बिलासपुर/ बिलासपुर में टीकाकरण से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई और परिजनों ने आरोप लगाया है कि सरकार की लापरवाही से बच्चों की जाने गई है,पूर्ण रूप से दोनों बच्चे स्वस्थ थे और वजन भी ठीक था फिर भी टीके के कुछ देर बाद ही उनकी मौत कैसे हो गई,कोटा के पटेता ग्राम में गाँव के लोगो ने सरकारी जाँच समिति पर आक्रोश दिखाया था और सरकार पर लापरवाही का आरोप भी लगा है,कोटा में चाइल्ड स्पेशलिस्ट क्यों नहीं थे,बीएमओ ने भी डॉक्टर नहीं होने की लाचारी बताई थी,सरकार ने नियुक्त डॉक्टरों को बिलासपुर क्यों अटैच कर दिया था,कोई वकाल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं किया और टीके के बाद डॉक्टरों ने उचित इलाज तत्काल क्यों नहीं किया ताकि बच्चों को बचाया जा सके ? सभी सवाल सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं को बेनक़ाब कर रहे है और जनता का रोष सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के प्रति बढ़ता जा रहा है।
जिले में स्वाइन फ्लू से लगातार रोज़ मौत हो रही है,सरकार बीमारियों के प्रति इतनी लापरवाह क्यों हो चुकी है,जनता के स्वास्थ्य के प्रति सरकार की जवाबदेही बनती है लेकिन बिलासपुर बीमारियों का गढ़ बन गया है चाहे स्वाइन फ्लू हो या फिर डायरिया या फिर मलेरिया या डेंगू हो,सभी बीमारियों में मासूमों की जाने गई है और सरकार की संवेदनशीलता समाप्त हो चुकी है इसलिए विभाग को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा है,थाली बजाने से जनता की बीमारियाँ नहीं दूर होने वाली है और बीजेपी की सरकार को ठोस कदम उठाना पड़ेगा।स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिलासपुर ही क्यों इतना पीड़ित है और गई जानों का हिसाब सरकार को देना होगा।
छत्तीसगढ़ की डबल इंजन की सरकार ने अभी तक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल शुरू नहीं किया है,कांग्रेस की सरकार के समय बन कर तैयार नया हॉस्पिटल अभी तक ये सरकार शुरू नहीं कर पायी है और बड़े बड़े दावे करती है,बिलासपुर में घोषित नये AIMS की स्थापना के प्रति डबल इंजन की सरकार बहुत उत्साही नहीं दिख रही है क्यों ? क्या बीजेपी सरकार का मन बदल गया है या फिर दिल्ली में उनकी चल ही नहीं रही है,पूर्व स्वास्थ्य मंत्री श्री टी एस सिंहदेव ने विधानसभा में पूर्व बिलासपुर विधायक की माँग पर बिलासपुर में aims की स्थापना की घोषणा किया था लेकिन ये सरकार की रुचि दिखाई नहीं देती है क्यों ?