बिलासपुर/ छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में नियमों को दरकिनार कर स्पंज आयरन लगाने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीर माना है। नाराज चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से पूछा है कि जगह देखे बिना प्लांट लगाने की अनुमति कैसे दे दी गई। हाईकोर्ट ने मामले में राज्य शासन के साथ ही पर्यावरण बोर्ड और स्पंज आयरन कंपनी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी।
हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर
बलौदाबाजार जिले के खजूरी गांव में अनिमेष पावर प्लांट का संचालन किया जा रहा है। इसी जगह पर अब स्पंज आयरन प्लांट भी लगाया जा रहा है। इसके लिए अलग से जमीन भी अधिग्रहित की गई है, जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। इसके खिलाफ स्थानीय निवासी दिलीप कुमार पांडेय और अन्य ने अपने एडवोकेट के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
कलेक्टर और पर्यावरण मंडल ने नहीं की सुनवाई
स्थानीय लोगों ने आयरन प्लांट औद्योगिक क्षेत्र में बनाने की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने विरोध-प्रदर्शन किया। साथ ही कलेक्टर व पर्यावरण प्रदूषण मंडल से भी शिकायत की। लेकिन, कलेक्टर और एसडीएम ने उनकी सुनवाई नहीं की।
पर्यावरण को होगा नुकसान, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं के एडवोकेट ने कोर्ट को बताया कि नदी और नाले के किनारे, रिहायशी इलाके या वन क्षेत्र में इस प्रकार का प्लांट नहीं लगाया जा सकता है।
पर्यावरण विभाग भी इसकी अनुमति नहीं देता है। यह इलाका शिवनाथ नदी के बिलकुल करीब है, आसपास कई गांव और जंगल भी हैं। यहां का पर्यावरण भी बुरी तरह प्रभावित होगा। इस पर डिवीजन बेंच ने एसडीएम से पूछा कि इस जगह का डायवर्सन कैसे कर दिया गया।
पर्यावरण बोर्ड के वकील से पूछा कि गांव वालों के विरोध के बाद भी अनुमति कैसे दे दी गई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने नाराजगी जताते हुए कहा कि शासन क्या ऐसे ही बिना मौके पर पहुंचे सब निर्णय कर लेता है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य शासन, पर्यावरण बोर्ड और स्पंज आयरन प्लांट को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।