• संघ की नाराजगी के बावजूद मंत्री के निज सहायक संतोष अग्रवाल के कारनामों पर अंकुश नहीं





• नहीं टूट रही नागरिक आपूर्ति निगम के जिम्मेदार अधिकारियों की कुंभकरणीय नींद
• बालोद, खैरागढ़ और रायपुर के सेंटर में चलता है पीए संतोष अग्रवाल का तुगलकी सिस्टम
रायपुर/नागपुर। एक बार फिर बीजेपी सरकार के सुशासन और डबल इंजिन की सरकार को मार्कफेड तथा नान की वजह से पलीता लग रहा है। नए चांवल के बदले मिलर्स द्वारा पुराने चांवल को खपाने का गोरखधंधा अब खुलकर शुरू हो गया है। खासकर बालोद, खैरागढ़ और रायपुर के सेंटरों में तो नए चांवल और पुराने चांवल का यह खेल बाकायदा खाद्य मंत्री की नाक के नीचे अंजाम दिया जा रहा है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक नान के डिप्टी एजीएम और विभागीय मंत्री दयालदास बघेल के पीए, संतोष अग्रवाल का पूरा सिस्टम प्रभावी है। गड़बड़ियों और बेजा वसूली की शिकायतें भाजपा संगठन से लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तक से की गई है। बावजूद इसके संतोष अग्रवाल के प्रभाव से मंत्री के तीन ओएसडी क्रमश अजय यादव, दिलीप अग्रवाल, संजय गंजघाटे (फ़िलहाल इस्तीफा दे चुके हैं) अब तक सिस्टम के शिकार होकर चलता कर दिए गए पर करोड़ों की अफरा-तफरी और वसूली बंद नहीं हुई। बताते हैं कि नान के डिप्टी एजीएम और खाद्य मंत्री के पीए पूर्व में तेजतर्रार मंत्री रहे अजय चंद्राकर के यहां भी थे और बेआबरू होकर स्वाना भी कर दिए गए थे। मामला विधानसभा में उठ चूका है समिति भी गठित की गई है और जांच के लिए बैठकों का दौर भी बदस्तूर आरी है, बस कार्रवाई की कसर बाकि है।
~ एक व्यक्ति की 5 मलाईदार पदों पर तैनाती क्यों ?
नान में एकाधिकार और करप्शन की मुख्य वजह है एक ही व्यक्ति को मलाईदार जिम्मेदारियां और काबिल तथा अनुभवी अफसरों को हाशिये में रखना है। देखें तो वर्तमान में संदीप अग्रवाल और ज्योति सोनी जैसे अफसर की अनदेखी कर संतोष अग्रवाल को बेहिसाब विभाग सौंप दिया गया है। फिलहाल खाद्य मंत्री दयालदास बघेल के चेहते पीए का प्रभार भी है और नान में डिप्टी एजीएम क्वालिटी कंट्रोल जैसे अहम् पद की कमान भी है। इतना ही नहीं संतोष अग्रवाल के पास कार्याधिकार में जनसूचना अधिकारी, फोर्टी फाइड चांवल, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), मक्का संबंधित सम्पूर्ण कार्याधिकार प्राप्त है। इन शार्ट कहा जाये तो नान में सबसे पावरफुल खाद्य मंत्री के पीए संतोष अग्रवाल के पास चांवल की गुणवत्तापूर्ण खरीदी से लेकर चांवल की गुणवत्ता और उसका सार्वजनिक वितरण तक का सर्वाधिकार है।
~ इन सेंटरों में ज्यादा गड़बड़ियां
बालोद जिले के सबसे ज्यादा गड़बड़ी वाले सेंटरों में डौंडी, डीडी-लोहरा, का नाम बदनाम है। इसी तरह बालोद के ही गुंडरदेही (मटेवा) और चितौद सेंटर है। खैरागढ़ और रायपुर सेंटर भी लेव्ही वसूली में टॉप पर हैं। सूत्रों की मानें तो बालोद से 45 करोड़ क्वालिटी पर, रायपुर से तकरीबन 100 करोड़ की वसूली होती है। इन दावों में कितनी सच्चाई है इसका शहर सत्ता कोई दवा नहीं करता लेकिन अगर ऐसा है तो एक उच्च स्तरीय जांच समिति से प्रति क्विंटल 5 रूपये लेव्ही वसूली और चांवल की क्वालिटी की जाँच होनी चाहिए।
सुलगते सवाल
- राशन दुकान के संचालकों ने लाखों का चावल बेच दिया, जांच अब तक सिफर
- एक व्यक्ति को राशन देने में तकरीबन 5 से 10 मिनट टाइम लगता है
- 1 दिन में 433 मिनट के अंदर 460 से ज्यादा को राशन वितरण कैसे
- किस फर्जी अध्यक्ष ने गरीबों का चावल चोरी करके करोड़ों की संपत्ति बनाई
- क्यों ईओडब्ल्यू में बेटे के साथ मिलकर हवाला का कारोबार करने वाले की नहीं हुई जांच
- खाद्य अधिकारी, निरीक्षकों सहित नान के मैनेअर, ट्रांसपोर्टर सहित राशन दुकानदार बेख़ौफ़ क्यों?
‘चावल घोटाले की जांच के लिए बैठकें हुई हैं। समिति अपनी जांच रिपोर्ट बना रही है। जो भी जिम्मेदार होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
-पुन्नूलाल मोहले, पूर्व खाद्य मंत्री