सुकमा। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकार द्वारा चलाई जा रही पुनर्वास नीति का नक्सलियों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है जिससे प्रभावित होकर बड़ी संख्या में नक्सली हथियार छोड़ रहे हैं और समाज के मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। सरकार की पुनर्वास नीति के तहत योजनाओं का लाभ लेकर अपने परिवार के साथ खुशहाल जिंदगी जीने के लिए दो महिलाओं समेत तीन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। इन सभी आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। पुलिस ने आज यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि इनमें से एक महिला नक्सली पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन नक्सलियों ने कहा कि वे अमानवीय और खोखली’’ नक्सली विचारधारा से निराश थे और शनिवार शाम यहां पुलिस और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 50वीं बटालियन के अधिकारियों के सामने उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया।उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों की पहचान दुधी सुकड़ी (53), दुधी देवे (38) और माड़वी हड़मा (26) के रूप में हुई है। अधिकारी ने बताया कि तुमलपाड़ क्रांतिकारी महिला आदिवासी संगठन (नक्सलियों की एक प्रमुख इकाई) की प्रमुख के रूप में सक्रिय रही देवे पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था। अधिकारी के अनुसार तीनों नक्सलियों ने पुलिस को बताया कि वे जिला पुलिस के नक्सलियों के पुनर्वास अभियान ‘पुना नार्कोम’ से ‘‘प्रभावित’’ हैं।
‘पुना नार्कोम’ का स्थानीय गोंडी भाषा में अर्थ नयी सुबह, नयी शुरुआत होता है। उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के अनुसार सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। अधिकारियों ने पहले बताया कि पिछले साल राज्य में 384 नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था। सुकमा राज्य के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के सात जिलों में से एक है।