बिलासपुर| आयुष्मान योजना में गड़बड़ी के लिए बनाई गई जांच समिति के अध्यक्ष ने जांच के लिए एक महीने समय देने की मांग की है। अध्यक्ष ने डीन को पत्र लिखकर कहा है कि मामला बड़ा है। ऐसे में तीन दिन में जांच नहीं की जा सकती। वहीं इस पत्र के सामने आने के बाद अब मामले में दिग्गजों का हाथ होने के कारण जांच अधिकारियों पर बहानेबाजी करने का आरोप लग रहे हैं।
सिम्स में आयुष्मान योजना के तहत इंसेंटिव देने के मामले में हुई गड़बड़ी का खुलासा दैनिक भास्कर ने किया था। बड़ी मुश्किल से 28 दिन बाद डीन डॉ. केके सहारे ने जांच के आदेश दिए थे। डीन ने चार सदस्यीय टीम गठित कर तीन दिन के अंदर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। जांच समिति के अध्यक्ष डॉ. सुजीत नायक ने डीन को पत्र लिखकर बताया कि गड़बड़ी का मामला बड़ा है। जिनकी जांच होनी है उनकी संख्या भी अधिक है। ऐसी स्थित में तीन दिन के अंदर जांच कर दे पाना संभव नहीं है।
इसलिए कम से कम एक महीने का समय देने की मांग की है। हालांकि डीन ने अध्यक्ष के पत्र का जवाब नहीं दिया है। जानकारी के अनुसार सिम्स में 7.92 करोड़ रुपए की गड़बड़ी में योजना प्रभारी डॉ. चंद्रहास ध्रुव सहित अन्य पर आरोप लगे हैं। इस मामले में दिग्गजों का हाथ होने के कारण सिम्स के अधिकारियों द्वारा बार बार बहाने बाजी कर मामले को टालने की कोशिश की जा रही है। पहले सिम्स के अस्पताल अधीक्षक ने लिखित में आदेश मिलने पर जांच की बात कही थी। वहीं अब मामला बड़ा होने के कारण एक महीने का समय की मांग की है।
छुट्टी स्वीकृत करा चुके थे अध्यक्ष सिम्स के डीन डॉ. केके सहारे ने जांच समिति बनाई उस दौरान समिति के अध्यक्ष व अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुजीत नायक ग्रीष्मकालीन छुट्टी के तहत 15 दिन की छुट्टी ले चुके थे। छुट्टी से लौटने के बाद जांच करने में कम से कम 15 दिन से अधिक लग जाएंगे। संभवत: यही वजह है कि उन्होंने अब एक महीने का समय मांगाहै।