मेष- किसी अधिकारी के कारण मानसिक तनाव रह सकता है. समझौता की नीति अपनाने से लाभ होगा. मानसिक चिन्ता रह सकती है. फिजूल खर्च बढे़गा.
वृषभ- कार्य क्षेत्र में लाभ होगा. नये मैत्री संपर्क स्थापित होंगे, पूज्य व्यक्ति की सलाह उपयोगी रहेगी. सुख मनोरंजक यात्रा का योग है.
मिथुन- शत्रु बाधा दूर होगी. जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा. पारिवारिक प्रसन्नता बनी रहेगी. मानसिक संतोष और हर्षदायक वातावरण रहेगा.
कर्क- मान सम्मान एवं प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. विरोधी वर्ग सक्रिय रहेंगे. धार्मिक क्षेत्र में लाभ प्राप्त होगा. कार्यो की अधिकता रह सकती है.
सिंह- आपके प्रयासों में सफलता मिलेगी. यात्रा में सावधानी व सतर्कता बांछनीय है. नवीन कार्यो में विचार विमर्श होगा. प्रतिष्ठा बढे़गी.
कन्या- उदर विकार तथा रक्त पीड़ा से तकलीफ हो सकती है. सोचे हुये कार्यो में अनावश्यक विरोध हो सकता है. पत्राचार में सावधानी रखें.
तुला- नवीन योजनाओं का क्रियान्वयन होगा. मित्रों का सहयोग मिलेगा. दिनचर्या नियमित रहेगी. अतिथि आगमन हो सकता है. यश मिलेगा.
वृश्चिक- कोर्ट कचहरी आदि के कार्यो में सफलता मिलेगी. निजी दायित्वों की पूर्ति होगी. परिश्रम अधिक करना होगा. साहस पराक्रम बढ़ेगा.
धनु- संतान के स्वास्थ्य की चिन्ता रहेगी. मनोवांछित सफलता मिलने का योग है. वाणी कटुता आपके कार्य में व्यवधान कर सकती है. संयम से कार्य करें.
मकर- रक्त संबंधियों, पड़ोसियों से संतुलित संभाषण हितकर रहेगा. पूज्य व्यक्ति की सलाह उपयोगी रहेगी. उदर विकार रह सकता है.
कुम्भ- कार्य व्यस्तता अधिक रहेगी. सुख सुविधाओं में वृद्धि होगी. प्रिय संदेश प्राप्त होगा. निजी पुरूषार्थ बना रहेगा. यश प्राप्त होने का योग है.
मीन- नये संबंधों का लाभ होगा. मांगलिक कार्यो पर विचार होगा. परिश्रम की अधिकता रह सकती है. प्रियजनों का सहयोग बना रहेगा.
व्यापार-भविष्य:-
मार्गशीर्ष शुक्त एकादशी को रेवती नक्षत्र के प्रभाव से गेहॅू, जौ, चना, बाजरा, के भाव में मंदी होगी. गुड़ खांड़ शक्कर, कालीमिर्च, धनियां, बादाम, लहसुन, प्याज, अदरक, के भाव में तेजी होगी. सरसों, अलसी, अरंडी, के भाव में नरमी रहेगी. भाग्यांक 8065 है.
पंचांग:-
रा.मि. 20 संवत् 2081 मार्गशीर्ष शुक्त एकादशी बुधवासरे रात 10/39, रेवती नक्षत्रे दिन 9/50, वरीयान योगे शाम 5/37, वणिज करणे सू.उ. 6/46 सू.अ. 5/14, चन्द्रचार मीन दिन 9/50 से मेष, पर्व- मोक्षदा एकादशी व्रत, शु.रा. 1,3,4,7,8,11 अ.रा. 2,5,6,9,10,12 शुभांक- 3,5,9.
आज जन्म लिये बालक का फल:-
आज जन्म लिया बालक स्वस्थ्य, सुन्दर, हष्टपुष्ट, मिलनसार,धार्मिक, प्रवृत्ति का होगा. क्रोध की भावना अधिक रहेगी. शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति करेगा. माता पिता का विशेषभक्त होगा. प्रवास का शौकीन होगा. मनोरंजन, आमोद प्रमोद का शौकीन होगा.
आज जिनका जन्म दिन है, उनका आगामी वर्ष:-
वर्ष के प्रारंभ में योजनाओं का शुभारंभ होगा. सांसारिक सुखों की प्राप्ति होगी. वर्ष के मध्य में पारिवारिक सुख अच्छा रहेगा. व्यवसाय में सुधार होगा. वर्ष के अन्त में उतावलेपन में लिये गये निर्णय से हानि होगी. शत्रु पक्ष प्रबल रहेगा. अत्याधिक परिश्रम से मन व्यथित रहेगा. मेष और वृश्चिक राशि के व्यक्तियों को शत्रु पक्ष प्रबल होगा. वृष और तुला राशि के व्यक्तियों को अत्याधिक परिश्रम से मन में पीड़ा होगी, और थकान महसूस करेंगे. कर्क राशि के व्यक्तियों को पारिवारिक जीवन सुखद रहेगा. मिथुन और कन्या राशि के व्यक्तियों को व्यापार में सुधार होगा. सिंह राशि के व्यकितयों को यथेष्ठ संयम से काम लेना हितकर रहेगा. अपनी वाक पटुता पर विशेष संयम रखना चाहिये.
व्रत-त्यौहार एवं जयंती दिवस:-
बुध ता. 11 भद्रा 11 बजकर 37 मिनिट दिन से 10 बजकर 26 मिनिट रात तक, मोक्षदा एकादशी व्रत, गीता जयंती, ओशो जन्मोत्वस
गीता जयंती:-
विश्व के किसी भी धर्म या सम्प्रदाय के किसी ग्रन्थ का जन्म दिन नहीं मनाया जाता, जयंती मनायी जाती है, तो केवल श्रीमद् भगवत गीता की. क्योंकि यह ग्रन्थ किसी मनुष्य द्वारा लिखे या संकलित किये गये हैं, जबकि गीता का जन्म स्वयं श्री भगवान के मुख से हुआ है. गीता जी का जन्म धर्म क्षेत्र कुरूक्षेत्र में श्री भगवान के विभूति स्वरूप मार्गशीर्ष मास में उनकी प्रिय तिथि शुक्ल पक्ष की एकादशी को हुआ था, यह तिथि मोक्षदा एकादशी व्रत के नाम से विख्यात है. गीता एक सार्वभौम ग्रन्थ है, यह किसी देश, काल, धर्म, सम्प्रदाय या जाति विशेष के लिये अपितु सम्पूर्ण मानव जाति के लिये है, इसे स्वयं भगवान ने अर्जुन को निमित्त बताकर कहा गया है, इसलिये इस ग्रन्थ में कहीं भी श्री कृष्ण वाच शब्द नहीं आया, बल्कि श्री भगवान उवाच का प्रयोग किया गया है, जिस प्रकार गाय के दूध को बछडे़ के बाद सभी धर्म प्रदाय के लोग पान करते हैं, उसी प्रकार यह गीता ग्रन्थ भी सभी के लिये जीवन पाथेय स्वरूप है. सभी उपनिषदों को ही गौ स्वरूप गीता माता है. इसे दोहने वाले गोपाल श्रीकृष्ण हंै, अर्जुन रूपी बछड़े के पीने से निकलने वाले महान अमृत सदृश्य दूध ही गीतामृत है. गीता हमें जीवन जीने की कला सिखाती है, जीवन जीने की शिक्षा देती है. केवल इस श्लोक के उदाहरण से ही इसे अच्छी प्रकार से समझा जा सकता है:-
.. सुख दुख समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ. तारो सुद्धांग पुरूषत्तम में पापमंवापश्यसि..
हम सब भाग्यवान हैं, कि हमें इस संसार के घोर अंधकार से भरे घने मार्गों में प्रकाश दिखाने वाला यह अक्षय धर्मदीप प्राप्त हुआ है.