बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान कहा कि, भारत के संविधान की अनुच्छेद 21 में व्यक्ति को सभ्य होने का अधिकार है। इस अधिकार का मतलब मानवीय गरिमा के साथ जीवन है और यह अधिकार उस व्यक्ति पर भी लागू होता है, जो मर चुका है। यह व्यक्ति के मृत्यु तक लागू रहता है। मृतक को अपने जन्म भूमि में दफन होने का अधिकार है। दरसअल, बस्तर जिले के परपा थाना क्षेत्र के एर्राकोट में बुजुर्ग की मौत के तीन दिन बाद भी दो बेटों के होते हुए अंतिम संस्कार के लिए सहमति नहीं बन सकी थी। इसी मामले में हाईकोर्ट में जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए छोटे पुत्र याचिकाकर्ता रामलाल को ईसाई रीति से अपनी मां का अंतिम संस्कार गांव की अपनी निजी भूमि में करने की अनुमति दी है। याचिका के मुताबिक एर्राकोट निवासी पाण्डो कश्यप पति सुकड़ो कश्यप की 28 जून की रात बीमारी के बीमारी के चलते मौत हो गई थी।