रायपुर/ देशभर समेत छत्तीसगढ़ में आज से नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हो गई है। अब चार दिन छठ पूजा चलेगी। दुर्ग, सरगुजा, रायगढ़ और जगदलपुर समेत तमाम जिलों में छठ घाट बनाए गए हैं। वहीं बिलासपुर में एशिया का सबसे बड़ा स्थायी छठ घाट बनाया गया है। तोरवा छठ घाट मुंबई के जुहू से भी बड़ा है, जो साढ़े 7 एकड़ में फैला हुआ है।
इस छठ घाट में पुलिस चौकी, लाइटिंग, पार्किंग स्थल, सामुदायिक भवन और गार्डन बनाए गए हैं। वहीं भिलाई में सूर्यकुंड बनाया गया है, जहां 51 नदियों का पानी डाला गया है। यहां व्रती सूर्य देव और छठी मैया की पूजा कर रहे हैं। आइए जानते हैं छठ पर्व की हर छोटी-बड़ी बातें और मान्यताएं, छठ पर्व क्यों और कैसे मनाया जाता है।
- बिलासपुर में एशिया का सबसे बड़ा स्थायी घाट
बिलासपुर जिले में तोरवा स्थित छठ घाट एशिया का सबसे बड़ा स्थायी और व्यवस्थित घाट है, जहां 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु एक साथ छठ पूजा करने आते हैं। त्योहार से पहले यहां अरपा नदी की महाआरती की जाएगी। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में छठ पर्व ज्यादा मनाया जाता है, लेकिन पिछले एक दशक से छत्तीसगढ़ में भी उत्साह देखा जा रहा है।