उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से सोमवार को श्रावण-भादौ मास की शाही सवारी आरंभ हो गई है। भगवान महाकाल एक साथ 10 रूप में भक्तों को दर्शन देने निकले हैं। महाकाल मंदिर से शाम 4 बजे शाही ठाठबाट के साथ सवारी शिप्रा तट की ओर रवाना हुई। मंदिर समिति के अनुसार अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ पर शिवतांडव, नंदी पर उमा महेश, रथ पर होलकर, घटाटोप, जटाशंकर, रूद्रेश्वर, चंद्रशेखर तथा सप्तधान स्वरूप में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले हैं। सवारी कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचेगी। यहां पुजारी शिप्रा जल से भगवान महाकाल की पूजा अर्चना करेंगे। पूजन पश्चात सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, ढाबारोड, टंकी चौराहा, मिर्जा नईम बेग मार्ग, छोटा तेलीवाड़ा, कंठाल, सतीगेट, छोटा सराफा, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर पटनी बाजार हाेते रात करीब 10 बजे महाकाल मंदिर पहुंचेगी।
शाही सवारी देखने के लिए करीब पांच लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। देशभर से भक्तों के उज्जैन पहुंचे हैं।
100 सदस्यों का दल उज्जैन पहुंचा, विशेष वाद्यों की प्रस्तुति देंगे कलाकार
शाही सवारी में पहली बार कर्नाटक की लोक संस्कृति की झलक भी दिखाई देगी। कर्नाटक से 100 कलाकारों का दल सवारी में प्रस्तुति देने के लिए उज्जैन पहुंचा है। शाही सवारी में इस बार 70 से अधिक दल शामिल हुए हैं। इनमें परंपरागत भजन मंडलियां व झांझ डमरू दल के अलावा कर्नाटक के लोक कलाकारों का दल विशेष आकर्षण का केंद्र है। कर्नाटक से करीब 100 कलाकार कृष्णमूर्ति रेड्डी के साथ सवारी में प्रस्तुति देने उज्जैन आए हैं। इनमें वाद्य व नर्तक शामिल है, जो अलग-अलग प्रस्तुतियां देंगे। इससे पहले यह कलाकार तिरुपति बालाजी सहित देश के अन्य प्रमुख मंदिरों में प्रस्तुति दे चुके हैं।
नए रथ पर सप्तधान स्वरूप में सवार होंगे महाकाल
शाही सवारी में भगवान महाकाल सप्तधान स्वरूप में नए रथ पर सवार होकर निकले हैं। रविवार शाम को दानदाता ने नया रथ मंदिर प्रशासन को सौंप दिया था। श्रावण अधिक मास होने से इस बार भगवान महाकाल की दस सवारियां निकाली गई थीं। इसके लिए समिति ने दानदाताओं के सहयोग से तीन नए रथ बनवाए हैं। दो रथ पिछली सवारियों में शामिल हुए थे। आज एक और नया रथ निकला है। शाम को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सवारी में भगवान महाकाल के दर्शन करेंगे। सिंधिया इंदौर से सीधे शिप्रा तट आएंगे तथा पालकी का पूजन करेंगे। बताया जाता है इसके बाद वे सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट के गोपाल मंदिर पहुंचेंगे तथा भगवान द्वारकाधीश की पूजा अर्चना करेंगे। इसके बाद परंपरा अनुसार गोपाल मंदिर पर पालकी का पूजन करेंगे।