धान खरीदी: तय मात्रा से कम का टोकन काटने से किसानों में आक्रोश,आनावारी के अनुसार हो तय मात्रा में खरीदी

अवैध परिवहन पर लगाम नहीं,सीमा पर मौजूद अफसरों की मॉनिटरिंग भी संदिग्ध

गरियाबंद। मात्रा में कटौती के मौखिक फरमान से किसानों में उपजा आक्रोश,दहशत ऐसा कि खरीदी प्रभारियों को पत्राचार कर टोकन सत्यापन के लिए एसडीएम को पत्र तक लिखना पड़ा। अचानक अव्यवस्था और फैले अशांत को रोकने बड़े फेरबदल की जरूरत है।
ओडिसा एवं आसपास अन्य प्रान्त से आने वाले अवैध धान छत्तीसगढ़ सरकार को करोड़ों का नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है क्योंकि जिला प्रशासन अब तक अवैध परिवहन पर लगाम नहीं लगा सकी है। सीमा पर मौजूद अफसरों की मॉनिटरिंग पर भी सवाल उठने लगा तो जिला प्रशाशन ने ,खरीदी मात्रा की लिमिट तय करने का रास्ता निकाल लिया था।पर इस रास्ते पर चलना इतना आसान नहीं था। विगत 16 नवंबर को खरीदी प्रभारी कर्मियों व जुड़े अफसरों की बैठक कर जिला प्रशाशन ने यह तय कर दिया था कि इलाके के उत्पादन के आधार पर ही टोकन काटा जाए। इसके लिए पिछले साल के अनावरी रिपोर्ट को आधार बनाया गया। इसी आधार पर 90 में से 69 खरीदी केंद्रों से 3 हजार से ज्यादा ऐसे किसानों की सूची भी बनाई गई जिन्होंने ने उप्तादन से ज्यादा मात्रा में धान विक्रय के लिए टोकन कटाया हो।अगले दिन सत्यापन कर मात्रा की कटौती करने के साथ ही पैदावारी को लिमिट बनाने की तैयारी कर लिया।

किसानों में आक्रोश से बेक फुट पर आई प्रशासन

बगैर किसी लिखित आदेश के खरीदी नीति को बदलने की कवायद के बीच किसानों का गुस्सा फूटना शुरू हो गया।सरकार की किरकिरी होने लगी तो एक भाजपा नेता भी प्रशाशन पर हावी हो गया। किसानों ने पिछली सरकार के साथ तुलना कर वीडियो भी जारी करने लगे।
आखिरकार प्रशासन को मात्रा कटौती के गुपचुप क्रियान्वयन के निर्णय को बदलना पड़ा।नीति में तय मात्रा के अनुपात में खरीदी शुरू किया गया।

वाहनों की एंट्री,घरों में मार रहे छापा

देवभोग अमलीपदर तहसील में ओडिसा को जोड़ने वाले 20 से ज्यादा रास्तों पर चेक पोस्ट इसलिए लगाया गया है ताकि ओडिसा से आने वाले धान के अवैध परिवहन को रोका जा सके,जिन्हें रोकने की जवाबदारी दी गई वही सीधे बिचौलिए और कारोबारियों से सेट हो गए।जिनसे सेटिंग नहीं हुई उनकी गाड़िया पकड़ी जा रही है।पकड़ी गई गाड़िया ,अवैध परिवहन में लगी गाड़ियों की संख्या की तुलना में 10 फीसदी भी नहीं हैं।कार्यवाही का दबाव बना तो अफसरों ने अपने लाइजनर,सेटिंगदारो की सूचना पर उन्हीं के द्वारा डंप धान को जप्त कर कार्यवाही का आंकड़ा दिखा रहे। किसान के घरों में छापे मारी के बजाए वाहनों पर फोकस करते तो आयातित धान की मात्रा पर नियंत्रण रहता।

जवाबदार बदले गए तो लगेगा लगाम

सरकार को इस साल के धान खरीदी में फिर से करोड़ों का चुना लगने वाला है।इसके जिम्मेदार जितने अवैध कारोबार में लगे लोग है उतनी ही जिम्मेदारी प्रसाशन के उन जवाबदार भी है जिन्होंने ने सेटिंग कर अवैध परिवहन को ग्रीन सिग्नल दे दिया है।इसे रोकने एक सिरे से जवाबदारों की फेर बदल करने की जरूरत है।ऐसा नहीं हुआ रो सरकार को करोड़ों का चुना तो लगेगा ही,बढ़ रहे आक्रोश से सरकार की छवि भी धूमिल होते नजर आ रही है।

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