छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव सरकार के कैबिनेट का विस्तार डेढ़ साल से रुका है। जब जब दिल्ली का कोई बड़ा नेता रायपुर आता है या सीएम का दिल्ली जाना होता है अटकलें शुरु हो जाती हैं… कैबिनेट का विस्तार अब तब होने वाला है। फलां मंत्री बनने वाला है फलां की छुट्टी होने वाली है। विधायकों तक फोन आने लगते हैं माननीय बधाई.. आप मंत्री बनने जा रहे हैं।




इन बधाई वाले फोन के चक्कर में कई विधायकों ने शपथ ग्रहण के लिए कई जोड़े शूट सिला लिए थे वो भी अब छोटे पड़ने लगे हैं। खबरीलाल की मानें तो मंत्री बनने का सपना देखने वाले विधायकों तक जब बधाई वाले फोन आते हैं तो वो ठीक ठीक है..आगे देखेंगे जवाब देकर मोबाइल आफ कर देते हैं। बार बार कॉल लगाओ तो विधायक जी कवरेज से बाहर हो जाते हैं।
अभी फिर कैबिनेट विस्तार की बात चल पड़ी है। कुछ लोगों की लिस्ट आ गई कुछ के नाम अपने हिसाब से हट गए। जो नाम लिफाफे में बंद हैं वो मीडिया में आम हो गए..गोया अखबारनवीस खुद सरकार हो गए! वैसे इस वक्त प्रदेश सरकार आईआईएम में सुशासन का पाठ पढ़ने गई है और बाहर… इन्तहा हो गई, इंतज़ार की…आई न कुछ खबर मेरे नाम की.. वाला गाना बज रहा है। पता नहीं ये इंतजार कब खत्म होगा।
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मानसून की तरह धोखा दे गया तबादला सीजन
पिछले महीने खुशखबरी आई थी…मानसून समय से पहले बस्तर पहुंच गया, यानि गर्मी खत्म और बारिश शुरु। मगर न राहत आई न बारिश..सब कुछ बस्तर में ही ठहर गया। असल में मानसून और सरकार दोनों में ज्यादा फर्क नहीं होता। मानसून के आने जाने के पूर्वानुमान लगाने में आजकल बड़े बड़े मौसम विज्ञानी फेल हो रहे हैं वैसे ही सरकार कब क्या नया नियम बना दें ये पहले से पता नहीं होता।
अब देखिए ना मानसून आने वाला था लेट हो गया…सरकार ने तबादला नीति तो बना दी मगर नए नियम का पेंच फंसा दिया। मानसून धोखा दे गया और सरकार ने नियमों में उलझा दिया। सरकार ने यह साफ कर दिया है कि शिक्षक, पुलिस, वन, खनिज, और परिवहन विभाग में तबादला नहीं होंगे।
अब इन विभागों को छोड़ दें बाकी में मलाई कहां बची..। पार्टी के विधायक और कार्यकर्ताओं का मानसून सीजन सरकार के तबादला नियम में बह गया। जो लोग साल भर पहले से मंत्रियों के बंगले में जान पहचान बनाने में लगे थे वो मायूस हो गए हैं। मलाईदार पोस्टिंग के लिए जो अफसर भाजपा पदाधिकारियों के आगे-पीछे हो रहे थे, वो भी नजर चुराने लगे…बिल्कुल मानसून की तरह..।