कोरबा। यूं तो आपने चोरी, चार सौ बीसी, जालसाजी व ना जाने कितने अपराधों के बारे में सुने होंगे, जानते होंगे और नटवरलाल के बारे में भी जानते होंगे जो लोगों की आंखों में धूल झोंक कर हेरा फेरी किया करता था। आज हम आपको प्रशासन के नाक के नीचे प्रशासन के ही शासकीय कर्मचारी शासन के खजाने को लगभग 12 वर्षों से कैसे चूना लगा रहें है। जब हो रहे इस भ्रष्टाचार पर सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी मिली है, उस जानकारी में कई ऐसे तथ्य सामने आए जो काफी चौकाने वाले हैं। इस सनसनीखेज मामले से रूबरू कराते हैं।
अब यहां बड़ा प्रश्न यह खड़ा होता है कि जिस एक्सरे विभाग में मरीज अपनी सही स्थिति जानने आता है। वहां का टेक्नीशियन ना तो शासकीय कर्मचारी है और ना ही संविदा कर्मचारी है।
लेकिन इन सबसे मैडम को कोई सरोकार नहीं है वह तो महीने के आखिर में एक दिन प्रकट होकर पूरा हाजिरी लगाकर शासन को कई वर्षों से चूना लगा रही है। इन सब कृत्य में अस्पताल प्रबंधन के कुछ कर्मचारियों के साथ गांठ होने की भी जानकारी मिल रही है, जिसमें मुख्य रूप से लेखापाल हबीब खान की संलिप्तता साफ नजर आ रही है, जो हर महीने मैडम को वेतन बनाकर देते आ रहे हैं।
बता दे लेखापाल हबीब खान भी यहा कई सालो से पोंडी उपरोडा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जमे हुए है और शासन प्रशासन से आंख मिचौली का खेल लगभग 12 वर्षों से भी अधिक से जारी है। इस खेल में लाखों रुपए का दोनों कर्मचारी मिलकर शासन के कोषालय को चुना लगाते आ रहे हैं।
उनकी जगह उनका सहायक कर्मचारी (असिस्टेन्ट) वरुण कुमार उपस्थित रहता है और वरुण कुमार की नियुक्ति किस आधार पर हुई तो उन्होंने बताया कि वो भी शासकीय कर्मचारी है, उसका वेतन शासन द्वारा किया जाता है। लेकिन सूचना के अधिकार में चाही गई जानकारी में उपस्थिति पंजीयक में कहीं पर भी वरुण कुमार का नाम अंकित नहीं है और न ही नियमित शासकीय कर्मचारियों की सूची में और न ही संविदा नियुक्त कर्मचारियों में। अब सवाल यहां यह उठ रहा है कि आखिर मैडम की उपस्थिति को लेकर खण्ड चिकित्सा अधिकारी ने ऐसा क्यों कहा?
रेडियोग्राफर भूल जाती है कि रविवार व छुट्टियों में हाजिरी नहीं लगती-
सूचना के अधिकार से मिली जानकारी में कई ऐसे तथ्य सामने आए जो काफी चौकाने वाले हैं। रेडियोग्राफर सुरजमनी नीलम का नाम उपस्थिति पंजीयक में वरिष्टता सूची में सबसे आखरी में नाम दर्ज रहता है और मैडम माह के आखिरी दिनों में आकर हाजिरी रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने आती हैं लेकिन हस्ताक्षर करने की लय में यह भूल जाती हैं कि रविवार व अन्य त्योहारिक छुट्टियां भी होती है वो लगातार 1 तारीख से लेकर 30 तारीख तक अपनी उस्थिति दर्ज कर हस्ताक्षर करती है।
कहीं-कहीं पर उपस्थिति रजिस्टर में आखिरी नाम दर्ज होने के बाद क्रॉस किये गए लाइन के ऊपर ही उपस्थिति दर्ज की गई है।
स्थानीय जनप्रतिनिधि व जीवन दीप समिति के पूर्व सदस्य अशोक मिश्रा ने बताया कि यह जानकारी तो है कि यहां कोई मेडम रेडियोग्राफर के पद पर पदस्थ है लेकिन हमने आज तक नहीं देखा है उन्हें। एक लड़का है जो एक्सरे का काम करता है। जीवन दीप समिति के द्वारा मेरे रहते तो यहां कोई रेडियोग्राफर सहायक की नियुक्ति नहीं की गई है।