इस्लामाबाद/ ‘राहुल ऑन फायर’ पाकिस्तान के पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने एक मई को ये ट्वीट किया था। इसमें कांग्रेस लीडर राहुल गांधी का एक वीडियो है। वीडियो में राहुल गरीब, किसान और बेरोजगार युवाओं की बात कर रहे हैं। फवाद का ये ट्वीट भारत में चुनावी मुद्दा बन गया। अगले दिन 2 मई को PM नरेंद्र मोदी गुजरात के आणंद में थे। उन्होंने एक रैली में कहा, ‘आज भारत में कांग्रेस कमजोर हो रही है। यहां कांग्रेस मर रही है और वहां पाकिस्तान रो रहा है। आपको पता चला होगा कि कांग्रेस के लिए अब पाकिस्तानी नेता दुआ कर रहे हैं।’
इसके बाद भी फवाद चौधरी ट्वीट करते रहे। दैनिक भास्कर के लिए राणा माल्ही ने इस्लामाबाद में उनसे बात की। फवाद ने राहुल गांधी के सपोर्ट, हिंदी में ट्वीट करने के साथ ही BJP के विरोध की वजह बताई। पढ़िए और देखिए पूरा इंटरव्यू…
सवाल: आपको राहुल गांधी से क्या लगाव है कि इलेक्शन के दौरान उनके लिए ट्वीट कर रहे हैं?
जवाब: राहुल गांधी जी से तो कोई लगाव नहीं है। मेरा सीधा उसूल है कि जहां पर भी एक्ट्रीमिस्ट होंगे, इंतिहा-पसंद होंगे, कट्टरपंथी होंगे, उनकी मुखालफत होनी चाहिए। हिंदुस्तान में तो ज्यादा लोगों को पता नहीं होगा, RSS की कट्टर अप्रोच पर ही मुझे तनकीद (आलोचना) का सामना नहीं करना पड़ता। पाकिस्तान के अंदर भी मजहबी जमातें हैं, मुस्लिम फंडामेंटलिस्ट जमातें हैं, चाहे तहरीक-ए-लब्बैक हो या कोई और, मैं उनके भी निशाने पर रहता हूं।
नरेंद्र मोदी को रोकना बहुत जरूरी है। चाहे राहुल गांधी उन्हें रोकें, चाहे ममता बनर्जी रोकें, चाहे केजरीवाल जी रोकें। उनके मुकाबले पर जो भी खड़ा होता है, हिंदुस्तान के तमाम लिबरल्स चाहे हिंदू हों, मुसलमान हों, सिख हों, क्रिश्चियंस हों, उन्हें साथ देना चाहिए।
सवाल: BJP लीडर अपने कैंपेन में कह रहे हैं कि पाकिस्तान के नेता कांग्रेस के मुरीद हैं। क्या इस वजह से आपकी ट्रोलिंग हो रही है?
जवाब: बहुत ट्रोलिंग हो रही है। ये नई बात नहीं है। पुलवामा के बाद ‘ऑपरेशन स्विफ्ट रिटॉर्ट’ हुआ था, तभी से मैं BJP वालों का पसंदीदा सियासतदान हूं। BJP के लोग मुझे बहुत याद करते हैं। हालांकि मैं बहुत परवाह नहीं करता। मुझे तो रोज जान से मारने की धमकियां भी मिल जाती हैं। हमारी मजहबी तंजीमें भी देती हैं, वहां से भी आते हैं, पर ठीक है, अल्लाह ने जब तक जिंदगी दी है।
(बालाकोट में भारत की एयरस्ट्राइक के बाद 27 फरवरी, 2019 को पाकिस्तान एयरफोर्स ने जवाबी कार्रवाई की थी। इसे ‘ऑपरेशन स्विफ्ट रिटॉर्ट’ नाम दिया था।)
सवाल: इंडिया में जब भी इलेक्शन होते हैं, पाकिस्तान का नाम जरूर आता है, इसकी क्या वजह है?
जवाब: आपको हिंदुस्तान में ये बताना चाहिए कि पाकिस्तान में हिंदुस्तान को लेकर अब कोई दुश्मनी का भाव नहीं है। पाकिस्तान में हिंदुस्तानियों या भारत की बुराई करके आप वोट नहीं ले सकते। पाकिस्तान के लोग, खासकर पंजाबी तो ताल्लुकात बनाना चाहते हैं। सिंध बॉर्डर के लोग चाहते हैं कि मामला खुले और हम आपस में कारोबार और बात कर सकें।
इस वक्त सबकॉन्टिनेंट में जो मसला है, वो BJP, RSS और हिंदू महासभा की मुस्लिमों के प्रति एक्ट्रीमिस्ट अप्रोच है। इसी वजह से पाकिस्तान भी हिंदुस्तान के इलेक्शन में इस्तेमाल किया जाता है।
मुसलमानों के खिलाफ कट्टरपंथी नैरेटिव चल रहा है, उसकी वजह से पाकिस्तान वहां निशाना बनता है। पाकिस्तान में हिंदुस्तान के लिए कोई विरोध वाला सेंटिमेंट नहीं है।
सवाल: आपने स्मृति ईरानी के लिए भी ट्वीट किया था। इस पर भी कहा गया कि आप उन्हें हराने के लिए दुआ कर रहे हैं?
जवाब: स्मृति ईरानी हैं, कंगना हैं, योगी हैं, ये सब नफरत से बने हैं। ये तो नहीं है कि मुसलमान सारे बड़े अच्छे हैं और हिंदू सारे बुरे हैं या क्रिश्चियन सारे बुरे हैं। हर मजहब, कम्युनिटी में अच्छे और बुरे लोग होंगे, लेकिन क्या आप अपने नजरिए की बुनियाद पर सारी कम्युनिटी या धर्म को एक कर लें।
स्मृति या कंगना तो क्या थीं। ये कुछ भी नहीं थीं। इनका तो नाम इस्तेमाल किया जाता है नफरत बढ़ाने के लिए। ठीक है ये एक्ट्रेस होंगी। उन्हें वही काम करना चाहिए, जो उनका काम है। न इन्हें हिस्ट्री का पता है, न इन्होंने जिंदगी में कभी किताबें पढ़ी हैं, न इन्हें राजनीति का पता है। ये समझती हैं कि नफरत की बुनियाद पर ये सब कर सकती हैं। मुझे उम्मीद है कि हिंदुस्तान के लोग इन्हें हराएंगे।
सवाल: कांग्रेस लीडर राशिद अल्वी का कहना है कि आप नवाज शरीफ के दबाव में आकर ट्वीट कर रहे हैं, ताकि BJP को फायदा हो?
जवाब: मैं राशिद अल्वी साहब और BJP के लोगों को बताना चाहता हूं, पाकिस्तान में भी बहुत से लोगों को लगता है कि अवाम बड़ी स्टूपिड है, इडियट है। उनको क्या पता। नरेंद्र मोदी, फवाद चौधरी के बयान को तकरीर कर देंगे तो लोग समझेंगे कि फवाद BJP या कांग्रेस को फायदा पहुंचाना चाहता है।
मैं अल्वी साहब और BJP के स्पोक्सपर्सन्स से कहूंगा कि अपने लोगों को बेवकूफ न समझें। पाकिस्तान में आपने देखा कि लोगों ने कैसे वोट किया। कितने मुश्किल हालात में भी इमरान खान को वोट किया। वहां पर भी आम आदमी बड़ा अक्लमंद है। आप अवाम की अक्ल को अंडर एस्टीमेट न करें।
उन्हें ये नहीं कहना कि मैं BJP की मुखालफत करूंगा, तो वो कांग्रेस को वोट नहीं देंगे। या मैं कांग्रेस को हिमायत करूंगा तो वे BJP को वोट देंगे। ये पैटर्न नहीं रहा अब। इसका मतलब है कि ऐसे बयान देने वाले लोग अवाम से जुड़े नहीं है। इन्हें पता नहीं है कि अवाम का शऊर किस बुलंदी पर है।
सवाल: इंडिया में बातें हो रही हैं कि फवाद चौधरी पाकिस्तान में बैठकर कांग्रेस के लिए कैंपेन कर रहे हैं?
जवाब: बात सीधी है, राहुल गांधी नरेंद्र मोदी से तो बहुत बेहतर हैं। अगर BJP दो तिहाई मेजॉरिटी से आती है, हिंदुस्तान का सेक्युलर आइन खत्म कर देगी। पाकिस्तान के अंदर भी देखिए। हम आइडियल जम्हूरियत तो नहीं हैं। हमने शुरू में एक धर्म को इतना ऊपर कर दिया कि उसकी वजह से पाकिस्तान मुसीबत में है।
भारत में जो सेक्युलरिज्म था, उसकी जड़ें बड़ी गहरी हैं। अगर वो न रहा तो पूरा रीजन डिस्टैबलाइज हो जाएगा।
सवाल: आपने स्मृति ईरानी के लिए भी ट्वीट किया था। इस पर भी कहा गया कि आप उन्हें हराने के लिए दुआ कर रहे हैं?
जवाब: स्मृति ईरानी हैं, कंगना हैं, योगी हैं, ये सब नफरत से बने हैं। ये तो नहीं है कि मुसलमान सारे बड़े अच्छे हैं और हिंदू सारे बुरे हैं या क्रिश्चियन सारे बुरे हैं। हर मजहब, कम्युनिटी में अच्छे और बुरे लोग होंगे, लेकिन क्या आप अपने नजरिए की बुनियाद पर सारी कम्युनिटी या धर्म को एक कर लें।
स्मृति या कंगना तो क्या थीं। ये कुछ भी नहीं थीं। इनका तो नाम इस्तेमाल किया जाता है नफरत बढ़ाने के लिए। ठीक है ये एक्ट्रेस होंगी। उन्हें वही काम करना चाहिए, जो उनका काम है। न इन्हें हिस्ट्री का पता है, न इन्होंने जिंदगी में कभी किताबें पढ़ी हैं, न इन्हें राजनीति का पता है। ये समझती हैं कि नफरत की बुनियाद पर ये सब कर सकती हैं। मुझे उम्मीद है कि हिंदुस्तान के लोग इन्हें हराएंगे।
सवाल: कांग्रेस लीडर राशिद अल्वी का कहना है कि आप नवाज शरीफ के दबाव में आकर ट्वीट कर रहे हैं, ताकि BJP को फायदा हो?
जवाब: मैं राशिद अल्वी साहब और BJP के लोगों को बताना चाहता हूं, पाकिस्तान में भी बहुत से लोगों को लगता है कि अवाम बड़ी स्टूपिड है, इडियट है। उनको क्या पता। नरेंद्र मोदी, फवाद चौधरी के बयान को तकरीर कर देंगे तो लोग समझेंगे कि फवाद BJP या कांग्रेस को फायदा पहुंचाना चाहता है।
मैं अल्वी साहब और BJP के स्पोक्सपर्सन्स से कहूंगा कि अपने लोगों को बेवकूफ न समझें। पाकिस्तान में आपने देखा कि लोगों ने कैसे वोट किया। कितने मुश्किल हालात में भी इमरान खान को वोट किया। वहां पर भी आम आदमी बड़ा अक्लमंद है। आप अवाम की अक्ल को अंडर एस्टीमेट न करें।
उन्हें ये नहीं कहना कि मैं BJP की मुखालफत करूंगा, तो वो कांग्रेस को वोट नहीं देंगे। या मैं कांग्रेस को हिमायत करूंगा तो वे BJP को वोट देंगे। ये पैटर्न नहीं रहा अब। इसका मतलब है कि ऐसे बयान देने वाले लोग अवाम से जुड़े नहीं है। इन्हें पता नहीं है कि अवाम का शऊर किस बुलंदी पर है।
सवाल: इंडिया में बातें हो रही हैं कि फवाद चौधरी पाकिस्तान में बैठकर कांग्रेस के लिए कैंपेन कर रहे हैं?
जवाब: बात सीधी है, राहुल गांधी नरेंद्र मोदी से तो बहुत बेहतर हैं। अगर BJP दो तिहाई मेजॉरिटी से आती है, हिंदुस्तान का सेक्युलर आइन खत्म कर देगी। पाकिस्तान के अंदर भी देखिए। हम आइडियल जम्हूरियत तो नहीं हैं। हमने शुरू में एक धर्म को इतना ऊपर कर दिया कि उसकी वजह से पाकिस्तान मुसीबत में है।
भारत में जो सेक्युलरिज्म था, उसकी जड़ें बड़ी गहरी हैं। अगर वो न रहा तो पूरा रीजन डिस्टैबलाइज हो जाएगा।
सवाल: आपने स्मृति ईरानी के लिए भी ट्वीट किया था। इस पर भी कहा गया कि आप उन्हें हराने के लिए दुआ कर रहे हैं?
जवाब: स्मृति ईरानी हैं, कंगना हैं, योगी हैं, ये सब नफरत से बने हैं। ये तो नहीं है कि मुसलमान सारे बड़े अच्छे हैं और हिंदू सारे बुरे हैं या क्रिश्चियन सारे बुरे हैं। हर मजहब, कम्युनिटी में अच्छे और बुरे लोग होंगे, लेकिन क्या आप अपने नजरिए की बुनियाद पर सारी कम्युनिटी या धर्म को एक कर लें।
स्मृति या कंगना तो क्या थीं। ये कुछ भी नहीं थीं। इनका तो नाम इस्तेमाल किया जाता है नफरत बढ़ाने के लिए। ठीक है ये एक्ट्रेस होंगी। उन्हें वही काम करना चाहिए, जो उनका काम है। न इन्हें हिस्ट्री का पता है, न इन्होंने जिंदगी में कभी किताबें पढ़ी हैं, न इन्हें राजनीति का पता है। ये समझती हैं कि नफरत की बुनियाद पर ये सब कर सकती हैं। मुझे उम्मीद है कि हिंदुस्तान के लोग इन्हें हराएंगे।
सवाल: कांग्रेस लीडर राशिद अल्वी का कहना है कि आप नवाज शरीफ के दबाव में आकर ट्वीट कर रहे हैं, ताकि BJP को फायदा हो?
जवाब: मैं राशिद अल्वी साहब और BJP के लोगों को बताना चाहता हूं, पाकिस्तान में भी बहुत से लोगों को लगता है कि अवाम बड़ी स्टूपिड है, इडियट है। उनको क्या पता। नरेंद्र मोदी, फवाद चौधरी के बयान को तकरीर कर देंगे तो लोग समझेंगे कि फवाद BJP या कांग्रेस को फायदा पहुंचाना चाहता है।
मैं अल्वी साहब और BJP के स्पोक्सपर्सन्स से कहूंगा कि अपने लोगों को बेवकूफ न समझें। पाकिस्तान में आपने देखा कि लोगों ने कैसे वोट किया। कितने मुश्किल हालात में भी इमरान खान को वोट किया। वहां पर भी आम आदमी बड़ा अक्लमंद है। आप अवाम की अक्ल को अंडर एस्टीमेट न करें।
उन्हें ये नहीं कहना कि मैं BJP की मुखालफत करूंगा, तो वो कांग्रेस को वोट नहीं देंगे। या मैं कांग्रेस को हिमायत करूंगा तो वे BJP को वोट देंगे। ये पैटर्न नहीं रहा अब। इसका मतलब है कि ऐसे बयान देने वाले लोग अवाम से जुड़े नहीं है। इन्हें पता नहीं है कि अवाम का शऊर किस बुलंदी पर है।
सवाल: इंडिया में बातें हो रही हैं कि फवाद चौधरी पाकिस्तान में बैठकर कांग्रेस के लिए कैंपेन कर रहे हैं?
जवाब: बात सीधी है, राहुल गांधी नरेंद्र मोदी से तो बहुत बेहतर हैं। अगर BJP दो तिहाई मेजॉरिटी से आती है, हिंदुस्तान का सेक्युलर आइन खत्म कर देगी। पाकिस्तान के अंदर भी देखिए। हम आइडियल जम्हूरियत तो नहीं हैं। हमने शुरू में एक धर्म को इतना ऊपर कर दिया कि उसकी वजह से पाकिस्तान मुसीबत में है।
भारत में जो सेक्युलरिज्म था, उसकी जड़ें बड़ी गहरी हैं। अगर वो न रहा तो पूरा रीजन डिस्टैबलाइज हो जाएगा।
सवाल: आप आजकल हिंदी में ट्वीट कर रहे हैं, इसका मकसद क्या है?
जवाब: आप बात मानेंगे कि इस वक्त पाकिस्तान से सबसे ज्यादा जाना-माना कोई पॉलिटिशियन है हिंदुस्तान के अंदर, तो मैं ही हूं। हिंदी में मैं इसलिए ट्वीट करता हूं ताकि कट्टरपंथियों को ज्यादा तकलीफ हो। वे अंग्रेजी तो ज्यादा पढ़ नहीं सकते। इसलिए मैंने खास इंतजाम किया है। अब आप मेरे ज्यादा ट्वीट हिंदी में देखेंगे।
सवाल: भारत में कांग्रेस की सरकार आती है, तो क्या कश्मीर पर पाकिस्तान का नैरेटिव बदलेगा?
जवाब: हिस्टोरिकली कश्मीर का मसला तो कांग्रेस ने पैदा किया है। जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी पंडित थे, उन्होंने अपनी उस ओरिजिन की मोहब्बत में हिंदुस्तान के बंटवारे का प्रिंसिपल ही तबाह कर दिया। आज अगर कश्मीर का मसला न होता तो पाकिस्तान और हिंदुस्तान कनाडा और अमेरिका की तरह मुल्क होते।
मैं जवाहरलाल नेहरू जी का बहुत एहतराम करता हूं। वे पहले शख्स थे, जिन्होंने 1930 में स्वराज का नारा लगाया था। फैक्ट यही है कि ये उनकी बहुत बड़ी गलती थी कि कश्मीर के मुद्दे को उन्होंने पाकिस्तान और हिंदुस्तान के बीच कॉन्फ्लिक्ट के तौर पर छोड़ दिया।
मोहम्मद अली जिन्ना तो ऐसे हालात नहीं चाहते थे कि हम 75 साल से एक-दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं। वे तो गुजराती थे। उनका घर मुंबई में था। कश्मीर की वजह से एक टेंशन हो गई है। अब ये मामला सुलझाना जाहिर है कांग्रेस और BJP के बस की बात नहीं है। पीपुल्स पार्टी, PTI और PML (N) के बस की बात भी नहीं है।
ये तो कलेक्टिव सारी जमातों को एक जगह आना पड़ेगा कि कैसे इसे आगे बढ़़ा सकते हैं। परवेज मुशर्रफ और अटल बिहारी वाजपेयी साहब ने एक कामयाब कोशिश की थी। मेरा ख्याल है कि उसी की बुनियाद पर आगे बढ़ा जा सकता है।
सवाल: पाकिस्तान को भारत से खराब रिश्तों से नुकसान है या फायदा?
जवाब: बहुत नुकसान है। आप देखिए कि पाकिस्तान की 65% पॉपुलेशन पंजाबी है। पंजाब की बाहर ओपनिंग ही नहीं है। खैबर पख्तूनख्वा अफगानिस्तान के साथ ट्रेड करता है। बलूचिस्तान ईरान के साथ ट्रेड करता है। सिंध के पास समंदर है। पंजाब की 65% पॉपुलेशन तो क्लोज डोर है।
दोनों तरफ के पंजाब वाले परेशान हैं। इस तरफ भी आप देखिए कि वहां कोई बंदरगाह नहीं है। वे अपना माल कराची भेजेंगे, तो जल्दी जाएगा या मुंबई भेजेंगे तो जल्दी जाएगा। पंजाबियों को बहुत नुकसान हो रहा है इस बंदिश का।
राजस्थान और थारपारकर की तो रिलेशनशिप है। ट्रेनें चलती थीं। हमारी समझौता एक्सप्रेस बंद हो गई। उधर से थार एक्सप्रेस बंद हो गई। इसे बहाल होना चाहिए। नफरत से आप कितनी देर और चलाएंगे।
सवाल: आप इमरान खान की कैबिनेट में थे। क्या वे चाहते थे कि इंडिया के साथ रिश्ते अच्छे करें?
जवाब: इमरान खान और जनरल बाजवा दोनों ही चाहते थे कि हिंदुस्तान के साथ रिश्ते बेहतर हों। दोनों का ख्याल था कि नरेंद्र मोदी इलेक्ट होकर आएंगे तो शायद बातचीत आगे बढ़े। उन्होंने तो आकर और उल्टा कर दिया।
असल में जाहिर है कि नरेंद्र मोदी लोकल पॉलिटिक्स में हिंदू महासभा को बड़ा करना चाहते हैं, बड़ा कर भी दिया है। बाबरी मस्जिद गिराकर तारीख बदलना शुरू हो गया। इससे मसले बढ़ गए हैं।
इमरान खान और जनरल बाजवा का एक कॉम्बिनेशन था, जिससे ताल्लुकात बहुत बेहतर हो सकते थे। मोदी जी ने अपनी जिद और लोकल पॉलिटिक्स की वजह से इसे जाया कर दिया।
सवाल: पाकिस्तान की नई सरकार क्या भारत से बात करेगी?
जवाब: ये नहीं कर सकते। आपको पता ही है कि इलेक्शन कैसे हुए हैं। मैंडेट तो इमरान खान को मिला था। जब एक गैर-इखलाकी गवर्नमेंट होगी, इतनी कमजोर हुकूमत होगी, तो कैसे हिंदुस्तान के साथ इस तरह के बड़े मुद्दों पर कोई ओपिनियन बना सकती है।
इमरान खान का एक बयान आएगा, तो ये हुकूमत खत्म हो जाएगी। इस हुकूमत के पास अब ये मैंडेट नहीं होगा। मोदी ने मौका जाया कर दिया, अब उन्हें लंबा सफर तय करना होगा।
सवाल: आपको यकीन है कि राहुल गांधी की पार्टी जीतेगी?
जवाब: कह तो रहे हैं कि नरेंद्र मोदी आगे हैं, लेकिन जिस तरह वे छोटी-छोटी बातों पर घबरा रहे हैं। जिस तरह उन्होंने मेरे ट्वीट पर रिएक्शन दिया, मुझे लगता है मामला इतना सादा नहीं है। उन्हें नजर आ रहा है कि हिंदुस्तान की जनता कुछ और फैसला भी दे सकती है।
सवाल: राहुल गांधी से कभी बात हुई है?
जवाब: नहीं, कभी नहीं हुई।