EXCLUSIVE: गाजर घास से बनेगी जैविक खाद, मेवाड़ यूनिवर्सिटी में अनुसंधान हुआ सफल

रायपुर- बड़ी समस्या बन चुकी गाजर घास, अब परेशान नहीं करेगी क्योंकि इससे जैविक खाद बनाने में सफलता मिल गई है। अब इंतजार है उन किसानों के रुझान का जो गोबर या केंचुआ खाद की खरीदी पर बड़ी रकम खर्च कर रहे हैं। यदि सब कुछ सही दिशा में चला तो खाद की खरीदी पर हो रही बड़ी रकम के खर्च से छुटकारा मिलेगा।

पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या बन चुकी गाजर घास से जैविक खाद बनाने में कृषि वैज्ञानिकों को आखिरकार सफलता मिल गई है। यह सफलता, एक कदम और आगे तब बढ़ती नजर आती है, जब यह जानकारी मिलती है कि इसमें पोषक तत्व की मात्रा गोबर और केंचुआ खाद से कहीं ज्यादा है। अच्छी बात यह कि इसे बनाने के लिए ना ज्यादा साधन की जरूरत होगी, ना ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे।

दो साल की मेहनत हुई सफल

राजस्थान की मेवाड़ यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सतीश कुमार आमेटा ने इस पर पहला रिसर्च सन 2019 में शुरू किया। यह अब जाकर 2021 में सफल हुआ है। उन्होंने पूरी रिपोर्ट विश्वविद्यालय में रखी, बाद में इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार ईरान ने स्वीकार किया।

होंगे यह पोषक तत्व

गाजर घास से बनी जैविक खाद में जिन पोषक तत्वों की बहुलता होगी उसके अनुसार इसमें नाईट्रोजन की मात्रा 10.5,फास्फोरस 10.84,पोटेशियम 1.11,कैल्शियम0.90 और मैग्नीशियम की मात्रा 0.55 प्रतिशत है।जबकि केंंचुआ खाद में नाईट्रोजन 1.61 प्रतिशत,फास्फोरस 0.68, पोटेशियम1.31,कैल्शियम 0.65 और मैग्नीशियम की मात्रा 0.43 प्रतिशत होती है।गोबर खाद भी अपेक्षाकृत गाजर घास से काफी कम पोषक तत्व रखता है। इसमें नाईट्रोजन 0.45, फास्फोरस 30,पोटेशियम 0.54, कैल्शियम 0.59 और मैग्नीशियम की मात्रा महज 0.28 प्रतिशत ही होती है।

ऐसे बनती है खाद

एक भाग की मात्रा में गोबर ,सूखी पत्तियां और लकड़ी का बुरादा तथा तीन भाग गाजर घास मिलाकर एक बड़े बॉक्स में रखें। इसमें छोटे-छोटे छिद्र होने चाहिए ताकि हवा का प्रवाह भीतर आताझं रहे। इससे गाजर घास का अपघटन शीघ्र होता है। समय-समय पर पानी छिड़काव करें। 2 माह बाद तैयार हो जाने वाली गाजर घास की जैविक खाद में यदि पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ानी हो तो इसमें ट्राइकोडर्मा या रॉक फास्फेट मिलाया जा सकता है।

होगा यह लाभ

इस प्रक्रिया के 2 माह बाद तैयार होने वाली जैविक खाद पूरी तरह पर्यावरण हितैषी तो होगी ही, साथ ही मानव स्वास्थ्य भी सेहतमंद बनाए रखा जा सकेगा। बनी हुई खाद न केवल संतुलित जैविक खाद होगी बल्कि इसमें पोषक के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्व भी भरपूर होंगे। इसकी मदद से भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। सबसे अच्छी बात यह कि यह बेहद कम दाम में तैयार होने वाली जैविक खाद होगी।

“गाजर घास से बनी जैविक खाद में पोषक और सूक्ष्म पोषक तत्व, उपलब्ध सभी खाद से कहीं ज्यादा मिलेंगे। पर्यावरण हितैषी इस खाद के निर्माण से पहले किसान ध्यान रखें कि उपयोग की जा रही गाजर घास फ्लॉवरिंग स्टेज से पहले की हों”।

  • डॉ एस आर पटेल, रिटायर्ड साइंटिस्ट (एग्रोनॉमी), इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

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