गौरेला-पेंड्रा-मरवाही. छत्तीसगढ़ में कोटा विधानसभा के नाम एक ऐसा कीर्तिमान है, जिसकी टीस भाजपा को पीड़ा पहुंचाती है. आजादी से आज तक पूर्ववर्ती जनसंघ वर्तमान में भाजपा राजनीति के इस किले को भेद नहीं पाई है. कोटा विधानसभा कौतूहल के केन्द्र में है, क्योंकि यहां त्रिकोणी द्वंद्व है. क्या इस समर में भाजपा अपना सूखा मिटा पाएगी या कांग्रेस कोटा पर आधिपत्य बनाए रखने में सफल होगी जो कि इतिहास में प्रथम बार जोगी कांग्रेस से पराजित होकर तृतीय स्थान पर सरक गई थी या फिर गत चुनाव में जोगी कांग्रेस से जीत कर कांग्रेस को हार का सामना कराने वाली वर्तमान विधायक डॉ. रेणू जोगी अपना वर्चस्व बनाए रखेंगीं ये देखने वाली बात होगी. रतनपुर से आगे जाली गांव से पेंड्रा तक फैले कोटा विधानसभा का लगभग 40 प्रतिशत भाग गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला में और शेष बिलासपुर जिले के अन्तर्गत आता है. 1952 से 2013 तक कोटा विधानसभा से कांग्रेस अपराजित रही है. गत चुनाव में कांग्रेस को जोगी कांग्रेस से हार का स्वाद चखना पड़ा. भाजपा या जनसंघ कभी कोटा के किला को भेद नहीं पाई. छत्तीसगढ़ में कोटा विधानसभा को कांग्रेस का सबसे सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र माना जाता रहा है. 1977 की कांग्रेस विरोधी लहर में भी तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी मथुरा प्रसाद दुबे मात्र 73 वोट से जीतकर इतिहास की रक्षा करने में सफल रहे थे. वर्तमान चुनाव में यहां त्रिकोणीय रोचक संघर्ष में दोनों राष्ट्रीय दलों के साथ जोगी कांग्रेस की वर्तमान विधायक की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. भाजपा को अपना सूखा मिटाना है, कांग्रेस को खोया स्थान पुनः पाना है और जोगी कांग्रेस को अर्जित प्रतिष्ठा की रक्षा करना है. 4 नगर पालिकाओं के इस अद्भुत विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा की विपरीत धुरियों में एक समानता है. दोनों ने ही वर्तमान चुनाव में बाहरी प्रत्याशियों को कोटा की समरभूमि में उतारा है. कांग्रेस ने वर्तमान विधानसभा चुनाव में बिलासपुर के अटल श्रीवास्तव को अपना प्रत्याशी बनाया है. प्रदेश की राजनीति में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विश्वसनीय अटल श्रीवास्तव इसके पूर्व लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी थे और प्रदेश भाजपाध्यक्ष अरुण साव से पराजित हो गए थे. पार्षद के चुनाव में भी पराजित होने वाले अटल श्रीवास्तव क्या कोटा में कांग्रेस की खोई प्रतिष्ठा वापस अर्जित कर पाएंगे ये देखने वाली बात होगी. भाजपा ने भी प्रत्याशी चयन में कांग्रेस की ही रणनीति अपनाई है. पार्टी ने सूदूर जशपुरनगर के राजपरिवार से प्रबल प्रताप सिंह को अपना पार्टी प्रत्याशी बनाया है. दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दल ने स्थानीय कार्यकर्ताओं की अपेक्षा बाहरी व्यक्तियों पर विश्वास किया है. कोटा विधानसभा भाजपा के लिए अनसुलझी गुत्थी है. यहां उसे अपनी पहली सफलता की तलाश है. जोगी कांग्रेस की सुप्रीमो डॉ. रेणू जोगी जो कि वर्तमान में कोटा की विधायक हैं और उन्होंने कांग्रेस के लगातार विजयी होने के कीर्तिमान को रोककर इस क्षेत्र में नया इतिहास रच दिया. डॉ. रेणु जोगी स्व. अजीत जोगी के उत्तराधिकार को आगे बढ़ाने में अपने बेटे अमित जोगी के साथ प्रदेश में दोनों दलों को चुनौती दे रही हैं. अपने शालीन व्यवहार और मीठे वचनों से विरोधियों को अपना बनाने में कुशल डॉ. रेणू जोगी की राह में उनका स्वास्थ्य ही उनके कदमों की बाधा है. पिछले चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों को पराजित कर इतिहास गढ़ने वाली डॉ. रेणू जोगी अपने परंपरागत क्षेत्र में पुनः समर में है.