बिलासपुर/ बिलासपुर में डायरिया से लगभग सौ लोग पीड़ित हो चुके है और कई की हालत गंभीर भी है और ये हाल पूरे ज़िले में है जब दूषित पानी से नागरिकों की तबियत ख़राब हो रही है,पानी की पाइप लाइन नालियों से होकर जाती है और कटी फटी पाइप लाइनों से पीने का पानी दूषित हो रहा है जिसके कारण लोग बीमार हो रहे है और कम उम्र के बच्चों के भी हॉस्पिटल में भर्ती हुए है।सरकार ज़िम्मेदार मौन है या फिर फोटो खींचा कर अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा कर रहे है या खानापूर्ति कर रहे है लेकिन फोटोबाज़ी से समस्या का समाधान नहीं निकलने वाला है,सरकार को ज़िम्मेदारी और गंभीरता से काम करना होगा क्योंकि ये समस्या जड़ में है और समस्या को जड़ से ख़त्म करना होगा।सरकार ने अमृत मिशन की पाइप लाइन पूरे शहर में बिछाई है और जल जीवन मिशन में तो हज़ारों करोड़ के काम हुए है और हो रहे है,सकड़ों करोड़ का काम अमृत मिशन में किया है तो कहाँ पाइप लाइन बिछाई है कहाँ गया वो जनता का पैसा और क्यों नागरिकों को दूषित पानी मिल रहा है और मजबूर जनता दूषित पानी को पीकर बीमार पड़ रही है इसके लिये ज़िम्मेदार कौन है।सरकार के पास अगर पाइप लाइन के लिए पैसा नहीं है तो सोलवे वित्त की टीम अभी प्रदेश आयी हुई है माँग ले मोदी सरकार से आख़िर डबल इंजन की सरकार है।आज हॉस्पिटल में डायरिया से पीड़ित जनता अपने जीने मरने की स्तिथि में है और सुशासन का ढोल पीटने वाली सरकार जनता को साफ़ पानी तक नहीं दे पा रही है।शहर हो या गाँव हो सभी जगह लोग रहते है शहर की समस्या तो फिर भी दिख जाती है लेकिन गाँव की समस्या दिखती भी नहीं है और जो दिखता है वो भी सुधार नहीं हो रहा है फिर जो नही दिख रहा है उसके सुधार की तो बात ही क्या ? सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए क्योंकि लोगो के जीवन से जुड़े हुए मुद्दे और ये मूलभूत सुविधा का मामला है आख़िर नागरिकों का अधिकार है।