मिशन अस्पताल में चला बुलडोजर, चंद घंटो में ही हो गया खंडहर में तब्दील

बिलासपुर। मिशन अस्पताल पर जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। नगर निगम के अतिक्रमण दस्ते ने अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्त करना शुरू कर दिया है। इसके पहले परिसर में बने अवैध निर्माण को भी जमींदोज किया गया है। कैंपस में बने विश्वासी मंदिर धर्मांतरण का बड़ा केंद्र था। बुधवार की सुबह से ही निगम का तोड़ू दस्ता 3 एक्सीवेटर और 2 चैन माउंटेन लेकर कैंपस में पहुंच गए थे। सबसे पहले तोड़ू दस्ते ने कैंपस के अंदर बने छोटे छोटे लेकिन पक्के निर्माण को जमींदोज किया। इसके बाद अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग की तरफ पहुंचे और पांचों मशीन से बिल्डिंग को तोड़ना शुरू किया। देखते ही देखते बिल्डिंग खंडहर में तब्दील हो गई। निगम की यह कार्रवाई शाम 6 बने तक चली। जब निगम की कार्रवाई चल रही थी तो बड़ी संख्या में आसपास के लोग देखने पहुंच गए थे। निगम की कार्रवाई शुरू होने पहले बेरीकेट्स लगाकर सड़क में जाने वाली ट्रैफिक को डायवर्ट कर दिया गया था।दरअसल कमिश्नर कोर्ट ने लीज समाप्त होने पर भूमि अधिग्रहण के आदेश को सही ठहराया था। मिशन हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर रमन जोगी और पदाधिकारियों ने अस्पताल के ओपीडी, आईसीयू और अन्य हिस्सों को कब्जा कर लिया था। लाइसेंस रिन्यूअल नहीं होने के बाद भी जर्जर भवन में अस्पताल का संचालन किया जा रहा था।00 दस साल पहले खत्म हो गई है लीज   मिशन अस्पताल की स्थापना साल 1885 में हुई थी। मिशन अस्पताल को लीज पर दिया गया। था। लीज साल 2014 में खत्म हो गई है। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने लीज का नवीनीकरण नहीं कराया है। नवीनीकरण के लिए पेश किए गए आवेदन को नजूल न्यायालय ने वर्ष 2024 में खारिज कर दिया। नजूल न्यायालय के खिलाफ मिशन प्रबंधन ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।

हो रहा था व्यावसायिक उपयोग
क्रिश्चियन वुमन बोर्ड मिशन के डायरेक्टर डॉ. रमन जोगी ने मिशन अस्पताल परिसर की जमीन पर कब्जा कर व्यावसायिक उपयोग करते हुए उसे किराए पर दे दिया था। वहीं मिशन अस्पताल को भी अस्थाई रूप से बंद कर न्यू वंदना अस्पताल के नाम पर संस्था का संचालन किया जा रहा था।
इस बीच रमन जोगी ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कहा था कि अस्पताल के ओपीडी, इक्विपमेंट, लेबर रूम, आईसीयू, नवजात शिशु केंद्र, नर्सिंग स्कूल, हॉस्टल, क्लासरूम लैबोरेट्री और रेजिडेंशियल आवासीय डॉक्टर्स कॉलोनी और स्टाफ क्वॉर्टर को प्रशासन को सौंप देगा।
इसके बाद जिला प्रशासन ने अस्पताल परिसर को अपने कब्जे में ले लिया था। लेकिन इसके बाद भी वहां मिशन अस्पताल पहले की तरह संचालित हो रहा था। अस्पताल में डॉक्टर भी अपने चैंबर में बैठ रहे थे और बाकायदा ओपीडी भी लगाई जा रही थी। प्रशासन से इसकी शिकायत भी हुई थी। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा था।
जिला प्रशासन के कब्जे में लेने के बाद भी परिसर में अभी भी लोग किराए पर रह रहे थे। ऐसे में कब्जाधारी अब भी काबिज थे। इसके साथ ही मुख्य अस्पताल के पीछे एक लाल रंग की बिल्डिंग है। जहां नर्सिंग कॉलेज का ऑफिस भी खोला गया था। विधायक निधि से जनरेटर, एसी और दूसरी व्यवस्थाएं की गईं थीं।

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