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चुनाव दौरान ‘जय-जय बजरंग बली’ और ‘जय श्री राम’ का होता रहा गुणगान…
टिंगी की दुकान पर सुबह से ही भीड़ लगी थी..देहाड़ी कमाने वाले बस्ती के लोग रोजमर्रा की खरीदारी करने दुकान पहुंचे थे.. तभी किसी ने रेवड़ी के दाम पूछ लिया..टिंगी भी चौंके मगर ग्राहक को भगवान मानकर वो रेवड़ी वाली आलमीरा ढूढ़ने लगे..असल में मकर संक्रांति के बाद रेवड़ी की डिमांड कम हो गई थी फिर उस डिब्बे को सामने सजा रखने की जरूरत नहीं रह गई थी।
रेवड़ी खोजने में परेशानी हो रही थी और दुकान में भीड़ बढ़ती जा रही थी..रेवड़ी खरीदने वाले के चेहरे में खिसयाने के भाव आते इससे पहले भीड़ में से किसी ने पूछ लिया भइया रेवड़ी तो मकर संक्रांति में खाई जाती है अब तो फाल्गुन लग चुका है। अभी तो चुनाव निपटे हैं और फाल्गुन का मौसम भी है ऐसे मौसम में भला रेवड़ी भी कोई खाने की चीज है।
लाइन में पत्रकार मोतीलाल भी खड़े थे…वो रेवड़ी की बात को आगे बढ़ाते हुए हुए कहा.. अरे भाई चुनाव और रेवड़ी का कोई फिक्स टाइम होता है क्या..? चुनाव और रेवड़ी तो साथ साथ चलती है। तभी किसी ने कहा..रेवड़ी वाला चुनाव तो निपट गया अभी तो चेपटी और साड़ी वाला चुनाव है.. अब तो टिंगी से नहीं रहा गया उसने भीड़ को टरकाने वाले अंदाज कहा, इसका क्या मतलब..गोल गोल मत घुमाओ सीधे सीधे पाइंट पर आओ…दुकानदारी का टाइम है।
अब तो सीधे पाइंट पर बात होने लगी। भीड़ में से किसी ने बताया मुंगेली नगर पालिका के चुनाव में एक वार्ड इतनी चेपटी बंटी की वार्ड के नुक्कड़ पर खाली बोतल खरीदने वाले दो-दो कबाड़ी दुकान खोल बैठे हैं। लेकिन, वहां पर दो मिल्क पार्लर भी खुली हैं उनका क्या..रंग में भंग डालते हुए एक चेपटी प्रेमी उलट सवाल दाग दिया। रेवड़ी से शुरु हुई बात अब मिल्क पार्लर पर जाकर रुकी।
अब तो हर कोई जानना चाहता था…माजरा क्या है..तो किसी ने बताया एक दुकान चेपटी वाली पार्टी की थी तो दूधवाली दुकान दूसरे पार्टी की ओर से खोली गई। वोटिंग तक दोनों दुकानों में जमकर भीड़ रही। चेपटी के बाद दूध और उसके साथ रेवड़ी मजा करा दिया..बड़े से लेकर बच्चों तक का पूरा इंतजाम पार्टी वालों ने करा दिया। मगर जीता कौन..सवाल जब यहां पहुंचा तो चेपटी वाले एक एक वहां से खिसकने लगे..मतलब साफ था..दूध वाली पार्टी यहां से जीत गई। धीरे.धीरे ये बात पूरे शहर में फैल गई,और लोग फाल्गुन उत्सव वाले मूड में इसका जमकर मजा ले रहे हैं और दूध की दुकान खोलने वाले नेताजी इठलाते फिर रहे हैं।