड़ी मेहनत को मान्यता देता है और साथ ही, आपके साथ एक जिम्मेदारी भी लेकर आता है। आपको जीवन के विभिन्न पहलुओं का पता लगाने के साथ-साथ नई चीजें सीखने के कई अवसर मिलेंगे। इस चरण के दौरान आप मूल्यों को आत्मसात करेंगे और क्षमताओं का विकास करेंगे। शिक्षा हमें संस्कारित तो बनाती ही है, अनुशासित भी बनाती है। यह हमें समाज में पद, धन और प्रतिष्ठा दिलाने में भी मदद करता है। जब आप इन चीजों को हासिल करते हैं, तो साथ ही यह एक इंसान के रूप में विकसित होने में भी मदद करता है।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का उद्बोधन

देवियों और सज्जनों सभी को जय जोहर, नमस्कार !

  • आज उपाधियां प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं हार्दिक बधाई देती हूँ। उनके माता-पिता को भी मैं बहुत-बहुत बधाई। विद्यार्थियों की सफलता में योगदान देने के लिए प्राध्यापकों तथा विश्वविद्यालय टीम के सदस्यों की मैं सराहना करती हूं।
  • मुझे यह देखकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले 76 प्रतिशत विद्यार्थियों में छात्रों की संख्या 45 है। जो लगभग 60% है। विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों में भी छात्राओं की संख्या लगभग 47% है।
  • छात्राओं के बेहतर प्रदर्शन के पीछे उनकी अपनी प्रतिभा लगन के साथ-साथ उनके परिवार जनों के साथ ही विश्वविद्यालय की टीम का योगदान भी है। मैं सभी सफलता के लिए उनको बहुत-बहुत बधाई देती हूँ।
  • हमारे देश की कुल आबादी में महिलाओं की संख्या लगभग आधी है। मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों की भागीदारी के साथ समाज सेवा के कार्य भी किए जाते हैं। मैं आशा करती हूं कि ऐसे कार्यों के अच्छे परिणाम सामने आए।
  • शिक्षा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण में अधिक योगदान होना चाहिए। हमारे देश के कुल आबादी में महिलाओं की आबादी आधी है। विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों की भागीदारी के साथ समाज सेवा के कार्य भी किये जा रहे हैं। ये अच्छी बात है।
  • विश्वविद्यालय के आसपास के क्षेत्र में आदिवासी समुदाय काफी है। राज्य की एक तिहाई आबादी जनजातीय है। जनजातीय समुदाय के प्रति संवेदनशीलता और महिलाओं की भागीदारी जैसे विषय बहुत महत्वपूर्ण है। विश्वविद्यालय द्वारा इस संबंध में अच्छा कार्य किया जा रहा है।
  • जो देश विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाने में आगे रहेंगे, वे ज्यादा तरक्की करेंगे। इस विश्वविद्यालय में आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही है। मैं आशा करती हूँ कि उपयोगी अनुसंधान के माध्यम से अपनी पहचान विश्वविद्यालय दुनिया में स्थापित करे।
  • भारत ने अपना चंद्रयान 3 चाँद में भेजा है। बरसों से निष्ठा से इस पर काम होता रहा। मार्ग में आने वाली रूकावटों की परवाह न करते हुए हम सब बढ़ते रहे। यही जीवन में भी होता है। तात्कालिक असफलताओं से हताश नहीं होना चाहिए। आज भारत अपने वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों के प्रतिभा के बल पर स्पेस क्लब तथा न्यूक्लियर के क्षेत्र में प्रमुख स्थान बना चुका है। हमने कम लागत में यह कार्य किया है जिसे दुनिया में सराहा गया।
  • कभी कभी इन क्षेत्रों में भारत को दुनिया में असहयोग का सामना करना पड़ा लेकिन भारत पीछे नहीं हटा और अपना लक्ष्य प्राप्त किया।
  • चुनौतियाँ हमारे जीवन में आती हैं लेकिन यह नये मौके भी लाती है। हमारे देश की परंपराएं अत्यंत समृद्ध है और इन्हें बचाये रखने में अनेक विभूतियों की मेहनत है। इस विश्वविद्यालय का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यहाँ गुरु घासीदास जी का नाम है। उन्होंने मनखे मनखे एक समान का संदेश दिया।
  • गुरु घासीदास ने सबकी समानता पर काम किया। समानता के आदर्शों पर चलकर ही युवा सुख के रास्ते पर चल सकते हैं और श्रेष्ठ समाज का निर्माण कर सकते हैं।
  • रायपुर का हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद के नाम पर है। वे स्वाध्याय, खेलकूद को भी महत्व देते थे। स्वामी जी आत्मविश्वास की मूर्ति थे। स्वामी जी ने शिकागो में भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता का विश्वघोष किया था। उस समय भारत में गुलामी की मानसिकता अपने चरम पर थी। एशिया के लोग हीनता की भावना से ग्रस्त थे। ऐसे वातावरण में विवेकानंद ने भारत का नाम बढ़ाया।
  • विश्व समुदाय के अग्रणी राष्ट्र में भारत की गणना होती है। स्वामी विवेकानंद के अद्भुत उदाहरण से प्रेरणा लेकर हमे युवा पीढ़ी को आगे बढ़ाना है।
  • आज हमारा तिरंगा चाँद पर पहुँच चुका है। चाँद की सतह पर हमने शिवशक्ति की ऊर्जा पहुँचाई है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के विषय पर विश्वविद्यालय को कुछ आयोजन करने चाहिए ताकि समाज में साइंटिफिक टेंपर का विकास होता रहे। यह हमारे संविधान के मूल कर्तव्यों में शामिल है।
  • हमारा देश अमृत काल में है। युवा संविधान में उल्लेखित मूल कर्तव्यों का पालन करेंगे तो समग्र विकास को जरूर गति मिलेगी।
  • मैं आप सभी को पुनः बधाई देती हूँ और आशीर्वाद देती हूँ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *