शिवनाथ नदी में मिली लाखों मरी हुई मछलियों के मामले में हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने भाटिया वाइंस के तर्क को फिलहाल रिकॉर्ड में दर्ज करने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि एसडीएम द्वारा पर्यावरण संरक्षण मंडल को अप्रैल माह में भेजे गए नोटिस पर की गई कार्रवाई को लेकर जवाब आने दीजिए। भाटिया वाइंस की तरफ से तर्क दिया गया कि किसी मछली पालन करने वाले किसान ने मरी हुई मछलियां को नदी में लाकर डाला है।
हाई कोर्ट ने भाटिया वाइंस को भी पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। अब इस मामले पर 30 जुलाई को सुनवाई होगी। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने 20 जुलाई को प्रकाशित खबर पर संज्ञान लिया था। राज्य शासन समेत 7 को पक्षकार बनाते हुए सोमवार को सुनवाई तय की गई थी।
तीन माह पहले नोटिस पर अब तक नहीं दी रिपोर्ट: सरकार
सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत ने बताया कि भाटिया वाइंस मर्चेंट प्राइवेट लिमिटेड से केमिकलयुक्त पानी बहाने की शिकायत मिलने पर पथरिया के एसडीएम ने क्षेत्रीय प्रबंधक, पर्यावरण संरक्षण मंडल, बिलासपुर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया था कि फैक्ट्री से खतरनाक रसायन वाला पानी छोड़ने के कारण हुई मौतों के संबंध में जांच कराएं। साथ ही कहा गया था कि इससे पशुओं, पौधों और फसलों को सीधे तौर पर खतरा है।
एसडीएम ने 2 मई 2024 तक रिपोर्ट मांगी थी। नोटिस की कॉपी मुंगेली कलेक्टर, तहसीलदार को भी भेजी गई थी। इसी दिन ही भाटिया वाइन मर्चेंट प्राइवेट लिमिटेड को नदी में रसायन युक्त पानी छोड़ने पर कारण बताओ नोटिस भी जारी कर 2 मई 2024 तक स्पष्टीकरण मांगा गया था। इसके बाद 12 जुलाई 2024 को रिमाइंडर भेजा गया, लेकिन आज तक रिपोर्ट नहीं मिली है।
20 को दिए फैक्ट्री बंद करने के निर्देश: पर्यावरण संरक्षण मंडल
पर्यावरण संरक्षण मंडल की ओर से एडवोकेट अमृतो दास ने एसडीएम के नोटिस पर कार्रवाई की जानकारी लेने के लिए समय मांगा। उन्होंने बताया कि 20 जुलाई 2024 को मंडल ने भाटिया वाइंस को नोटिस जारी कर कहा गया है कि अंडरग्राउंड प्लास्टिक पाइप लाइन के माध्यम से खजरी नाला में केमिकलयुक्त पानी छोड़ने की शिकायत मिली है। इस नाले का पानी शिवनाथ नदी में आकर गिरता है।
फैक्ट्री प्रबंधन को संबंधित विभागों से पानी के सैंपल और जांच कमेटियों की रिपोर्ट मिलने तक फैक्ट्री का संचालन बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। मेसर्स भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड को यह भी चेतावनी दी गई है कि उस पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति भी लगाई जा सकती है।
तालाब की मरी हुईं मछलियां नदी में छोड़ी गई: शराब कंपनी
इस पूरे मामले में भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड को पक्षकार नहीं बनाया था। हालांकि इसके बाद भी कंपनी ने सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिन्हा के जरिए अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि किसी फिश फॉर्मर यानी मछली पालन करने वाले किसान ने तालाब से लाकर मरी हुई मछलियां शिवनाथ नदी में लाकर डाली हैं।
उन्होंने कंपनी की ओर से नदी के ऊपरी हिस्से के पानी की जांच कराने की भी मांग की। हालांकि हाई कोर्ट ने भाटिया वाइन मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस का जवाब आने तक इन तर्कों को रिकॉर्ड में दर्ज करने से इनकार कर दिया।