Home Uncategorized ‘कॉम्पिटीशन कम्युनिटी’ ने बारिश के बीच धूमधाम से मनाया शिक्षक दिवस

‘कॉम्पिटीशन कम्युनिटी’ ने बारिश के बीच धूमधाम से मनाया शिक्षक दिवस

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बिलासपुर। पूर्व राष्ट्रपति विख्यात दार्शनिक तथा महान शिक्षक भारतरत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को गांधी चौक स्थित कॉम्पिटीशन कम्युनिटी के द्वारा धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर संस्था के मुख्य निदेशक मुर्तुजा हुसैन,मंगला के केंद्राध्यक्ष सुखवीर सिंह व सूरज साहू के साथ बड़ी संख्या में सभी शिक्षक,छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। छात्रों के बीच के अद्वितीय संबंधों को परिभाषित करने वाले शिक्षक दिवस के दिन हुई बारिश ने भी छात्रों के उत्साह को कम नहीं होने दिया।

शिक्षक दिवस के इस विशेष मौके पर मुख्य निदेशक मुर्तुजा हुसैन ने बताया कि शिक्षक उच्च नैतिक मूल्यों को विद्यार्थियों के जीवन में उतारकर अच्छा नागरिक तैयार करने में अपनी सर्वोच्च भूमिका निभाते है। श्री हुसैन ने आगे कहा कि मुझे विश्वास है कि डॉ. राधाकृष्णन के पदचिन्हों पर चलते हुए सकारात्मक दिशा देने में आगे भी शिक्षकगण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे।

मालूम हो कॉम्पिटीशन कम्युनिटी के प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली अग्रणी संस्था है जहाँ UPSC,CG PSC, SSC,व्यापम, रेलवे, सिविल जज आदि परीक्षाओं की तैयारी करवाई जाती है।

उल्लेखनीय है कि पूरी दुनिया में जहां टीचर्स-डे 5 अक्टूबर को मनाया जाता है, वहीं भारत में इसे 5 सितंबर के दिन मनाया जाता है। यह देश के पहले वाइज प्रेसिडेंट और दूसरे प्रेसिडेंट डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन डॉ. राधाकृष्णन का जन्म हुआ था और उनके प्रति सम्मान को प्रकट करते हुए आज से कई साल पहले इस दिन की शुरुआत हुई थी।

पूर्व राष्ट्रपति का जीवन परिचय़

बता दें कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से शहर में हुआ था। उन्होंने मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। डॉ. कृष्णन ने मैसूर विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय जैसे कई विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के रूप में भी काम किया। उन्हें उनके दार्शनिक और बौद्धिक प्रयासों के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पूर्वी धर्म और नैतिकता के स्पैलिंग प्रोफेसरशिप से सम्मानित किया गया था।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने राजनीति में भी अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने 1949 से 1952 तक सोवियत संघ में भारतीय राजदूत के रूप में कार्य किया। वे 1952 में भारत के उपराष्ट्रपति बने और 1962 तक इस पद पर बने रहे। 13 मई 1962 से 13 मई 1967 तक वे भारत के राष्ट्रपति रहे।

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