बीते दिनों अबूझमाड़ के कुडमेल-कलहाजा-जाटलूर जंगल क्षेत्र में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए ऐतिहासिक माओवादी विरोधी अभियान में सीपीआई (माओवादी) को बड़ा झटका लगा है। इस कार्रवाई में संगठन के महासचिव नामबाला केशव राव उर्फ बसवराजु उर्फ बीआर दादा उर्फ गंगन्ना मारा गया। बसवराजु देश का सबसे वांछित माओवादी था, जिस पर केवल छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। अन्य राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा भी उस पर इनाम घोषित किए गए थे।

इस मुठभेड़ में 27 सशस्त्र माओवादी ढेर हुए। मारे गए उग्रवादियों में 2 आंध्र प्रदेश और 3 तेलंगाना से थे। मृतकों में शामिल थे—
1 महासचिव/पोलित ब्यूरो सदस्य (PBM)
1 डीकेएसजेडसीएम
4 सीवाईपीसीएम
3 पीपीसीएम
पीएलजीए कंपनी नंबर 7 के 18 सक्रिय सदस्य
सिर्फ छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा घोषित इनामी राशि ₹3.33 करोड़ थी।
लूटे गए हथियार बरामद
इस अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने दंतेवाड़ा (2010 ताड़मेटला हमला), सुकमा (2017 बुरकापाल हमला) और नारायणपुर (2010 गवादि हमला) के दौरान माओवादियों द्वारा लूटे गए हथियार भी बरामद किए। इनमें शामिल हैं:
एके-47 राइफल – 3
एसएलआर – 4
इंसास राइफल – 6
कार्बाइन – 1
.303 राइफल – 6
बीजीएल लॉन्चर – 1
सुरका (रॉकेट लॉन्चर) – 2
12 बोर बंदूक – 2
पिस्तौल – 1
भरमार – 2
साथ ही भारी मात्रा में अन्य हथियार और गोला-बारूद भी मिले हैं।
शवों की पहचान और अंतिम संस्कार
मुठभेड़ में मारे गए 27 नक्सलियों में से 20 के शव परिजनों को दावे के सत्यापन के बाद सौंपे गए। इनमें से एक माओवादी कैडर कोसी उर्फ हुंगी के परिजन 26 मई को शव लेने पहुंचे और संक्रामक रोग की आशंका के कारण शव का अंतिम संस्कार नारायणपुर मुख्यालय में ही किया गया। शेष 7 शवों, जिनमें बसवराजु का शव भी शामिल था, का अंतिम संस्कार कार्यपालक मजिस्ट्रेट के आदेश पर विधिसम्मत रूप से नारायणपुर में किया गया।
बसवराजु का काला इतिहास
बसवराजु, जो 2018 से सीपीआई (माओवादी) का महासचिव था, हजारों निर्दोष आदिवासियों और सुरक्षा बलों की हत्या का दोषी था। वह लंबे समय से आदिवासी बच्चों को जबरन संगठन में भर्ती कर उनकी ज़िंदगियाँ बर्बाद कर रहा था। उसकी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संलिप्तता वाले 258 से अधिक मामलों की जांच अब तक की जा चुकी है। नारायणपुर पुलिस इस संबंध में आगे की वैधानिक कार्रवाई कर रही है।
सीपीआई (माओवादी) की स्वीकारोक्ति
मुठभेड़ के बाद संगठन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में 28 कैडरों की मौत की पुष्टि की गई है। साथ ही उन्होंने अपने समर्थकों से देशभर में रैलियाँ और सभाएँ आयोजित कर मृतकों को महिमामंडित करने की अपील की है। पुलिस और खुफिया एजेंसियां अब इनके भूमिगत नेटवर्क और ओवर ग्राउंड समर्थकों की गतिविधियों पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।