रायपुर : आज के युग में शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि छात्रों को जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक सभी कौशल प्रदान करना भी है। शिक्षा का सही अर्थ किताबी ज्ञान के साथ छात्रों को रचनात्मक, वैचारिक और तकनीकी शिक्षा प्रदान करना भी है। स्कूल केवल शिक्षा के केंद्र ही न रहें वो समर्पण और संस्कार के केंद्र भी बने यह आह्वान शिक्षा मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने रविवार को अंबिकापुर में एक स्कूल के शुभारंभ के अवसर पर किया। इस अवसर पर उन्होंने शासन की शिक्षा के प्रति सर्वोच्च प्राथमिकता जाहिर की। उन्होंने कहा कि, पहली कक्षा से 12वीं तक की शिक्षा के लिए पालक बच्चों को बाहर ना भेंजे, उन्हें परिवार के साथ रखकर ही शिक्षा दिलाएं। इस उम्र में ही बच्चे माता-पिता और परिवार से नैतिक मूल्यों और सामाजिक संस्कारों को ग्रहण करते हैं, जो उन्हें बेहतर नागरिक बनाते हैं।शिक्षा मंत्री ने कहा कि बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए राज्य में न्यू एजुकेशन पॉलिसी पर काम किया जा रहा है। उन्होंने आगामी सत्र से स्कूलों में पहले पीरियड में योग और प्राणायाम के साथ ही नैतिक शिक्षा शुरू करने की बात कही। उन्होंने कहा कि, शिक्षा के केंद्र स्कूल, व्यवसाय पर जोर न दें बल्कि प्रतिभाओं को सामने लाने की पहल करें। और निजी स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों के लिए भी बेहतर शिक्षा की व्यवस्था करें इससे ही काम में संतुष्टि मिलेगी।
इस अवसर पर आदिम जाति कल्याण तथा कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम ने भी स्कूली बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए बेहतर शिक्षा एवं सफलता हेतु शुभकामनाएं प्रेषित की। कार्यक्रम में अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, स्कूल प्रबंधन और शिक्षक, स्कूली बच्चे एवं उनके परिजन उपस्थित रहे।