रायपुर/ स्वास्थ्य विभाग में बजट के आवंटन को लेकर जबरदस्त खींचतान मची है। नेशनल हेल्थ मिशन ने पिछले साल स्वास्थ्य विभाग को आधा अधूरा बजट ही दिया था। अब फिर नए बजट में भी मिशन के अफसर कटौती पर अड़े हैं। स्वास्थ्य विभाग को बजट नहीं मिलने से दवा खरीदी का सिस्टम गड़बड़ा गया है।
सरकारी अस्पतालों में सप्लाई के लिए अब तक लगभग 300 करोड़ से ज्यादा की दवाएं उधार खरीदी जा चुकी हैं। स्थिति की जानकारी होने पर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ ने नेशनल हेल्थ मिशन के एमडी को पत्र लिखकर बजट के बकाया 156 करोड़ स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराने काे कहा है। हालांकि एसीएस की चिट्ठी के बाद भी नेशनल हेल्थ मिशन से बकाया बजट देने पर किसी तरह की मंजूरी नहीं दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग में इसे लेकर खासी उलथपथल मची हुई है। क्योंकि नेशनल हेल्थ मिशन ही स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों और दवा व उपकरण खरीदी के लिए बजट उपलब्ध कराता है। मिशन से मिलने वाले बजट से ही स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों में दवा और उपकरणों की सप्लाई कराता है।
दवा व उपकरण खरीदी के लिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन सीजीएमएससी अधिकृत है। सीजीएमएससी ही दवा की गुणवत्ता की जांच के बाद खरीदी करती है। पिछले साल के बजट में 156 करोड़ की कटौती करने और इस साल अभी तक बजट नहीं देने के कारण सीजीएमएससी 300 करोड़ से ज्यादा की उधारी दवाएं ले चुकी है। अब दवा सप्लाई करने वाली कंपनियों ने उधार देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। इसी वजह से एसीएस को पत्र लिखना पड़ा था। गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग को मिलने वाले बजट में 60 प्रतिशत केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य सरकार का अंश होता है।
छुट्टी के दिन होती रही बैठक, सोमवार को बजट पर होगी चर्चा
शुक्रवार को अवकाश के बावजूद स्वास्थ्य भवन में अफसरों की बैठक होती रही। हालांकि इसमें हेल्थ मिशन के एमडी शामिल नहीं हुए। अब सोमवार को बजट आवंटन को लेकर फिर बैठक होगी। स्वास्थ्य विभाग का बजट तकरीबन 2400 करोड़ का है। इसमें दवा और उपकरण खरीदी से लेकर नए भवन और अस्पताल बिल्डिंग के निर्माण का खर्च भी शामिल रहता है।
टीबी कार्यक्रम निजी एजेंसी से करवाने की तैयारी, भिड़े सीनियर आईएएस
नेशनल हेल्थ मिशन स्वास्थ्य विभाग के बजट में कटौती कर टीबी और एड्स के अलावा कुछ अन्य सरकारी कार्यक्रम निजी एजेंसियों से करवाने की तैयारी में है। गुरुवार को बजट आवंटन को लेकर हुई बैठक में इसी बात को लेकर नेशनल हेल्थ मिशन के एमडी जगदीश सोनकर और डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेस ऋतुराज रघुवंशी इसी बात को लेकर भिड़ गए।
स्वास्थ्य संचालक का तर्क था कि मिशन का काम केवल सरकार से मिलने वाले बजट को आवंटित करना है। सरकारी योजनाओं और सिस्टम का संचालन करना स्वास्थ्य विभाग के जिम्मे है। इस वजह से उनके बजट में कटौती नहीं की जा सकती। मिशन के एमडी जगदीश सोनकर का तर्क था कि स्वास्थ्य विभाग बजट को खत्म ही नहीं कर पाता है।
बजट का बड़ा हिस्सा लैप्स हो जाता है। इसलिए योजनाओं का संचालन भी मिशन करेगा। बैठक की अध्यक्षता एसीएस मनोज पिंगुआ कर रहे थे। उन्होंने दोनों अफसरों को समझाने की कोशिश की लेकिन कोई शांत नहीं हुआ। अंत में उन पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए एसीएस बैठक से निकल गए। उन्होंने कहा कि जब आप लोगों के बीच सबकुछ तय हो जाएगा तब बैठक बुलाना।