दंगाइयों के डर से भागीं महिला जज, तीन साल की बच्ची के साथ वर्कशॉप में लेनी पड़ी शरण; फूंक दी गाड़ी

नूंह. हरियाणा के नूंह जिले में हुए सांप्रदायिक दंगे की आग में एक महिला जज भी फंस गई थीं। इस दौरान दंगाइयों की भीड़ ने उनकी कार को जला डाला। किसी तरह महिला जज ने खुद की और अपनी तीन साल की बच्ची की जान बचाई। हिंसा के दौरान वह दिल्ली-अलवर रोड पर बनी एक पुरानी वर्कशॉप में जाकर छिपी थीं। जज के साथ उनके गनर, ड्राइवर भी मौजूद थे। इसके बाद भी उन्हें किसी तरह भीड़ से बचकर भागना पड़ा। पुलिस में दर्ज एक एफआईआर से इस घटना का खुलासा हुआ है। नूंह की अडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अंजलि जैन अपने स्टाफ के साथ रास्ते में थीं। वह शहीद हसन खान मेवाती गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज से लौट रही थीं।

उनके साथ ड्राइवर, गनर और प्रोसेस सर्वर मौजूद थे। महिला जज पर हुए हमले की जानकारी उनके प्रोसेस सर्वर 48 वर्षीय टेकचंद ने ही दी। उन्होंने कहा कि हम लोग जज अंजलि जैन के साथ कार में आ रहे थे। हमारे साथ ड्राइवर के अलावा जज की तीन साल की बच्ची और एक गनर सियाराम भी थे। टेकचंद ने बताया, ‘हम नल्हड़ के अस्पताल से लौट रहे थे। इसी दौरान हमने देखा कि 100 से 150 लोगों की भीड़ सड़क पर है और वे गाड़ियों को जला रहे हैं। पत्थर भी फेंक रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि इसी दौरान एक पत्थर हमारी कार पर आ लगा और पिछला शीशा टूट गया। दंगाई फायरिंग भी कर रहे थे। 

दहशत में थी छोटी बच्ची, कई घंटे वर्कशॉप में छिपे बैठे रहे 

टेकचंद ने कहा कि गोलियों की आवाज सुनकर हम लोग डर गए थे। टेकचंद बीते 10 सालों से नूंह की जिला अदालत में काम कर रहे हैं। वह इसी साल जून से ही जज अंजलि जैन के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी लोग डरे हुए थे। इससे पहले की दंगाइयों की भीड़ हमें निशाना बनाती, हम लोग कार को छोड़कर भाग गए। इसके बाद दिल्ली-अलवर रोड पर हरियाणा रोडवेज की एक पुरानी वर्कशॉप में जाकर शरण ली। टेकचंद ने वाकये को याद करते हुए बताया, ‘स्थिति बेहद तनावपूर्ण थी। हम लोगों को अपनी जिंदगी की फिक्र थी। हमारे साथ एक छोटी बच्ची भी थी, इसलिए जिम्मेदारी कहीं ज्यादा थी। हर तरफ आग थी और हमारे साथ कुछ भी हो सकता था। गाड़ियों को आग लगाई जा रही थी और भीड़ बेकाबू थी।’ 

घंटों बाद बाहर निकले, वकीलों को बुलाना पड़ गया

टेकचंद ने कहा कि भीड़ के कार तक पहुंचने से पहले ही हम लोग भाग निकले। उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता था कि जज मैडम और उनकी बच्ची सुरक्षित घर पहुंच जाएं। हमारे पास वर्कशॉप में छिपकर बैठने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। हालात कुछ सामान्य हुए तो हमने स्थानीय वकीलों को घटना के बारे में जानकारी दी। वे लोग आए तो हम बाहर निकले।’ उन्होंने कहा कि जब हम वर्कशॉप से निकलकर आए तो देखा की कार पूरी तरह से जल चुकी है। पहचानना भी मुश्किल था कि यह वही गाड़ी है, जिसे हम छोड़कर गए थे। यह जज की पर्सनल कार थी।  

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