



■ मनीष शर्मा
नगरीय निकाय के लिए कल वोट होंगे..नगर और शहर की सरकार चुनी जाएगी। इस बार जनता अपना अध्यक्ष खुद चुनेगी..इसे लेकर गली मोहल्लों में चर्चा चल रही है। लोग पूछ रहे हैं..जब महापौर,अध्यक्ष पावरफुल होगा तो पार्षद किस रोल में होंगे। कोई जवाब आता इससे पहले खबरीलाल बोल पड़े…अबकी बार डबल इंजन वाली सरकार…।
भीड़ में से आवाज आई, इंजन और सरकार कुछ समझे नहीं..तो खबरीलाल ने विस्तार से बताया..अरे भाई डबल इंजन यानि डबल ताकत…। भीड़ फिर चिल्लाई बात तो सरकार बनाने की हो रही थी ये इंजन कहां से आया…। भीड़ में खुसुर-फुसुर तेज हो इसे पहले खबरीलाल ने बताया..जमाना बदल गया है अब सरकार में भी इंजन होते हैं।
केंद्र और राज्य में अगर एक पार्टी की सरकार हो तो उसे डबल इंजन की सरकार कहते हैं और ऐसा होने पर कोई परेशानी नहीं होती माल पार्सल और पैसेंजर सभी मजे में रहते हैं। और अगर नगर और शहर में भी उसी पार्टी की सरकार हो तो बात पूरी होती उससे पहले एक बच्चा जोर से चिल्लाया… उसे ट्रिपल इंजन की सरकार कहते हैं। भीड़ ने नारा लगाया शाबाश..शाबाश बेटा..बाप का नाम का रोशन करोगे..।
भीड़ में से फिर किसी ने जोर से चिल्लाया….पंचायत में भी चुनाव हो रहे है..बात आगे बढ़ती उससे पहले खबरीलाल ने उसे समझाया बिल्कुल ठीक पकड़े हैं..उसे ट्रेटा इंजन की सरकार कहेंगे। तभी भीड़ में खड़े एक पार्षद प्रत्याशी ने जोर हांका लगाते हुए पूछा… खबरीलाल ये तो बताओ जब काम इंजन से हो जाएगा तो पार्षद क्या करेंगे।
खबरीलाल ने मुस्कुराते हुए कहा…इंजन और गार्ड डिब्बा के बीच जो बाकी डिब्बा होते हैं वही काम पार्षद को करना होता है..। यानी शोर करने की छूट होगी मगर चलना चलाना इंजन और गार्ड के कहने पर ही करना होगा..। आखिर में भीड़ खबरीलाल की इस बात पर सहमत हो गई…कि सरकार से ज्यादा ताकत इंजन में है तो इंजन के साथ ही चलने में भलाई है। अब भीड़ ये बात कितना समझ पाई ये नतीजे वाले दिन ही पता चलेगा…।