■ त्वरित टिप्पणी/मनीष शर्मा
• अध्यक्ष द्वय संतुलाल सोनकर और हेमेंद्र गोस्वामी के नाली घोटाले और जाति मामले के चलते पूरा कार्यकाल रहा सुर्खियों में
• नाली घोटाले में जेल यात्रा और पद बर्खास्तगी के बाद कार्यकाल के अंतिम पड़ाव में मिली है संतुलाल सोनकर को राहत
• हेमेंद्र गोस्वामी के जाति मामले में राज्य शासन की अंतिम रिपोर्ट ने किया था पद से बाहर
• कलेक्टर वार्डों में जाकर नागरिकों की सुन रहे समस्याओं के अलावा म्युनिसिपल ऑफिस में लंबित कामों की भी ले रिपोर्ट
• वार्डों में साफ-सफाई, पानी, बिजली, अतिक्रमण आदि समस्याओं के अलावा और भी है खामियां
मुंगेली। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री अरूण साव की मंशानुरूप नगरीय निकाय में स्वच्छ एवं सुरक्षित रखने के उद्देश्य से ठीक नगर पालिका चुनाव के कुछ दिनों पूर्व जिला प्रशासन का अमला जमीनी स्तर पर घर घर समस्याओं से अवगत होने भ्रमण किया। यह पहल निश्चित रूप से व्यवस्था को दुरुस्त करने ठीक होगी मगर इसी म्युनिसिपल की मेजोरिटी में अचानक फोटोबाजी के उद्देश्य से सामने आ रहे कथित नेतानुमा लोगों के अचानक फ्रंट साइड आने के जनता के बीच नकारात्मक रूप से माहौल खराब होने वाली स्थिति ना बने शायद जिला प्रशासन को यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
यह भी विदित हो कि मुंगेली नगर पालिका में 2018 के चुनाव बाद अध्यक्ष संतुलाल सोनकर के 13 लाख के नाली घोटाले और राज्य में बनी भूपेश की कांग्रेस सत्ता के बाद मुंगेली नगर पालिका में पूरे पांच साल नाली घोटाला चर्चाओं में रहा जिला प्रशासन के वर्तमान अधिकारियों की ही टीम ने संतुलाल सोनकर के विरुद्ध अनेक निर्णय आदेश दिए थे बाद में अध्यक्ष पद हेमेंद्र गोस्वामी को मिला जो भी जाति मामले में सुर्खियों में रहे वर्तमान में नाली घोटाले से संतुलाल सोनकर को हाई कोर्ट से राहत मिली और पद में वापस आ गए है मगर पब्लिक की नजर में संतुलाल पूरे कार्यकाल बाहर ही रहे अब हेमेंद्र गोस्वामी जो कि जाति मामले के लपेटे में राज्य शासन के छानबीन समिति की अंतिम रिपोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश से पद से बाहर हो गए है। जिला प्रशासन को राज्य शासन की मंशानुरूप अपनी अनुभव पहल में इन बातों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि पदाधिकारी के आपसी विवाद या नकारात्मक निर्णय से आमजनमानस पर कोई प्रतिकूलता निर्मित ना हो।
बता दे मुंगेली नगर पालिका के अध्यक्ष पद के लिए पूरे कार्यकाल में अलग व्यवस्था रही थी स्वयं जिला प्रशासन स्तर से भी कोई राहत नही मिल पाई थी आज वही चेहरे जनता के सामने स्वयं प्रशासन सहित हो और मूलभूत समस्याओं के लिए औपचारिक फोटोबाजी के साथ वार्ड विशेष अथवा चिन्हित स्थानों के निरीक्षण मात्र से शासन और स्वयं म्युनिसिपल मंत्री की मंशानुरूप अनुभव पहल का लाभ मिलना संभव नही। जिला प्रशासन को चाहिए कि सबसे पहले नगर पालिका कार्यालय में आमजनमानस एवं विभाग के ही पीड़ित अधिकारी, कर्मचारियों की समस्याओं का निराकरण हो। साथ ही निकट नगरीय निकाय चुनाव में ऐसे कोई चेहरे आमजनमानस के सामने अचानक फोटोबाजी के लिए न पहुंचे जिससे शहरी क्षेत्र का माहौल खराब हो।
नगर पालिका दफ्तर में ही है समस्याओं का अंबार
शासन की मूलभूत समस्याओं के निराकरण जमीनी स्तर पर पहुंचने के पहले जिला प्रशासन व स्वयं नगर पालिका परिषद यह पहल करे की नगरीय निकाय के विभिन्न वार्डो के की लंबे समय लंबित समस्या का प्राथमिक रूप से निराकरण कर म्युनिसिपल दफ्तर में शिकायत शून्य दफ्तर किया जाना चाहिए।
पेंशन प्रकरण और अन्य समस्या से जूझ रहे स्वयं परिषद के कर्मचारी
यह भी ध्यान रहे कि म्युनिसिपल में कार्यरत और सेवानिवृत्त या फिर मृत्यु उपरांत मिलने वाले परिवारों को पेंशन के प्रकरण की कार्यवाही लंबे समय से लचर व्यवस्था के लिए लंबित है जिससे आश्रित परिवार के दैनिक दिनचर्या प्रभावित हो रहे है ऐसे सभी गंभीर समस्याओं के लिए भी जिला प्रशासन व स्वयं नगर पालिका परिषद को त्वरित निराकरण करना चाहिए ताकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अथवा उप मुख्यमंत्री अरुण साव के समक्ष पीड़ित पक्ष की शिकायत ना पहुंचे और उनकी मंशानुरूप आमजनमानस की समस्याओं का त्वरित निराकरण हो पाए। जिला प्रशासन अथवा नगरीय निकाय के जिम्मेदार अधिकारी यदि पूरी ईमानदारी से यह संकल्प ले ले तो निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम आएगा। और वार्ड चलो अभियान की के पहल के पूर्व ही वार्डो की समस्याओं से निजात मिल पाएगी।