
सीपत : एनटीपीसी सीपत परियोजना के कला निकेतन प्रांगण में “हमर धरोहर अंतर ग्रामीण लोक कला प्रतियोगिता 2025” का भव्य आयोजन किया गया। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में परियोजना प्रभावित ग्राम—गतौरा, रलिया, रांक, जांजी, कौड़िया, सीपत और कर्रा—से 12 दलों के 175 प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। 8 से 80 वर्ष की आयु के कलाकारों ने छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक परंपरा को जीवंत करते हुए रंगारंग लोकगीतों और नृत्यों की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का उद्देश्य छत्तीसगढ़ी संस्कृति की विरासत को सहेजना और नई पीढ़ी को उससे जोड़ना रहा। जस गीत, सुआ, बांस गीत, पंथी नृत्य सहित अनेक पारंपरिक विधाओं ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कलाकारों की पारंपरिक वेशभूषा और प्रस्तुति ने ग्रामीण जीवन की झलक मंच पर बखूबी पेश की।
मुख्य अतिथि एवं परियोजना प्रमुख विजय कृष्ण पांडेय ने विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने कहा, “इस तरह के आयोजन हमारी संस्कृति को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लोक परंपराएं हमारी असली पहचान हैं, जिन्हें सहेजना हमारी जिम्मेदारी है।” कार्यक्रम का सफल संचालन एनटीपीसी के प्रवीण भारती ने किया।
सम्मानित हुए लोक कलाकार, स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र प्रदान
समारोह में जनपद पंचायत मस्तूरी अध्यक्ष सरस्वती सोनवानी, एनटीपीसी के महाप्रबंधकगण अनिल शंकर शरण, आलोक त्रिपाठी, स्वप्न कुमार मंडल, ब्रजराज रथ, एचआर प्रमुख जयप्रकाश सत्यकाम, सीआईएसएफ उप कमांडेड कपिल सुधाकर, यूनियन प्रतिनिधि, प्रेस क्लब के पत्रकार व ग्रामीण प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही।
समापन अवसर पर सभी कलाकारों को स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस वर्ष प्रतियोगिता का दूसरा संस्करण था।
प्रतियोगिता परिणाम:
प्रथम स्थान: रलिया की पंथी टीम
द्वितीय स्थान: कौड़िया की बांस गीत टीम
तृतीय स्थान: जांजी की छत्तीसगढ़ दर्शन टीम
सभी विजेताओं को ट्रॉफी और प्रतिभागी दलों को आकर्षक पुरस्कार प्रदान किए गए।
कार्यकारी निदेशक की प्रेरणादायक बात:
पांडेय ने अपने संबोधन में कहा, “आज भी हमारी लोक संस्कृति गांव की गलियों, त्योहारों की रौनक और घर-आंगन की सजावट में जीवित है। हमें इसे सिर्फ स्मृति नहीं, जीवनशैली बनाना चाहिए।” उन्होंने स्वच्छता के प्रति शपथ दिलाते हुए कार्यक्रम का समापन किया।