- कांग्रेस में आपसी खींचतान में नगर पालिका उपाध्यक्ष” की कुर्सी खतरें में? • दावेदारों के आपसी खींचतान से बढ़ता दिख रहा जंग
- सलवा-जुडुम की राजनिति में भाजपा को मिल सकता है फायदा?
मुंगेली। कहावत है कि ‘राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन और स्थायी दोस्त नही होता है’ यह बात मुंगेली नगर पालिका की राजनिति को करीब से जानने वाले अच्छी तरह से जानते है और यही कारण है कि बहुमत का आंकड़ा होने के बाद भी नगर पालिका में उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस जीतकर भी हार की ओर अग्रसर है। संगठन की बिना बखत अपने दम पे अध्यक्ष बने नगर पालिका में नवनिर्वाचित अध्यक्ष रोहित शुक्ला के मेहनत पर पानी फेरने के लिये कांग्रेस उपाध्यक्ष के दावेदार आमने- सामने हो गये है जिससे लग रहा है कि कांग्रेस जीती हुई बाजी हार सकती है।
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दरअसल मुंगेली नगर पालिका मे कांग्रेस की राजनिति मे विपक्षी दल भाजपा के साथ सलवा- जुडुम बड़ा मायने रखती है जिसके दुष्प्रभाव, दुष्परिणाम मुंगेली नगर पालिका में अध्यक्ष पद पर भाजपा के सत्ता के बावजूद भाजपा अपने काबिज होने को लेकर आश्वस्त रही। बावजूद सलवा जुडूम के चक्कर मे कांग्रेस का नगर पालिका अध्यक्ष काबिज हो गया। अब जैसी करनी वैसी भरनी तो आपने सुना ही होगा। वर्तमान में कांग्रेस पार्षदों में एकरूपता नही दिख रही और यहां भयंकर बगावत के तेवर नजर आ रहे है अब ऐसे में पार्टी संगठन जो भी सोंचे या फिर नवनिर्वाचित अध्यक्ष का जो भी विचार हो,उसके बावजूद यदि मुंगेली नगर पालिका के जनसंख्या बल के आधार पर सर्वाधिक जनसंख्या वाले देवांगन समाज से रामकिशोर नारद देवांगन यदि अपनी दावेदारी सामने लाते है तब भी भाजपा कुछ विशेष कर पाए या ना पाए मगर कांग्रेस से रामकिशोर नारद देवांगन के लिए क्रॉस वोटिंग के लाभ मिलने की संभावना बन सकती है। अब देखना यह होगा कि अध्यक्ष सामान्य वर्ग के होने के बाद यदि मुंगेली नगर पालिका के सर्वाधिक संख्या बल से जीत कर आए कांग्रेस से एक अन्य रामकिशोर नारद देवांगन पर दांव लगाती है तब कांग्रेस का उपाध्यक्ष भी बनना आसान हो सकता है और ऐसा समीकरण ना बिठाया गया तब यही लाभ भाजपा अपने झोली में भी डाल सकती है।
देखना यह होगा कि शह और मात का खेल यही पर खत्म नही हुआ बल्कि पूरे शबाब पर अभी भी चल रहा है। मुंगेली नगर पालिका में उपाध्यक्ष के लिए कांग्रेस अपने खेमें में बहुमत एवं जीत का दावा तो जरूर कर रही है किन्तु संख्या बल के प्रभाव वाले मुंगेली नगर पालिका की सेहत को समझे बिना यदि उपाध्यक्ष का कैंडिडेट उतारा गया तब परिणाम विपरीत भी हो सकते हैं।
नगर पालिका अध्यक्ष का सरताज कांग्रेस की झोली में जाने के बाद अथवा भाजपा के हार जाने के कारण से जमा-जमाया समीकरण तहस-नहस हो गया। अन्यथा यहा पर तय हो गया था कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कौन बनेगा? किन्तु नगर पालिका में पहुंचे नए चेहरे और बदले विपक्षी दल के प्रतिनिधित्व वाले राजनैतिक समीकरण अध्यक्ष प्रत्याशी शैलेश पाठक एवं कुछ भाजपा पार्षद चेहरे के करारी हार ने भाजपा के नगर सरकार सरताज पहनने के पहले ही बीरबल की खिचड़ी के रूप में तब्दील कर दिया।
बहरहाल अब देखना यह है कि मुंगेली नगर पालिका के उपाध्यक्ष पद पर भाजपा समर्थित रहता है या कांग्रेस के झोली में चला जाएगा।